August 13, 2025 8:26 pm
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वोट चोरी पर संसद से सड़क तक विपक्ष का हल्ला बोल

राहुल गांधी के नेतृत्व में 300 सांसदों का चुनाव आयोग के खिलाफ विरोध मार्च। बिहार में वोट चोरी, स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन और विवादित वोटर लिस्ट पर विपक्ष का हमला।

धरने पर सांसद, राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव आयोग के खिलाफ ऐतिहासिक मार्च

सोमवार को संसद से लेकर सड़क तक विपक्ष का जोरदार विरोध देखने को मिला। करीब 300 सांसदों ने राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव आयोग (ECI) के खिलाफ ऐतिहासिक मार्च किया। यह प्रदर्शन बिहार में चल रहे Special Intensive Revision (SIR) के दौरान कथित “वोट चोरी” और विवादित वोटर लिस्ट के खिलाफ था।

संसद भवन से शुरू हुआ यह मार्च “मकर द्वार” से होकर जंतर-मंतर जैसे विरोध स्थल में तब्दील हो गया। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग बिहार में बड़े पैमाने पर वोट काट रहा है, मृतकों के नाम जोड़ रहा है और दूसरे राज्यों के मतदाताओं को बिहार की लिस्ट में शामिल कर रहा है।

“केचुआ” पर हमला

विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग की निष्क्रियता और कथित मिलीभगत को लेकर तीखे शब्दों का प्रयोग किया। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत सभी सांसदों ने आरोप लगाया कि आयोग जनता को जानकारी देने से बच रहा है। कांग्रेस नेताओं ने ECI को “केचुआ” कहते हुए तंज कसा – यानी रंग बदलने वाला और टालमटोल करने वाला आयोग।

दिल्ली पुलिस ने इस मार्च को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी और कई सांसदों को बसों में बैठाकर स्थल से हटाया गया।

बिहार से निकलकर दिल्ली तक गूंजा नारा

भागपा (माले) का नारा – “वोट चोर, गद्दी छोड़” – जो बिहार में उठ रहा था, अब दिल्ली में संसद परिसर के बाहर गूंजने लगा।
रिपोर्टर्स कलेक्टिव की एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक –

  • 1000 से अधिक मतदाता उत्तर प्रदेश और बिहार की लिस्ट में एक ही विवरण (नाम, पिता का नाम, EPIC नंबर, पता) के साथ दर्ज पाए गए।
  • कई मामलों में एक पते पर 200-300 मतदाता दर्ज मिले।
  • मृतकों और नाबालिगों के नाम भी मतदाता सूची में बरकरार हैं।

राहुल गांधी का “एटम बम” खुलासा

कर्नाटक के बैंगलोर से शुरू हुई यह मुहिम तब तेज हुई जब राहुल गांधी ने एक ही कमरे के पते पर दर्ज 80 वोटरों का मामला उजागर किया। इससे पहले “गोडी मीडिया” इसे फेक बताने की कोशिश कर रहा था, लेकिन ज़मीनी सच्चाई सामने आने पर मामला गर्मा गया।

बिहार में भी वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आ रही है – ड्राफ्ट लिस्ट का फॉर्मेट बदला गया ताकि लोग जांच न कर पाएं।

विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार बनाम आयोग की चुप्पी

विपक्ष का आरोप है कि ECI न सिर्फ गड़बड़ी कर रहा है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट को भी पूरी सूची देने से बच रहा है। यह कदम लोकतंत्र और मताधिकार के खिलाफ बताया जा रहा है।
राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा –

“यह लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है, और इसके लिए किसी भी हद तक जाना पड़े, हम जाएंगे।”

सियासी संदेश और भविष्य का खतरा

विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रदर्शन केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा। SIR के जरिये मतदाता सूचियों में छेड़छाड़ का आरोप राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है, जो आने वाले चुनावों में विपक्ष के लिए बड़ा राजनीतिक हथियार साबित होगा।

निष्कर्ष – 11 अगस्त का यह प्रदर्शन केवल एक दिन का विरोध नहीं था, बल्कि लोकतंत्र और मताधिकार की रक्षा के लिए चल रही लंबी लड़ाई का हिस्सा था। विपक्ष ने साफ संदेश दिया है – अगर चुनाव आयोग अपनी भूमिका ईमानदारी से नहीं निभाता, तो संसद से सड़क तक संघर्ष जारी रहेगा।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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