‘वोट अधिकार रैली’ में हुंकार, डाटा मिले तो साबित कर देंगे कि मोदी वोट चोरी कर पीएम बने हैं
मुख्य बातें (Key Highlights)
- राहुल गांधी ने बैंगलुरू की रैली में कहा—“अगर चुनाव आयोग हमें वोटर लिस्ट का इलेक्ट्रॉनिक डेटा दे दे, तो हम साबित कर देंगे कि पीएम मोदी वोट चोरी करके बने हैं।”
- कर्नाटक की एक विधानसभा में 1,02,250 वोट चोरी का आरोप, विस्तृत आंकड़े सार्वजनिक।
- डुप्लिकेट वोटर, एक पते पर दर्जनों वोट, और फर्जी पते पर वोट पंजीकरण के सबूत।
- राहुल का दावा—“यह संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है।”
- मुख्यधारा का मीडिया इस बड़े खुलासे को दबा रहा है, सोशल मीडिया पर भी वीडियो की रीच घटाई जा रही है।
रैली की पृष्ठभूमि
7 अगस्त 2025 को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट फ्रॉड के सबूत दिखाए थे। अगले ही दिन, 8 अगस्त को, वह कर्नाटक पहुंचे और “वोट अधिकार रैली” में इस मुद्दे को और तेज़ कर दिया।
बैंगलुरू में आयोजित रैली में राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी और कहा—
“अगर चुनाव आयोग हमें वोट डालने वालों का इलेक्ट्रॉनिक डेटा दे, तो हम डंके की चोट पर साबित करेंगे कि देश का प्रधानमंत्री चोरी करके प्रधानमंत्री बना है।”
आरोपों के सबूत
राहुल गांधी ने रैली में कर्नाटक की एक लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली एक विधानसभा का विस्तृत डेटा जारी किया।
मुख्य आरोप इस प्रकार हैं:
- डुप्लिकेट वोटर – 11,965 मामले, जहां एक व्यक्ति के नाम पर कई जगह वोट पंजीकृत।
- एक पते पर अनेक वोटर – 10,452 मामले।
- एक कमरे के घर में 80 वोटर।
- बूथ नंबर 366 पर एक पते पर 46 वोट।
- फर्जी पते पर वोट पंजीकरण – क्लब, दुकान, और गैर-आवासीय पते पर दर्ज दर्जनों वोट।
- फॉर्म 6 में गड़बड़ी – 33,000 से अधिक फर्स्ट-टाइम वोटरों का डेटा संदिग्ध।
- जीत के मार्जिन के बराबर या अधिक फर्जी वोट – जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकता है।
चुनाव आयोग पर सीधा हमला
राहुल गांधी ने कहा कि जब कांग्रेस के डेटा पर जनता ने सवाल पूछने शुरू किए, तो चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट बंद कर दी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि—
“चुनाव आयोग बीजेपी का नहीं है, संविधान का है। अगर यह एक व्यक्ति-एक वोट के सिद्धांत पर हमला करेगा, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।”
मीडिया की चुप्पी पर सवाल
रैली में राहुल गांधी ने भारतीय मीडिया पर भी तीखा हमला किया।
- केवल दैनिक भास्कर ने इस खबर को पहले पन्ने पर लीड दी।
- टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेस जैसे बड़े अखबारों ने इसे साइड स्टोरी बना दिया या नज़रअंदाज़ किया।
- हिंदुस्तान ने इसे पहले पन्ने पर जगह ही नहीं दी।
सोशल मीडिया पर भी ‘रीच रोकने’ का आरोप
राहुल गांधी के इस खुलासे पर बनाए गए वीडियो को यूट्यूब पर घंटों तक “चेकिंग प्रोसेस” में रोके रखने का आरोप भी सामने आया। यूट्यूबर पूनम अग्रवाल और Dr Medusa चैनल ने भी ऐसे ही अनुभव साझा किए।
क्यों है यह मामला अहम?
राहुल गांधी का दावा केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं है। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी एक करोड़ नए मतदाता जोड़ने और बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का आरोप पहले लगाया था।
बिहार में चल रहे Special Intensive Revision के दौरान लाखों वैध वोटरों के नाम काटे जाने की घटनाएं भी इस आरोप को और गंभीर बनाती हैं।
राहुल गांधी का संदेश साफ है—
“यह लड़ाई केवल कांग्रेस की नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र की है।”
निष्कर्ष
कर्नाटक की रैली ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राहुल गांधी अब इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाने के लिए तैयार हैं। एक तरफ आरोपों के गंभीर आंकड़े और सबूत हैं, दूसरी तरफ चुनाव आयोग और मीडिया की चुप्पी। आने वाले समय में यह मुद्दा भारत की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकता है।