तमिलनाडु में एक और जातीय हत्या ने खोली पितृसत्ता और जातिवाद की सांठगांठ की परतें
- TCS में कार्यरत दलित सॉफ्टवेयर इंजीनियर की निर्मम हत्या
- प्रेमिका के भाई ने दरांती से काटकर की हत्या
- तमिलनाडु में जारी जातीय हत्याओं की कड़ी में एक और दर्दनाक मामला
- आरोपी के माता-पिता पुलिस अधिकारी, जातीय अहंकार की भूमिका स्पष्ट
- संसद में उठी मांग: “आनवकोलाई” के खिलाफ बने सख्त कानून
पूरा मामला:
जय भीम, मैं दीप्ति सुकुमार — बेबाक बाशा से, ‘दलित लाइव्स मैटर’ के लिए रिपोर्टिंग कर रही हूँ।
रविवार को काविन सेल्व गणेश, जो कि पिछले तीन सालों से TCS में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर कार्यरत थे, तूतुकुड़ी में अपनी प्रेमिका से मिलने गए थे। उनकी प्रेमिका अस्पताल में काम करती हैं। वहीं पर, उसकी मुलाकात उसकी प्रेमिका सुभाषिनी के भाई सुरजीत से हुई। सुरजीत ने उन्हें अपने माता-पिता से मिलवाने के बहाने बाइक पर बैठाया — और रास्ते में दरांती से काटकर हत्या कर दी।
तमिलनाडु में जातीय हत्याओं की एक और कड़ी
यह हत्या केवल व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह तमिलनाडु में नियमित रूप से हो रही जातीय हत्याओं की एक और कड़ी है। इलावरासन, गोकुलराज, शंकर, और अब काविन — ये नाम सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि उस जातीय अहंकार और पितृसत्ता के शिकार हैं जो समाज में आज भी बेशर्मी से मौजूद है।
सरकार की चुप्पी — सबसे बड़ा अपराध
जिस राज्य की सरकार खुद को द्रविड़ विचारधारा और पेरियारवाद का झंडाबरदार कहती है, वह इन हत्याओं पर खामोश क्यों है?
काविन के माता-पिता साफ़ कह चुके हैं कि यह हत्या एक सुनियोजित जातीय हत्या थी। वे इस बात से आश्वस्त हैं कि हत्या की योजना सुरजीत के माता-पिता की जानकारी और शह में बनी — जो दोनों पुलिस अधिकारी हैं।
काविन कौन था, और उसे क्यों मारा गया?
काविन एक अनुसूचित जाति (दलित) से थे। पढ़े-लिखे, नौकरीपेशा माता-पिता के बेटे, खुद एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत। वहीं सुरजीत, उनकी प्रेमिका सुभाषिनी का भाई, देवस समुदाय से है — जो कि सामाजिक श्रेणी में “अत्यंत पिछड़ा वर्ग” में गिना जाता है।
यानी यह मामला सिर्फ “जाति से ऊँच-नीच” नहीं, बल्कि जातीय अहंकार और पितृसत्तात्मक मानसिकता से उपजा अपराध है।
“आनवकोलाई” — यह ऑनर किलिंग नहीं, जातीय अहंकार की हत्या है
तमिल में इसे “Aanavakolai” कहा जाता है — यानी अहंकार के कारण की गई हत्या। यह कोई “ऑनर किलिंग” नहीं है। यह हत्या एक पुरुषवादी और जातिवादी समाज की मानसिकता का परिणाम है, जिसमें यह विश्वास है कि “जाति की महिला” की शुद्धता केवल उसी जाति में शादी करने से बनी रह सकती है।
जातिवाद + पितृसत्ता = हत्या
इस हत्या ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जातिवाद और पितृसत्ता का मेल युवाओं की स्वतंत्रता, प्रेम और विवाह के अधिकार पर हमला कर रहा है।
क्यों? क्योंकि एक दलित युवक ने “जाति की लड़की” से प्रेम करने का “दुस्साहस” किया। इसलिए उसे मरना पड़ा। यह वह “शुद्धता” की परिभाषा है जिसे जातिवादी और पुरुषवादी समाज थोपता है।
क्या सरकार, पुलिस, समाज अब भी चुप रहेगा?
- सुरजीत पर SC/ST अत्याचार अधिनियम, BNS एक्ट, और गुंडा एक्ट में केस दर्ज किया गया है।
- लेकिन क्या इससे न्याय मिलेगा? या यह केस भी इलावरासन और गोकुलराज की तरह सालों-साल चलता रहेगा?
संसद में उठी आवाज़: कानून बनाओ
थिरुमावलवन और उनकी पार्टी के अन्य सांसदों ने संसद में यह मुद्दा उठाया है और जातीय अहंकार की हत्याओं (Aanavakolai) पर सख्त कानून की मांग की है।
अब क्या करना होगा?
- हमें अम्बेडकर द्वारा सुझाए गए “जाति विनाश” के रास्ते — अंतर्जातीय विवाहों को बढ़ावा देना होगा।
- एक ऐसा प्रभावी तंत्र बनाना होगा जो युवा महिलाओं और पुरुषों को उनके स्वतंत्र जीवनसाथी चुनने के अधिकार को संरक्षित करे।
- यह हत्या सिर्फ काविन की नहीं, यह हर उस युवा की हत्या है जो जाति और पितृसत्ता को चुनौती देने की हिम्मत करता है।