वोट चोरी के एक मॉडल का पर्दाफाश करके लोकतंत्र पर बड़े संकट का किया खुलासा
मुख्य बातें:
- महादेवपुर विधानसभा में 1,02,250 फर्जी वोट का खुलासा
- राहुल गांधी ने दस्तावेज़ों के साथ पेश किया सबूत
- वोट चोरी के पांच प्रमुख तरीके उजागर
- चुनाव आयोग की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल
- लोकसभा 2024 चुनावों की वैधता पर नई बहस
विवरण:
राहुल गांधी ने आखिरकार वह ‘राजनीतिक एटम बम’ फोड़ा है जिसकी चर्चा लंबे समय से हो रही थी। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कर्नाटक की महादेवपुर विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार 1,02,250 फर्जी वोट डालकर लोकतंत्र के साथ खुला मज़ाक किया गया।
उन्होंने दावा किया कि छह महीनों की मेहनत के बाद यह पूरा मॉडल उजागर हुआ, जिसमें हर दस्तावेज की पहचान, फोटोग्राफी और कैटलॉगिंग की गई। राहुल गांधी के अनुसार, यह एक सुनियोजित चोरी थी, जिससे बीजेपी को गैरकानूनी बढ़त हासिल हुई।
पांच तरीके जिनसे वोट चोरी हुई:
- डुप्लिकेट वोटर्स: एक ही व्यक्ति के नाम 3 से 6 बार तक सूची में।
- फर्जी पते: ऐसे वोटर जिनका कोई पता ही नहीं या “हाउस नंबर 0” जैसे काल्पनिक पते।
- सिंगल एड्रेस पर हजारों वोटर्स: एक कमरे में 70 से ज़्यादा नाम, जाति-धर्म सब अलग।
- इनवैलिड या न के बराबर फोटो: वोटर लिस्ट में या तो फोटो है ही नहीं, या इतनी धुंधली कि पहचान ही न हो।
- फॉर्म 6 का दुरुपयोग: 18-23 आयु वर्ग के नए वोटरों के नाम पर व्यापक फर्जीवाड़ा।
एक्सपोज़ का केंद्र: महादेवपुर विधानसभा
राहुल गांधी ने बताया कि इस विधानसभा को इसलिए चुना गया क्योंकि यह वही सीट है जहाँ से बीजेपी ने 1,14,046 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस ने बेंगलुरु सेंट्रल की 6 में से 6 अन्य विधानसभा सीटें जीतीं।
राहुल गांधी के अनुसार, यदि यह फर्जीवाड़ा न होता, तो यह सीट भी कांग्रेस की झोली में होती — यानी एक पूरी लोकसभा सीट बीजेपी को “गिफ्ट” की गई फर्जी वोटों से।
दस्तावेज़ों से लैस प्रेस कॉन्फ्रेंस
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में फोटोग्राफिक सबूत, वोटर लिस्ट के स्क्रीनशॉट और एक्सेल शीट्स दिखाईं। उदाहरण के तौर पर “गुरकीरत सिंह डांग” नामक व्यक्ति के एक ही नाम से चार अलग-अलग बूथों पर नाम होने का जिक्र किया गया।
इसी प्रकार एक व्यक्ति का नाम महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में मौजूद था — तीनों जगह एक ही फोटो, एक ही नाम।
लोकतंत्र को खतरा: राहुल गांधी की चेतावनी
राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा कि यह कार्य लोकतंत्र को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इस तरह से फर्जी वोटिंग होती रही, तो लोकतंत्र केवल नाम का रह जाएगा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सिर्फ एकतरफा कार्रवाई करता है, जवाबदेही नहीं लेता और जानबूझकर डेटा छिपाता है।
बड़ा सवाल: क्या चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री जवाब देंगे?
अब सवाल उठता है — क्या चुनाव आयोग अपनी गलती मानेगा? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर कोई सफाई देंगे? या फिर यह साज़िश ऐसे ही जारी रहेगी?
राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि देशभर में चल रहे “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” के नाम पर वोटर लिस्ट से करोड़ों नाम हटाए जा रहे हैं, खासकर बिहार जैसे राज्यों में।
निष्कर्ष:
राहुल गांधी की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस न केवल एक राजनीतिक आरोप है, बल्कि दस्तावेज़ी सबूतों के साथ किया गया गंभीर लोकतांत्रिक हस्तक्षेप है।
अब यह देखना होगा कि इस बम का असर केवल चर्चा तक सीमित रहता है या सिस्टम में कुछ ठोस बदलाव भी होते हैं।