टैरिफ का डंडा: भारत पर हमला या आर्थिक ब्लैकमेल?
🔥 मुख्य बिंदु (Key Highlights)
- ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया, कुल दर अब 50% तक पहुंचेगी।
- भारत सरकार की तरफ से अब तक प्रधानमंत्री मोदी की कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं।
- राहुल गांधी ने ट्रंप की कार्रवाई को “आर्थिक ब्लैकमेल” करार दिया।
- आशंका जताई जा रही है कि ट्रंप का निशाना भारतीय फार्मा और कृषि क्षेत्र हैं।
- अडानी और अंबानी से जुड़े अमेरिकी जांचों के चलते मोदी की चुप्पी पर सवाल।
- चीन ने rare earth metal और कूटनीतिक दबाव से अमेरिका को झुकाया, क्या भारत भी ऐसा करेगा?
7 अगस्त 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू कर दिया, जिससे कुल टैरिफ 50% हो जाएगा। इसके लिए उन्होंने भारत को 21 दिन की डील विंडो दी है—या तो झुको या भुगतो। यह सीधा धमकी भरा प्रस्ताव है, जिसमें भारत को ट्रम्प की शर्तों के आगे घुटने टेकने को कहा गया है।
मोदी की चुप्पी: राष्ट्रीय स्वाभिमान पर सवाल
टैरिफ की यह पहली धमकी नहीं है। अप्रैल 2025 से ही ट्रंप भारत के खिलाफ लगातार आक्रामक तेवर दिखा रहे हैं। लेकिन इस पूरे प्रकरण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक चुप हैं। पिछली बार जब 31 जुलाई को ट्रंप ने नई टैरिफ की घोषणा की थी, तब भी भारत की ओर से बस विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सॉफ्ट प्रतिक्रिया दी थी, जिसमें अमेरिका की आलोचना केवल 29 शब्दों में सिमट गई।
ट्रंप का पाखंड: रूस से मिलने जा रहे हैं, भारत को सजा दे रहे हैं
ट्रंप भारत पर रूस से तेल खरीदने के कारण आर्थिक सजा थोप रहे हैं, जबकि खुद पुतिन से मिलने की तैयारी में हैं। यह दोहरा रवैया दर्शाता है कि अमेरिका अब गली के गुंडे जैसी दबंगई की राजनीति कर रहा है।
राहुल गांधी का तीखा हमला: मोदी क्यों नहीं बोलते?
राहुल गांधी ने सीधे तौर पर सवाल उठाया है:
“इंडिया, प्लीज अंडरस्टैंड… मोदी ट्रंप के आगे इसलिए झुक रहे हैं क्योंकि अमेरिकी जांच अडानी और अंबानी से जुड़ी है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अमेरिका को खुश करने के लिए लगातार नीति झुकाव कर रही है:
- इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स घटाकर 110% से 15% किया गया।
- डिजिटल विज्ञापन पर Google Tax को खत्म किया गया।
फिर भी ट्रंप ने भारत पर एक के बाद एक टैरिफ हमले किए।
अडानी-अंबानी एंगल: कमजोर नसों पर चोट?
राहुल गांधी के अनुसार, ट्रंप की असली रणनीति मोदी सरकार की कमजोर नसों—अडानी और अंबानी—को निशाना बनाकर भारत को झुकाना है। ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में अडानी के खिलाफ जांचों को तेज़ करने की घोषणा की है, वहीं जामनगर स्थित अंबानी की रिफाइनरी जो रूस से तेल खरीद रही थी, वह भी निशाने पर है।
ट्रंप की गंदी नज़र: फार्मा और किसान
टैरिफ हमलों के पीछे ट्रंप की दो प्रमुख मंशाएं स्पष्ट हैं:
- भारतीय दवा उद्योग को बर्बाद करना।
- कृषि क्षेत्र पर अमेरिका का पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना।
मॉनसैंटो, GM crops और अन्य अमेरिकी कंपनियां पहले ही भारत में अपने पैर पसार चुकी हैं, और अब ट्रंप उनके लिए पूरी जमीन तैयार करना चाहते हैं।
शशि थरूर की चेतावनी
शशि थरूर ने स्पष्ट कहा है:
“50% टैरिफ भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाज़ार में महंगा बना देगा।”
भारत के मुकाबले पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम जैसे देशों पर कम टैरिफ है, जो भारत की स्थिति को और कमजोर करता है।
क्यों नहीं बनी ट्रेड डील?
Reuters की रिपोर्ट ‘Missed Signal, Lost Deal’ ने खुलासा किया है कि अप्रैल से चल रही ट्रेड डील राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण टूट गई। भारतीय प्रतिनिधियों ने अमेरिकी संकेतों को समझने और समय पर निर्णय लेने में अक्षम्यता दिखाई।
चीन से सीखने की ज़रूरत
चीन ने अपने पास मौजूद rare earth metals के बल पर अमेरिका को झुकाया। भारत भी अगर सीधी टक्कर देना चाहता है, तो उसे ऐसे ही रणनीतिक संसाधनों और साहसिक निर्णयों की जरूरत है।
टाइम्स ऑफ इंडिया और भास्कर का संपादकीय
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने संपादकीय ‘Won’t Be Trumped’ में लिखा कि भारत को ट्रंप के इस पागलपन के खिलाफ खुलेआम खड़ा होना चाहिए। वहीं दैनिक भास्कर ने 50% टैरिफ के प्रभावों को “100% झूठ” बताने वाली मीडिया की आलोचना की है।
निष्कर्ष: मोदी सरकार अब क्या करेगी?
अब सवाल यह नहीं है कि ट्रंप क्या कर रहा है, सवाल यह है कि भारत क्या करेगा। 140 करोड़ जनता का प्रधानमंत्री अब तक खामोश है, जबकि पूरा देश आर्थिक हमले का शिकार हो रहा है। यह चुप्पी कब टूटेगी? क्या प्रधानमंत्री ट्रंप को जवाब देंगे, या फिर व्यापार और विदेशी निवेश की आड़ में समर्पण की रणनीति अपनाएंगे?
अब वक्त आ गया है कि मोदी सरकार ट्रंप को साफ संदेश दे:
“India will not be Trumped!”