ऑपरेशन सिंदूर पर तूफ़ान: विपक्ष के सवाल, सरकार की चुप्पी और राजनीतिक मायने
ऑपरेशन सिंदूर के तीन महीने बाद वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल ए.पी. सिंह के बयान ने सियासी हलचल मचा दी है। उन्होंने बैंगलुरू में दिए एक भाषण में दावा किया कि भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमान और एक अवाक्स (AWACS) विमान गिराए। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यह सफलता रूस के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के ज़रिये हासिल की गई, जिसने पाकिस्तान के पास मौजूद अमेरिका के एफ-16 विमानों को निशाना बनाया।
यह बयान ऐसे समय आया है जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस हो चुकी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भाषण दे चुके हैं, लेकिन इस तरह की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई थी।
विपक्ष के सवाल: यह उपलब्धि छुपाई क्यों गई?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सवाल उठाया है कि अगर इतनी बड़ी सैन्य सफलता मिली थी तो उसे संसद में या सेना की दैनिक ब्रीफिंग में क्यों नहीं बताया गया? पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि सरकार ने यह जानकारी दबाकर रखी और अचानक अब इसे सामने लाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश हो रही है।
राहुल गांधी पहले ही मोदी सरकार पर आरोप लगा चुके हैं कि ऑपरेशन सिंदूर का सीज़फ़ायर अमेरिकी दबाव, ख़ासकर डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता के कारण हुआ। वायुसेना प्रमुख के बयान ने इन आरोपों में नया मोड़ जोड़ दिया है।
टाइमिंग पर सवाल
विपक्ष का तर्क है कि वायुसेना प्रमुख का यह बयान ठीक उस समय आया जब राहुल गांधी ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर, सीज़फ़ायर और वोट चोरी के मुद्दे पर सरकार को घेरा।
कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बयान की टाइमिंग इसे एक राजनीतिक हथियार बना देती है, जो सीधे-सीधे विपक्षी नेता पर निशाना साधने जैसा दिखता है।
सरकार और सेना की भूमिकाओं पर बहस
एक और बड़ा सवाल यह है कि क्या सेना के शीर्ष अधिकारियों का इस्तेमाल राजनीतिक जवाबी कार्रवाई के लिए किया जाना उचित है? विपक्ष का कहना है कि यह सेना की तटस्थता और पेशेवर छवि के लिए खतरनाक है।
पहले भी एयर चीफ़ मार्शल ए.पी. सिंह ने दिल्ली में फिक्की कार्यक्रम में हथियार और लड़ाकू विमानों की समय पर डिलीवरी में देरी पर सवाल उठाए थे, लेकिन तब सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया था। अब उनके इस नए बयान को बीजेपी प्रवक्ता और मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेश कर विपक्ष पर हमला कर रहे हैं।
सीडिएस जनरल अनिल चौहान का पुराना खुलासा
CDS जनरल अनिल चौहान ने भी पहले यह स्वीकार किया था कि ऑपरेशन सिंदूर के शुरुआती चरण में भारत को नुकसान हुआ क्योंकि “टैक्टिकल लाइन” में गलती थी। बाद में सुधार कर भारत ने बढ़त बनाई।
विपक्ष का सवाल है कि जब शुरुआती नुकसान की बात मान ली गई थी तो अचानक तीन महीने बाद जीत की घोषणा क्यों की जा रही है?
ट्रंप का दावा और सीज़फ़ायर का रहस्य
पूरे विवाद के बीच डोनाल्ड ट्रम्प बार-बार दावा कर रहे हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फ़ायर उन्होंने करवाया था। अगर भारत ने इतनी बड़ी जीत हासिल की थी तो सीज़फ़ायर की घोषणा ट्रम्प ने क्यों की और भारत सरकार ने क्यों नहीं?
क्या यह अंतरराष्ट्रीय दबाव में लिया गया निर्णय था?
यही सवाल अब संसद के मानसून सत्र में गरमा सकते हैं।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और वायुसेना प्रमुख के बयान ने राजनीतिक और सामरिक दोनों मोर्चों पर नई बहस छेड़ दी है। विपक्ष इसे सरकार की “राजनीतिक बैटिंग” मान रहा है, जबकि सरकार इसे “पॉलिटिकल विल” का उदाहरण बता रही है।
सवाल है कि क्या यह जानकारी सही समय पर, सही मंच से और पारदर्शी तरीके से साझा की गई होती, तो यह विवाद टल सकता था?