August 11, 2025 4:39 am
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मोदी ने “सनातनी” ट्रंप को किया Out, अब पुतिन+ शी संग यारी

ट्रंप के 50% टैरिफ फैसले के बाद भारत रूस और चीन के करीब, पुतिन-ट्रंप मुलाकात, मोदी का चीन दौरा और बदलते अंतरराष्ट्रीय समीकरण पर विशेष विश्लेषण।

विश्व राजनीति में कैसी उठापटक: मोदी रूस-चीन के करीब, ट्रंप के दांव से वैश्विक समीकरण में हलचल

अंतरराष्ट्रीय राजनीति इस समय शतरंज के एक बेहद पेचीदा खेल में तब्दील हो चुकी है, जहां हर चाल के साथ वैश्विक समीकरण बदल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो व्यक्तिगत दोस्ती और गलबहियों के लिए मशहूर हैं, अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दूरी बनाकर रूस और चीन की ओर बढ़ रहे हैं।

ट्रंप, जिन्होंने पहले 25% टैरिफ लगाया था, अब भारत के निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने की तैयारी में हैं। इसका सीधा असर भारतीय परिधान और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर पड़ा है—अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां अमेरिकी ऑर्डर घटा रही हैं। ट्रंप का तर्क है कि भारत ने रूस से तेल और हथियार खरीदकर अमेरिका के हितों के खिलाफ काम किया, जबकि खुद वे 15 अगस्त को पुतिन से मिलने की योजना बना रहे हैं।

रूस की ओर झुकाव

मौजूदा हालात में भारत ने रूस के साथ रिश्ते गहरे करने का संकेत दिया है। NSA अजीत डोभाल की पुतिन से मुलाकात और मोदी का बयान—“स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को और गहरा करेंगे”—स्पष्ट करते हैं कि भारत, अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस के साथ खड़ा है। पुतिन को साल के अंत में भारत आने का न्योता भी दिया गया है।

चीन से सात साल बाद मुलाकात

मोदी अब सात साल बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के लिए चीन जा रहे हैं, जहां शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की बैठक होगी। यह वही चीन है, जिसे भाजपा और उसके समर्थक अब तक दुश्मन नंबर एक बताते रहे हैं। लेकिन मौजूदा परिस्थितियां भारत को मजबूर कर रही हैं कि वह चीन के साथ रिश्तों में सुधार लाए, खासकर तब जब पाकिस्तान—जो ट्रंप के करीबी देशों में शामिल होता जा रहा है—भी अमेरिका-चीन समीकरण में जगह बना रहा है।

ट्रंप का अप्रत्याशित दांव

ट्रंप की सबसे बड़ी ताकत उनकी अप्रत्याशित चालें हैं। उन्होंने मोदी के रूस-चीन दांव को कमजोर करने के लिए पुतिन से मुलाकात की घोषणा कर दी। अगर ट्रंप-पुतिन के बीच समझौता हो गया, तो भारत की रूस-नीति के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

आर्थिक दबाव और राजनीतिक संदेश

ट्रंप न केवल भारत की व्यापारिक नब्ज दबा रहे हैं, बल्कि मोदी के करीबी उद्योगपतियों—अडानी और अंबानी—के कारोबार पर भी निगाह रख रहे हैं। अडानी के अमेरिकी निवेश और अंबानी के रूसी तेल व्यापार को लेकर ट्रंप की नीतियां दोनों पर असर डाल सकती हैं।

राहुल गांधी की चेतावनी

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि ट्रंप का टैरिफ और दबाव दरअसल ब्लैकमेल की रणनीति है। उनके अनुसार, ट्रंप चाहता है कि भारत कृषि क्षेत्र और फार्मास्यूटिकल उद्योग में अमेरिकी कंपनियों के लिए दरवाज़े खोल दे—जो भारत के आर्थिक हितों के लिए खतरनाक होगा।

आगे का रास्ता

मोदी सरकार के सामने अब चुनौती है कि वह घरेलू उद्योग को बचाते हुए अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में संतुलन बनाए। अगर 15 अगस्त को ट्रंप-पुतिन समीकरण भारत के खिलाफ जाता है, तो भारत को आत्मनिर्भरता और वैकल्पिक गठबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

निष्कर्ष

भारत की मौजूदा विदेश नीति, ट्रंप की अप्रत्याशित चालों और रूस-चीन समीकरण के बीच बेहद नाजुक मोड़ पर खड़ी है। आने वाले महीनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि मोदी का यह नया कूटनीतिक दांव भारत को लाभ देगा या वैश्विक शतरंज में हमें और घेर लेगा।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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