August 14, 2025 3:55 am
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क्या मोदी सरकार ने लद्दाख से किया वादा तोड़ दिया?

लद्दाख में कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस और लेह एपेक्स बॉडी का तीन दिन का ऐतिहासिक आंदोलन। राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची और पब्लिक सर्विस कमीशन की मांगें जोर पकड़ रही हैं।

कारगिल में तीन दिन ऐतिहासिक प्रदर्शन गूंजा- लद्दाख को अपना हक चाहिए, लूट नहीं

2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से लद्दाख की जनता एक वादे के पूरे होने का इंतज़ार कर रही है—राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल होना। लेकिन यह इंतज़ार अब नाराज़गी और बड़े पैमाने पर आंदोलन में बदल चुका है।

पिछले हफ्ते कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस और लेह एपेक्स बॉडी ने तीन दिन का ऐतिहासिक प्रदर्शन किया, जिसमें केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी और लद्दाख की अनदेखी के आरोप लगे। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें थीं:

  1. राज्य का दर्जा बहाल किया जाए।
  2. छठी अनुसूची में लद्दाख की एंट्री सुनिश्चित हो।
  3. लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग सांसद।
  4. स्वयं का पब्लिक सर्विस कमीशन।

सोनम वांगचुक का चेतावनी भरा संदेश

प्रसिद्ध जलवायु और शांति कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने हाल ही में एक वीडियो जारी कर अपनी संभावित गिरफ्तारी की आशंका जताई। उन्होंने बताया कि उन्हें दिल्ली में आंदोलन के बाद तीन दौर की वार्ता मिली थी, लेकिन केंद्र सरकार ने अचानक बातचीत रोक दी।

वांगचुक के अनुसार, यह आंदोलन सिर्फ स्थानीय मुद्दा नहीं बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा का सवाल है। उन्होंने कहा, “अगर लद्दाख की आवाज दबाई गई, तो यह देश के लोकतंत्र के लिए भी खतरा है।”

आंदोलन की पृष्ठभूमि

2019 के बाद से लद्दाख में नौकरशाही का केंद्रीकरण हुआ, जिससे स्थानीय युवाओं को नौकरियों में अवसर नहीं मिले। 35A हटने के बाद से स्थानीय ज़मीन, संसाधन और संस्कृति की सुरक्षा पर भी खतरे की आशंका जताई जा रही है।

राजनीतिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध समुदायों को बांटने की कोशिश की, लेकिन कारगिल का यह संयुक्त आंदोलन उस रणनीति का जवाब है।

अगले कदम

लद्दाख की जनता ने साफ़ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, प्रदर्शन और तेज़ होंगे। सोनम वांगचुक ने भी संकेत दिया है कि यह आंदोलन लंबा चल सकता है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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