241 यात्री, एक बचा – लेकिन ज़मीन पर कितनी लाशें गिनी गईं?
12 जून की दोपहर, अहमदाबाद में एक भयानक विमान हादसा हुआ। एयर इंडिया की फ्लाइट जो सपनों की उड़ान थी, मौत की उड़ान में तब्दील हो गई। सरकार ने अभी तक 241 मौतों की पुष्टि की है – ये सभी वो लोग हैं जो विमान में सवार थे। इनमें से केवल एक ब्रिटिश नागरिक बचा है।
लेकिन एक और त्रासदी जमीन पर घट रही है, और उस पर सरकार अब भी या तो चुप है, या फिर साफ-साफ नहीं बता रही।
🏥 डॉक्टर्स हॉस्टल बना मौत का मैदान
जब विमान ज़मीन पर गिरा, वह एक मेडिकल हॉस्टल से टकराया। उस समय बड़ी संख्या में इंटर्न डॉक्टर्स हॉस्टल में मौजूद थे, कुछ आराम कर रहे थे, तो कई मैस में लंच कर रहे थे। हादसे के दो दिन बाद भी:
- न सरकार ने ज़मीन पर मरे लोगों की संख्या बताई है,
- न ही घायलों का कोई आधिकारिक ब्योरा सामने आया है।
📉 विभिन्न मीडिया स्रोतों के आंकड़े:
स्रोत | मौतों का आंकड़ा (ज़मीन पर) |
दैनिक भास्कर | 270–275 कुल मौतें |
Times of India | 241 (विमान में) + 33 (ज़मीन पर) = 274 |
AP News | 241 (विमान में) + 29 (ज़मीन पर) = 270 |
यानी लगभग 270 मौतें अब तक दर्ज की गई हैं। लेकिन सरकारी आंकड़ा वहीं अटका है — 241 पर।
📺 मीडिया का चयनात्मक कवरेज
इसी देश में एक हत्या को लेकर टीवी चैनल सोनम और राजा की हर एक हरकत ब्रेकिंग न्यूज़ बनाते हैं। लेकिन इतने भीषण विमान हादसे के दो दिन बाद भी:
- कोई ज़मीन पर मौजूद नहीं,
- कोई मेडिकल छात्रों के नाम नहीं,
- कोई रिपोर्ट नहीं कि कौन जिन्दा है, कौन मरा।
🧾 सरकार की जवाबदेही कहां है?
सरकार के पास ऑनबोर्ड यात्रियों की सूची है — इसलिए 241 की पुष्टि हो गई। लेकिन हॉस्टल में मरने वाले छात्रों का क्या? क्या वे गिनती में नहीं आते क्योंकि उनके नाम बोर्डिंग पास पर नहीं थे?
जैसे प्रयागराज कुंभ हादसे में सरकार ने सिर्फ 37 मौतें मानी, जबकि ग्राउंड रिपोर्ट्स ने 82 मौतें दर्ज की थीं — यहां भी वही दोहराव नज़र आ रहा है।
⚖️ मृतकों के परिजनों को चाहिए जवाब और न्याय
मौत, सिर्फ गिनती नहीं होती। वह किसी का बेटा, किसी की बेटी, किसी का दोस्त, किसी की माँ होती है। उनके नाम, उनकी कहानियां, उनका हिसाब सरकार को देना ही होगा।
📢 बेबाक सवाल
- क्यों सरकार ज़मीन पर मरे छात्रों की संख्या नहीं बता रही?
- क्यों मीडिया इस पर ध्यान नहीं दे रहा?
- क्या मौत की गिनती अब सिर्फ राजनीति के काम आने वाली चीज़ बन गई है?