जादू की सरकार : चैप्टर हटाओ, आंकड़े छुपाओ, नया भारत बनाओ
NCERT की पाठ्यपुस्तकों से अब गरीबी गायब कर दी गई है। ना ज़िक्र, ना चर्चा, ना अध्याय।
और शायद सरकार का यही मूलमंत्र है —
“ना रहेगा नाम, ना रहेगा ग़म!”
जिस तरह सांप्रदायिकता से निपटने के लिए बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के अध्याय हटा दिए गए थे, अब गरीबी से छुटकारा पाने के लिए गरीबी का नामो-निशान ही मिटा दिया गया है।
जब नहीं पढ़ेंगे बच्चे गरीबी के बारे में, तो पूछेंगे ही क्यों?
अब बच्चों को न यह बताया जाएगा कि गरीबी क्या है, न यह कि भारत में करोड़ों लोग दो वक्त की रोटी को तरसते हैं।
क्योंकि अगर बच्चे जान जाएंगे तो वो सवाल भी पूछेंगे —
- जब भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, तो इतनी गरीबी क्यों है?
- किसी के पास इतनी दौलत और किसी के पास दो जून की रोटी क्यों नहीं?
इसलिए बेहतर है कि किताबों से ही गरीबी मिटा दी जाए।
गरीबी नहीं, गरीब ही हटाओ
यह वही सरकार है जिसने कहा था: “जहां झुग्गी, वहीं मकान”, और अब झुग्गियों पर बुलडोज़र चलाकर कह रही है —
“झुग्गी हटाओ, तभी तो मकान बनेगा।”
अब ये मत पूछिए कि मकान किसके लिए बनेगा।
आंकड़ों से परेशानी? तो आंकड़े ही हटा दो
बेरोज़गारी से परेशान? तो उसे मापना ही बंद कर दो।
महंगाई बढ़ गई? तो WPI का बेस ईयर बदल दो।
अपराध की दर चौंकाती है? तो NCRB की रिपोर्ट ही मत जारी करो।
काले धन की बात चुभती है? तो उसका ज़िक्र बंद कर दो।
और अब तो यह भी कहा जा रहा है कि स्विस बैंक में भारतीयों की संपत्ति में ज़बरदस्त उछाल है — मगर चिंता मत कीजिए, ये भी ‘विकास’ का ही संकेत है।
और हां, विमान हादसे में बची ‘गीता’
जब अमलताश विमान हादसे में 272 लोग मारे गए, तो चर्चा “गीता” पर होनी चाहिए —
“लोहा जल गया, लेकिन गीता नहीं जली।”
“स्कूल के बच्चे मर गए, लेकिन गीता नहीं जली।”
यही तो है चमत्कार!
एक नया इंडिया बन रहा है
जहां गरीब गायब, झुग्गी गायब, गरीबी गायब, आंकड़े गायब, रिपोर्ट गायब, और बची है तो बस —
न्यू इंडिया की चमचमाती तस्वीर, किताबों में ही सही।