June 14, 2025 11:05 pm
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ट्रंप का बदला या अडानी-मोदी की मुश्किलें?

ट्रंप अपने दोस्तों को भारत में और मोदीजी के दोस्तों को अमेरिका में धंधा नहीं करने दे रहे. वह अपने मित्र एलन मस्क को भारत में Tesla कारों का उत्पादन करने नहीं दे रहे, इसलिए Tesla ने भारत में उत्पादन में रुचि नहीं दिखाई है, उधर अडानी समूह को घेरने का कोई मौका भी ट्रंप नहीं छोड़ रहे हैं और अब वह ईरान से ईंधन खरीदने को लेकर अडानी को निशाने पर ले रहे हैं

ट्रंप अपने दोस्तों को भारत में और मोदीजी के दोस्तों को अमेरिका में धंधा नहीं करने दे रहे

“आपका दोस्त ही सबसे बड़ा दुश्मन बन जाए तो?” — यह सवाल अब सिर्फ फिल्मों का नहीं, अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्रीय मुद्दा बन गया है। और इस बार केंद्र में हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, अरबपति कारोबारी गौतम अडानी और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क।

एलन मस्क को मनाने में मोहित, लेकिन ट्रंप के डर से टेसला ने भारत से बनाई दूरी

कुछ महीने पहले तक माहौल गार्डन-गार्डन था। मस्क भारत दौरे पर थे, मोदी-मस्क की तस्वीरें चमक रही थीं और खबरें उड़ रही थीं कि टेसला जल्द भारत में कारखाना लगाएगी। केंद्र सरकार ने नीतियों में फेरबदल किया, टैरिफ घटाए, ईवी स्कीम में ढील दी — यानी निवेश के लिए लाल कालीन बिछा दिया गया। लेकिन फिर…

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रंप ने खुलेआम एलन मस्क को धमकी दी: “अगर तुमने भारत में टेसला फैक्ट्री लगाई, तो अमेरिका में मुश्किलें होंगी।” और मस्क तुरंत पाला बदलते नजर आए।

सरकारी ब्रीफिंग में हेवी इंडस्ट्री मंत्री कुमारस्वामी ने साफ कहा — टेसला अब भारत में निवेश नहीं करेगी, बस दो स्टोर खोलने की योजना है। टेसला ने एक लाइन में कह दिया — हम भारत में निर्माण नहीं करेंगे।

अमेरिका में अडानी की जांच और ट्रंप-मोदी समीकरण में सेंध

एक ही दिन दूसरी धमाकेदार खबर — अमेरिकी न्याय विभाग अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच कर रहा है, आरोप है कि उन्होंने ईरान से प्रतिबंध के बावजूद LPG खरीदी और भारत लाए। वॉल स्ट्रीट जर्नल और BBC ने खुलासा किया कि गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर संदिग्ध जहाजों की गतिविधियों से यह संदेह और गहरा हुआ।

जहाजों के ट्रैकिंग डेटा से पता चला कि AIS सिस्टम में छेड़छाड़ हुई, ब्रांडिंग नहीं थी, यानी सब कुछ गोपनीय ढंग से हुआ। रिपोर्ट्स कहती हैं कि यह ‘सेकेंडरी सैंक्शन’ के दायरे में आता है — अमेरिका ईरान से व्यापार करने वालों को भी सजा देता है।

अडानी ग्रुप ने कहा, “हमें कोई जांच की जानकारी नहीं,” लेकिन यह जवाब भारत में पहले से घिरे मोदी के लिए राहत नहीं बना। क्योंकि अडानी को मोदी का करीबी सहयोगी माना जाता है, और यह मामला अब सीधे मोदी की अंतरराष्ट्रीय साख पर हमला बन चुका है।

G7 से भी नाराज़गी? मोदी को न्योता तक नहीं

पिछले छह वर्षों में पहली बार G7 सम्मेलन (कनाडा, जून 2025) में मोदी को अभी तक आमंत्रण नहीं मिला है। यह संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की कूटनीति डगमगाई है।

ट्रंप की दोहरी रणनीति: दोस्ती के नाम पर व्यापारिक दंड?

ट्रंप जहां एक तरफ भारत में अमेरिकी कंपनियों का विस्तार रोक रहे हैं (टेसला, Apple जैसी कंपनियां अब हिचकिचा रही हैं), वहीं अडानी जैसे वैश्विक उद्योगपतियों को जांच के घेरे में ला रहे हैं। 2024 में भी 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत के आरोपों में अडानी पर जांच हुई थी।

यह ‘बदला’ क्यों? क्या ट्रंप भारत की वैश्विक स्वतंत्रता और मोदी की ‘विश्वगुरु’ ब्रांडिंग को चुनौती देना चाहते हैं?

नतीजा?

  • भारत में ईवी उद्योग को तगड़ा झटका — टेसला जैसी कंपनी दूर रही
  • अडानी की अमेरिकी साख पर सवाल — नई जांच की आंच मोदी तक पहुंचती दिखी
  • मोदी की कूटनीतिक हैसियत में गिरावट — न G7 का न्योता, न निवेश की बरसात

निष्कर्ष

मोदी सरकार का ‘ग्लोबल आउटरिच’ मिशन और ‘विश्वगुरु’ ब्रांडिंग अंदरूनी मोर्चे पर भले जोश भरती हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तस्वीर उलट रही है। एलन मस्क की टेसला और गौतम अडानी के ईरानी तेल व्यापार की कहानी बताती है — ट्रंप का बदला असल में भारत के कारोबारी और कूटनीतिक हितों के लिए खतरे की घंटी है

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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