महाराष्ट्र के बाद क्या बिहार में भी “मैच फिक्सिंग” की साजिश है?
2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कथित चुनावी गड़बड़ियों के आरोपों के बाद, अब राहुल गांधी ने बिहार को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है।
उन्होंने सीधे-सीधे सवाल पूछा है — क्या बिहार में भी मोदी सरकार चुनावी ‘मैच फिक्सिंग’ की तैयारी में है?
मुद्दा केवल राजनीतिक बयानबाज़ी का नहीं है, बल्कि उस ‘इंडस्ट्रियल स्केल पर लोकतंत्र की चोरी’ का है, जिसे राहुल गांधी ने अपने विस्तृत लेख और वीडियो में तथ्यों के साथ पेश किया।
राहुल गांधी का लेख और बढ़ता जनसवाल
राहुल गांधी का लेख Indian Express में प्रकाशित हुआ, जिसे 10 से अधिक भाषाओं में अनुवाद करके छापा गया — हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी इत्यादि में। लेख में उन्होंने महाराष्ट्र के 2024 विधानसभा चुनाव में वोटर लिस्ट में हुई असामान्य वृद्धि को लेकर गहरा संदेह जताया है:
- 2019 में महाराष्ट्र के वोटर: 8.98 करोड़
- 2024 (लोकसभा चुनाव तक): 9.29 करोड़ (5 वर्षों में 31 लाख की वृद्धि)
- 2024 (विधानसभा चुनाव के वक्त): 9.70 करोड़ (सिर्फ 5 महीने में 41 लाख की वृद्धि!)
राहुल गांधी का आरोप है कि ये वोटर वृद्धि एक सुनियोजित ‘मैच फिक्सिंग’ का हिस्सा है, जिससे बीजेपी को फायदे में लाया गया।
चुनाव आयोग की चुप्पी और बिना हस्ताक्षर के जवाब
सबसे चौंकाने वाली बात — चुनाव आयोग ने इस लेख का कोई तर्कपूर्ण खंडन नहीं किया, बल्कि एक बिना हस्ताक्षर का पत्र जारी किया गया।
न तो चीफ इलेक्शन कमिश्नर, न ही किसी अन्य कमिश्नर ने अपनी ज़िम्मेदारी ली।
राहुल गांधी ने इसे सीधा प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का प्रोपेगैंडा करार दिया है।
राहुल के सवाल जो जवाब मांगते हैं
- क्या CCTV फुटेज सार्वजनिक किया जाएगा जो शाम 5 बजे के बाद मतदान केंद्रों पर हुआ?
- क्या उन 41 लाख नए मतदाताओं की सूची सार्वजनिक होगी?
- क्या चुनाव आयोग डिजिटल, मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट को सार्वजनिक करेगा?
राहुल गांधी ने X (पूर्व ट्विटर) पर साफ लिखा:
“Dear EC, evasive unsigned notes are not enough. Publish CCTV footage and the consolidated digital voter roll — if you have nothing to hide.”
बीजेपी का पलटवार: लेकिन तथ्यों पर नहीं, व्यक्ति पर
बीजेपी नेताओं — देवेंद्र फडणवीस, जे.पी. नड्डा — ने तुरंत राहुल गांधी पर हमला बोला।
फडणवीस ने कहा: “राहुल गांधी जनादेश को नकारते हैं।”
लेकिन कोई भी नेता वोटर डेटा या CCTV फुटेज पर जवाब नहीं दे पाया।
बिहार में दोहराए जाएंगे महाराष्ट्र वाले फार्मूले?
राहुल गांधी ने आशंका जताई है कि बिहार में भी वही मॉडल लागू किया जा सकता है:
- वोटर लिस्ट में फर्जी वृद्धि
- लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच रातों-रात वोटर जोड़ना
- 5% से अधिक ‘पोस्ट 5 PM’ वोटिंग की रहस्यमयी वृद्धि
उनका तर्क है कि इस तरह से “match fixing” का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार हो चुका है।
महागठबंधन और जनचेतना की दीवार
भाकपा (माले) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने स्पष्ट कहा है:
“बिहार महाराष्ट्र नहीं है। यहां जनता जागरूक है, विपक्ष संगठित है और चुनावी ठगी का विरोध मजबूत होगा।”
यानी बिहार में जनता अब “पहचान” और “प्रतिरोध” के मूड में है।
निष्कर्ष: यह लड़ाई सिर्फ एक राज्य की नहीं है, यह भारत के लोकतंत्र की परीक्षा है
राहुल गांधी की कलम, गिनाए गए आंकड़े और सामने रखे गए सवाल यह बताने के लिए काफी हैं कि लोकतंत्र खतरे में है — और इस खतरे को सिर्फ नारेबाज़ी से नहीं, बल्कि डिजिटल सबूतों और पारदर्शिता से रोका जा सकता है।
अब जनता को, पत्रकारों को और विपक्ष को तय करना है कि वह सवाल पूछना जारी रखेंगे या सिर्फ तमाशा देखेंगे।