जस्टिस शेखर यादव, नफरतभरे भाषण और धनखड़-योगी की ‘संरक्षा’ पर सवाल
बेबाक भाषा के यूट्यूब लाइव शो ‘रोजनामा’ में 10 जून 2025 को हमने एक बेहद गंभीर और संविधानिक संकट पर चर्चा की — इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के नफरतभरे भाषण, राजनीतिक संरक्षण और न्यायपालिका में सेंधमारी की कहानी।
यह मामला केवल एक जज का नहीं है, यह संविधान, संस्थाएं और नागरिक अधिकारों की रक्षा का सवाल है।
🧨 नफरत भरे भाषण और न्यायिक मर्यादा की धज्जियां
8 दिसंबर 2024 को विश्व हिंदू परिषद की लीगल सेल की बैठक में जस्टिस यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लाइब्रेरी में जो भाषण दिया, वो किसी “न्यायमूर्ति” का नहीं बल्कि एक राजनीतिक एजेंडेधारी कार्यकर्ता का प्रतीत होता है।
उनके विवादित बयान:
- “यह देश बहुमत (हिंदुओं) से चलेगा।”
- “मुसलमान जितनी जल्दी समझ जाएं, उतना अच्छा।”
- “मुस्लिम समाज ने सुधार नहीं किया।”
- “केवल हिंदू ही भारत को विश्वगुरु बना सकते हैं।”
क्या ये बातें भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता के अनुरूप हैं?
📜 सुप्रीम कोर्ट की पहल और उपराष्ट्रपति का हस्तक्षेप
जब सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजय खन्ना ने इस पर इनक्वायरी कमेटी बनाने की कोशिश की, तभी राज्यसभा सभापति व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बीच में कूद पड़े।
- उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखकर जस्टिस यादव के खिलाफ जांच को रोकने को कहा।
- मार्च 2025 में राज्यसभा सचिवालय ने पत्र भेजा कि मामला ‘हम देख रहे हैं’ — सुप्रीम कोर्ट से ‘हाथ खींचने’ को कहा गया।
यह क्या संविधान की तीनों संस्थाओं (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) के संतुलन पर आघात नहीं है?
🗣️ योगी आदित्यनाथ का खुला समर्थन
15 दिसंबर 2024 को योगी आदित्यनाथ ने भाषण में कहा:
“जो सच बोलते हैं उन्हें धमकाया जा रहा है… यह लोग महाभियोग की धमकी देकर चुप कराना चाहते हैं।”
जब राज्य का मुख्यमंत्री खुद संविधान के विरोधी बयान देने वाले जज के पक्ष में खड़ा हो, तो क्या यह संविधान का समर्थन है या एक विचारधारा का?
⚖️ Impeachment की पहल, लेकिन विलंब क्यों?
- 55 सांसदों ने जस्टिस यादव के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग का नोटिस दिया है (दिसंबर 2024)।
- अब तक उस पर कोई निर्णय नहीं — अभी केवल यह जाँच हो रही है कि साइन असली हैं या नहीं!
क्या यह जानबूझकर टालने की कोशिश नहीं है?
🔬 पहले भी दिए विवादित बयान
जस्टिस शेखर यादव का रिकॉर्ड देखें:
- 2021: गौहत्या केस में कहा कि गाय “ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है” — पूरी तरह विज्ञानविरोधी बयान।
- 2021: “लव जिहाद देश को कमजोर करता है।”
- 2021: संसद को ‘राम-कृष्ण कानून’ लाने चाहिए।
क्या ऐसे बयान देने वाला व्यक्ति संविधान की शपथ का पालन कर सकता है?
💥 बड़ी चिंता: संस्थाएं बंधक हैं?
हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस और कई बड़े अखबारों ने इस मुद्दे को कवर किया। सभी का एक ही निष्कर्ष:
“यह केवल एक जज की बात नहीं, यह भारत की न्यायिक स्वतंत्रता की अग्निपरीक्षा है।”
अगर ऐसे जजों को बचाया जाता रहा, तो कॉन्स्टिट्यूशन के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) — सब सिर्फ कागज़ पर रह जाएंगे।
🚨 निष्कर्ष: सवाल उठाना ज़रूरी है
- क्या कोई High Court Judge, Minority के ख़िलाफ़ Hate Speech देकर कानून से बच सकता है?
- क्या उपराष्ट्रपति का न्यायपालिका में हस्तक्षेप स्वीकार्य है?
- क्या संसद महाभियोग नोटिस पर कार्रवाई करेगी या वह भी दबाव में है?