इरान-इज़रायल युद्ध 2025: क्या यह ट्रंप और नेतन्याहू का “लॉन्ग-प्लान्ड” प्लॉट है?
“In the name of God, war begins.”
यह शब्द थे ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनई के, जिन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सीधे युद्ध की घोषणा कर दी।
इस ऐलान के तुरंत बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान जारी किया, जो न केवल आपत्तिजनक था, बल्कि एक “सुपारी किलर” की भाषा जैसा था:
“हमें पता है तुम्हारा लीडर कहां छिपा है, हम उसे मार सकते हैं… लेकिन अभी नहीं।”
📌 एक झूठ जो युद्ध में बदल गया
इराक के खिलाफ WMD (Weapons of Mass Destruction) वाले झूठ की तरह ही, आज फिर अमेरिका और उसके साथी देश इरान को नाभिकीय खतरा बताकर जंग में झोंकना चाह रहे हैं।
जबकि खुद CIA, GCHQ और अन्य खुफिया एजेंसियां कह चुकी हैं कि इरान के पास कोई नाभिकीय हथियार नहीं है।
⚔️ युद्ध का ग्राउंड ज़ीरो: स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ और हाइपरसोनिक मिसाइल
ईरान ने इज़रायल पर पहली बार अपने ‘फतेह’ क्लास हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया है।
तेल अवीव के आसपास के क्षेत्र में ये मिसाइलें इज़रायल के Iron Dome को चीरती हुई निशाने पर पहुंचीं।
ईरान ने साथ ही यह भी घोषणा की है कि वह अब हॉर्मुज़ की खाड़ी को ब्लॉक करेगा – जिससे दुनिया का 20% तेल ट्रांजिट होता है।
यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका देने वाला कदम साबित हो सकता है।
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: दो हिस्सों में बंटी दुनिया
- G7, फ्रांस, इटली, जर्मनी और यूके ने इस्राइल के ‘आत्मरक्षा अधिकार’ को समर्थन दिया है।
- लेकिन जनता का रुख अलग है — यूरोप और अमेरिका में युद्ध-विरोधी प्रदर्शन तेज़ हो चुके हैं।
पुतिन ने दो टूक कहा:
“इरान तो समझौते में बना रहा, अमेरिका भागा। सज़ा किसे दी जा रही है?”
🔥 क्या ट्रम्प अपनी सत्ता के लिए दुनिया को जलाने को तैयार हैं?
G7 से अचानक लौटते हुए ट्रम्प ने Executive War Order साइन करने की कोशिश की, लेकिन अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सांसदों ने सवाल उठाया:
“क्या ट्रम्प को बिना संसद की अनुमति के युद्ध शुरू करने का हक है?”
इन बयानों से ज़ाहिर होता है कि यह युद्ध अमेरिका के लोकतांत्रिक ढांचे के बाहर जाकर छेड़ा गया संघर्ष है।
📸 झूठ और जेनोसाइड: इस्राइल की पुरानी युद्ध गाथा
नक्शा दिखाता है कि:
- 1956, 1967, 1978, 1982, 2006 – इस्राइल ने मिस्र, लेबनान, जॉर्डन और सीरिया पर हमले किए।
- 2023-2025: फिलिस्तीन में 70,000 से ज़्यादा नागरिक मारे गए, जिनमें 20,000 बच्चे शामिल हैं।
अमेरिका और यूरोप के लिए यह सब ‘रक्षा’ है, लेकिन जब ईरान जवाब देता है तो उसे ‘आतंक’ कहा जाता है।
🧨 साजिश की परतें: मोसाद ऑपरेशन से लेकर खमैनी तक
ईरान का दावा है कि इज़रायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने तेहरान के भीतर नाभिकीय वैज्ञानिकों और रक्षा विशेषज्ञों को मार गिराने की कोशिश की।
और इसके जवाब में, ईरान ने मोसाद की कई यूनिट्स को पकड़ने और नष्ट करने का दावा भी किया है।
🧭 दुनिया के आगे सवाल: क्या यह युद्ध या मानवता की हत्या?
- क्यों G7 के देश जेनोसाइड पर चुप हैं?
- क्या ट्रम्प सत्ता की लालसा में दुनिया को धकेल रहे हैं एक और अफगानिस्तान?
- क्यों यूरोपीय नेता युद्ध के समर्थन में हैं जबकि जनता विरोध में सड़कों पर है?
📊 बेबाक विश्लेषण: यही ट्रम्प की वापसी की रणनीति है?
युद्ध का शोर ट्रम्प के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार में मदद कर सकता है।
और नित्यान्याहू को अंतरराष्ट्रीय वार क्रिमिनल टैग से बचाने का एक और प्रयास भी हो सकता है।