June 16, 2025 7:57 am
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ईरान ने किया इज़रायल पर तगड़ा जवाबी हमला

तेहरान पर हमले के जवाब में इरान ने तेल अवीव को निशाना बनाया। क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत है? जानिए भारत की भूमिका और वैश्विक निहितार्थ।

तेहरान से तेल अवीव तक: इरान की जवाबी कार्रवाई और तीसरे विश्व युद्ध की आहट

मध्य एशिया एक बार फिर बारूद के ढेर पर बैठा है। इजराइल द्वारा तेहरान पर किए गए मिसाइल हमलों का जवाब अब इरान ने अपनी शैली में दिया है — तेल अवीव में धमाके, मोसाद हेडक्वार्टर पर हमला और नेटन्याहू की सुरक्षा को लेकर संशय। यह एक ऐसा क्षण है जो न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया के सामने यह सवाल रखता है — क्या तीसरा विश्व युद्ध अब शुरू होने वाला है?

🧨 तेहरान से तेल अवीव तक: युद्ध की तीव्र होती लपटें

  • इजराइल ने 20 से अधिक ईरानी सैन्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों को मार गिराया।
  • जवाब में, ईरान ने मोसाद के हेडक्वार्टर पर सीधा हमला बोला
  • तेल अवीव की सड़कों पर आगजनी और अफरा-तफरी की तस्वीरें सामने आ रही हैं।

🛰️ Iron Dome फेल? सोशल मीडिया की सच्चाई या प्रोपेगेंडा

ट्विटर (X) और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर कई वीडियो शेयर किए जा रहे हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि:

  • Israel का Iron Dome सिस्टम मिसाइल रोकने में विफल रहा।
  • मोसाद का केंद्र ‘हक क्रिया’ तबाह हो गया।

हालांकि इन रिपोर्ट्स की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन दहशत का माहौल स्पष्ट रूप से बन चुका है।

🇺🇸 अमेरिका की भूमिका: ट्रंप और दोहरी चाल

ट्रंप कह रहे हैं: “I know all the war plans.”

  • ट्रंप का कहना है कि इजराइल को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है।
  • हमला इजराइल ने नहीं, इराक स्थित अमेरिकी बेस से किया गया — यह संकेत अमेरिका की प्रत्यक्ष भागीदारी की पुष्टि करता है।

🇮🇳 भारत की चुप्पी: अवसरवाद या रणनीतिक भूल?

संयुक्त राष्ट्र में जब सीज़फायर पर वोट हुआ, तो:

  • भारत वोटिंग से अनुपस्थित रहा
  • पाकिस्तान, भूटान जैसे देश भी सीज़फायर के पक्ष में खड़े हुए, लेकिन भारत नहीं।

भारत का ईरान से गहरा रिश्ता है:

  • चाबहार पोर्ट में भारत का भारी निवेश
  • ऊर्जा के लिए ईरानी तेल पर निर्भरता
  • अडानी ग्रुप पर अमेरिका में आरोप कि वह गुपचुप ईरानी तेल खरीद रहा है

तो फिर भारत का मौन क्यों?

🛢️ चाबहार का सवाल और भारत की रणनीतिक उलझन

“Sunday Guardian” की रिपोर्ट के अनुसार:

यदि ईरान को नुकसान होता है, तो भारत की चाबहार परियोजना संकट में आ जाएगी।
इससे भारत की पाकिस्तान विरोधी रणनीति और सेंट्रल एशिया कनेक्टिविटी पर सीधा असर पड़ेगा।

🧨 जियोपॉलिटिकल रिएक्शन: कौन किसके साथ?

देशरुख
🇷🇺 रूसइरान के साथ
🇨🇳 चीनइजराइल की आलोचना में मुखर
🇰🇵 उत्तर कोरियासैन्य सहयोग का संकेत
🇸🇦 सऊदी अरबपहली बार इजराइल के हमले को ‘अमानवीय’ कहा
🇵🇰 पाकिस्तानसीजफायर के पक्ष में वोट

🧠 ट्रंप के भक्त और शांति की ‘बॉम्बिंग’

एक ट्रम्प समर्थक ट्वीट करता है:

“Congratulations Israel for the most peaceful bombing on Iran.”

यह व्यंग्य नहीं, वास्तविक बयान है। यही बताता है कि किस तरह वैश्विक जनमत और नैतिक बोध का पतन हो चुका है।

💣 तीसरे विश्व युद्ध की आहट?

  • इज़रायल द्वारा न्यूक्लियर वैज्ञानिकों की हत्या
  • Netanyahu का भाषण — “हमें ईरानी शासन से नहीं, ईरानी जनता से प्रेम है।”
  • ईरान का पलटवार — “अब अमेरिका से कोई परमाणु वार्ता नहीं होगी।”

यह संघर्ष अब राजनीतिक नहीं, सर्वाइवल की लड़ाई बन चुका है।

🔚 निष्कर्ष: भारत को क्या करना चाहिए?

  1. संयुक्त राष्ट्र में स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए।
  2. चाबहार और तेल नीति के दीर्घकालिक परिणामों का मूल्यांकन करना चाहिए।
  3. साफ़ करें कि भारत किस ओर खड़ा है — मानवता के या सामरिक चुप्पी के।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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