बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणी पर कई हलकों से उठे सवाल
भारत में न्यायपालिका की प्रतिष्ठा हमेशा मानवाधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षक रही है। लेकिन हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट की एक टिप्पणी ने इन मूल्यों पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
मुद्दा क्या है?
CPI और अन्य वाम दलों ने गाज़ा में हो रहे नरसंहार और बच्चों की भूख से हो रही मौतों के खिलाफ मुंबई में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी। मुंबई पुलिस ने इसे अस्वीकार कर दिया और मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अनुमति देने से इनकार किया—यह अलग विषय है—लेकिन जिस भाषा में उन्होंने अपनी टिप्पणी दी, वह चिंताजनक है।
कोर्ट का विवादित ऑब्ज़र्वेशन
मिलॉर्ड्स ने कहा: “Show patriotism for citizens of our own country first.” यानी पहले अपने देश के नागरिकों के लिए देशभक्ति दिखाओ। यह वाक्य गाज़ा के भूखे बच्चों, भूख से मरते डॉक्टरों और पूरी एक पीढ़ी के खात्मे की ओर इशारा करने वालों के लिए एक अपमानजनक संदेश है।
क्या मानवता देशभक्ति से टकराती है?
संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि स्वयं कह रहे हैं कि गाज़ा में जो हो रहा है, वह अस्वीकार्य है। भारत हमेशा फिलिस्तीन का समर्थन करता आया है—हम पहले गैर-अरब देश हैं जिसने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।
फिर कोर्ट की यह टिप्पणी क्या दर्शाती है? क्या अब यह पूछना कि कोई बच्चा भूख से क्यों मर रहा है, देशविरोध हो गया?
🌐 अंतरराष्ट्रीय सन्दर्भ
- UN रिपोर्ट के अनुसार, गाज़ा की 100% आबादी भुखमरी के संकट में है।
- 650,000 से अधिक बच्चे पिछले 20 महीनों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
- पिछले तीन दिनों में 110 से अधिक लोग भूख से मरे हैं, जिनमें से 80 बच्चे हैं।
📢 विरोध का अधिकार = लोकतंत्र की आत्मा
भारत में Black Lives Matter के लिए सॉलिडेरिटी मार्च हुए, शेख हसीना के समर्थन में प्रोटेस्ट हुए, और यूक्रेन के भारतीय छात्रों को बचाने की अपील हुई। इन पर किसी ने देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाया। तो फिर गाज़ा के बच्चों के लिए क्यों?
क्या आज देशभक्ति इतनी संकीर्ण हो गई है कि उसमें मानवता की कोई जगह नहीं बची?
मार्टिन लूथर किंग को याद करें
“Injustice anywhere is a threat to justice everywhere.”
कहीं भी अन्याय हो रहा है, वह हर जगह के न्याय के लिए खतरा है। और गाज़ा में जो हो रहा है वह सीधा-सीधा भूख के माध्यम से एक पीढ़ी को मिटाने की साज़िश है—Starvation Genocide।
🧭 निष्कर्ष
भारत की छवि “वसुधैव कुटुंबकम” की रही है। गाज़ा में जो हो रहा है, उस पर चुप रहना न सिर्फ अनैतिक है बल्कि यह भारत की आत्मा के खिलाफ है। बॉम्बे हाईकोर्ट को यह समझने की आवश्यकता है कि इंसानियत को देशभक्ति से अलग नहीं किया जा सकता।