ऑपरेशन सिंदूर पर फंसी बीजेपी और अमित मालवीय की चुप्पी
31 मई 2025 को ‘रोजनामा’ के यूट्यूब लाइव में आज का एपिसोड सीधे सीधे भारतीय जनता पार्टी की उस रणनीति पर निशाना साधता है जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम पर महिलाओं की भावनाओं और धार्मिक प्रतीकों का चुनावी औजार की तरह उपयोग करने में जुटी है। लेकिन इस बार यह ‘ऑपरेशन’ उल्टा पड़ गया है।
28 मई: सिंदूर की खबर और ‘फर्जी’ का खेल
28 मई की सुबह दैनिक भास्कर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि बीजेपी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत घर-घर सिंदूर बांटने का अभियान शुरू कर रही है। अखबार के मुताबिक यह कार्यक्रम 9 जून से शुरू होने वाला था। खबर में भाजपा के ‘आउटरीच प्रोग्राम’ की विस्तृत जानकारी भी थी।
29 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पश्चिम बंगाल में ‘सिंदूर खेला’ के नाम पर जनसभा करने पहुंचे। पार्टी के प्रवक्ताओं से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं ने गर्व से इस कार्यक्रम की पैरवी की। लेकिन दो दिन बाद, 30 मई को दोपहर 3:38 बजे अचानक बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि भास्कर की रिपोर्ट फर्जी है।
ढाई दिन की चुप्पी: सवालों की बौछार
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर खबर झूठी थी, तो बीजेपी और अमित मालवीय ने दो दिन तक चुप्पी क्यों साधे रखी?
- 28 मई से लेकर 30 मई दोपहर तक अमित मालवीय ने कई ट्वीट किए, ममता बनर्जी पर भी हमला बोला, लेकिन इस “फर्जी खबर” पर कुछ नहीं कहा।
- पार्टी के प्रवक्ताओं ने चैनलों पर बैठकर ऑपरेशन सिंदूर की वकालत की।
- अब जब ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से तीखा सवाल पूछा कि “क्या मोदी हर महिला के पति हैं?”, तो मालवीय को ब्रह्मज्ञान प्राप्त हुआ?
रिपोर्ट का खंडन और दैनिक भास्कर की सफाई
30 मई को भास्कर ने स्पष्टीकरण छापा कि वह खबर सूत्रों पर आधारित थी और गलती के लिए खेद है। परंतु सवाल यह है कि क्या सिर्फ सिंदूर बांटने वाला हिस्सा गलत था? रिपोर्ट में बाक़ी सभी घोषणाएं—बीजेपी के कार्यक्रम, योजनाएं—जैसी की तैसी हैं।
इसका अर्थ साफ है: बीजेपी को तब तक रिपोर्ट से आपत्ति नहीं थी जब तक ममता बनर्जी ने उसे पब्लिकली चुनौती नहीं दी।
भाजपा प्रवक्ताओं का दोहरा चरित्र
News24 और अन्य चैनलों के वीडियो सामने आए जहाँ भाजपा प्रवक्ता ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पुष्टि कर रहे थे। लेकिन जैसे ही सवालों की बौछार बढ़ी, वही प्रवक्ता यू-टर्न लेने लगे—“ऐसा कोई कार्यक्रम है ही नहीं।”
इतना ही नहीं, पूरे देश में भाजपा कार्यकर्ताओं ने ‘सिंदूर गर्व है’, ‘सिंदूर पहचान है’ जैसे नारों के साथ प्रचार किया। क्या यह सब भास्कर की गलती थी?
ट्रंप और मोदी: अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी परेशानी
इसी बीच अमेरिका से आ रही खबरों में डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार मोदी सरकार का नाम लेकर यह साबित करने की कोशिश की कि उन्हें व्यापारिक आपात स्थितियों में हस्तक्षेप की शक्ति क्यों चाहिए। मोदी सरकार की ‘सीजफायर डील’ का क्रेडिट भी ट्रंप ले रहे हैं।
तो सवाल यह भी है:
क्या मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ट्रंप के झूठ से लड़ने को तैयार नहीं है?
“वन नेशन, वन सिंदूर?”
ममता बनर्जी ने एक तीखा और जरूरी सवाल उठाया—क्या नरेंद्र मोदी हर महिला के पति हैं?
यह सवाल सिर्फ राजनीतिक कटाक्ष नहीं था, बल्कि उस गहरे पितृसत्तात्मक और संघीय वर्चस्व की राजनीति पर सीधा प्रहार था जिसमें स्त्री की agency को हटा कर उसे प्रतीकों में समेटा जा रहा है।