July 17, 2025 7:26 am
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अब तो सवाल करना भी जुर्म हुआ

बिहार में वोट बंदी पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार अजीत अंजुम पर FIR। विपक्ष और पत्रकार संगठनों में गुस्सा। जानिए पूरा मामला।

पत्रकार अजीत अंजुम पर FIR से घमासान, “झूठ की खेती” पर उतरा मोदी सिस्टम

बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया ने राजनीतिक भूचाल ला दिया है। अब इस प्रक्रिया की ग्राउंड रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम पर FIR दर्ज होने से मीडिया, विपक्ष और जागरूक जनता में जबरदस्त गुस्सा है। आखिर सच्चाई दिखाने पर पत्रकारों पर हमला क्यों?

क्या है मामला?

बिहार में 8 करोड़ मतदाताओं की सूची का पुनरीक्षण किया जा रहा है। आरोप है कि इस प्रक्रिया में दो करोड़ से अधिक गरीब, प्रवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक मतदाताओं के नाम काटे जा सकते हैं। इस वोट बंदी पर जब पत्रकार अजीत अंजुम ने गांव-गांव जाकर रिपोर्टिंग की, तो उनके खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई।

इस FIR में आरोप है कि उनकी रिपोर्ट सांप्रदायिक तनाव फैला रही है और सद्भाव को नुकसान पहुंचा रही है। सवाल उठता है – क्या सच दिखाना अब अपराध है?

दीपंकर भट्टाचार्य का बड़ा बयान

भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा:

“बिहार में चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया दरअसल चुनाव चुराने की तैयारी है। SIR के नाम पर गरीबों के वोट काटे जा रहे हैं। अजीत अंजुम जैसे पत्रकार जो सच दिखा रहे हैं, उन पर कार्रवाई लोकतंत्र की हत्या है।”

FIR में क्या लिखा है?

FIR के मुताबिक अजीत अंजुम की ग्राउंड रिपोर्ट में:

  • अधूरे फॉर्म और गलत दस्तावेजों को दिखाया गया।
  • BLO और स्थानीय अधिकारियों के कथित भ्रष्टाचार की सच्चाई दिखाई गई।
  • ग्रामीणों के बयान दिखाए गए जिन्होंने कहा कि उनसे जबरन दस्तखत कराए जा रहे हैं, उन्हें कोई पावती नहीं दी जा रही, और WhatsApp से फॉर्म भरने का दबाव बनाया जा रहा है।

इस रिपोर्ट को ‘सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाला’ बताकर FIR की गई। जबकि रिपोर्ट में कहीं कोई सांप्रदायिक टिप्पणी नहीं थी। यह सीधा सिस्टम की पोल खोलने का मामला है।

विपक्ष ने क्या कहा?

सभी विपक्षी दल – RJD, Congress, CPI(ML), SP, DMK, TMC – अजीत अंजुम के पक्ष में आ गए हैं। तेजस्वी यादव ने कहा:

“यह पत्रकार पर नहीं, लोकतंत्र पर हमला है। पत्रकार को सच दिखाने पर डराना शर्मनाक है।”

चुनाव आयोग का रोल सवालों के घेरे में

  1. आधार कार्ड को अमान्य क्यों किया गया?
    1. SC ने कहा था आधार मान्य दस्तावेज है।
    1. सरकार खुद आधार जारी करती है, अब उसी को अवैध बता रही है।
  2. 11 दस्तावेज क्यों मांगे गए?
    1. मेट्रिक सर्टिफिकेट से लेकर, जन्म प्रमाण पत्र, माता-पिता का प्रमाण पत्र, जमीन के कागज – सब मांगे जा रहे हैं।
    1. क्या गरीब ग्रामीण महिलाएं, दिहाड़ी मजदूर ये सब दे पाएंगे?
  3. 35 लाख नाम हटाने की खबर पहले कैसे?
    1. जब प्रक्रिया खत्म नहीं हुई, अपील का मौका भी बाकी है, तो 35 लाख नाम हटाने की खबरें क्यों छप रहीं?

पत्रकारों पर हमले का क्या अर्थ है?

  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आधार को अमान्य बताना।
  • BLO पर जबरन फॉर्म भरने का दबाव।
  • भास्कर की रिपोर्ट – फॉर्म खेतों में भरे जा रहे, WhatsApp से फोटो लेकर अपलोड।
  • एक शिक्षक की मौत – परिजनों ने आरोप लगाया कि SIR के दबाव में आत्महत्या की।
  • अब पत्रकारों पर FIR।

यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं बल्कि तानाशाही का संकेत है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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