July 17, 2025 7:45 am
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कौन हैं जो पिता के हाथों राधिका की हत्या को जायज़ ठहरा रहे

हरियाणा की टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या उसके पिता ने की। हत्या के बाद सोशल मीडिया पर इसे लव जिहाद का रंग देने की कोशिश की गई। पढ़िए हत्या की असल वजह और पितृसत्ता, नफरत की राजनीति का विश्लेषण।

राधिका हत्याकांड: हॉरर किलिंग को लव जिहाद का एंगल देने की साज़िश

राधिका बार-बार मारी जा रही है।
कभी पिता के हाथों, कभी पति के हाथों, कभी पुत्र के हाथों, कभी समाज, सिस्टम, नफरती ट्रोल आर्मी, और कभी TRP के भूखे गोधी मीडिया के हाथों।
लेकिन असल सवाल यह है – आखिर क्यों मारी गई राधिका यादव?

घटना क्या थी?

10 जुलाई 2025, हरियाणा के गुरुग्राम स्थित सुशांत लोक।
25 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी और कोच राधिका यादव की उसके पिता दीपक यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी।
पुलिस के अनुसार, राधिका को 3-4 गोलियां मारी गईं, जो उसके सीने और पीठ में लगीं। घटना के तुरंत बाद दीपक यादव को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस रिमांड के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

राधिका की पढ़ाई और करियर

राधिका यादव ने टेनिस में राष्ट्रीय स्तर तक खेला था। उसने उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद टेनिस कोचिंग को अपना करियर बनाया।
हाल ही में वह अलग-अलग कोर्ट बुक कर बच्चों और युवाओं को प्रशिक्षण दे रही थी।
पुलिस जांच में सामने आया कि उसने अपनी कोई स्थायी अकादमी नहीं खोली थी, बल्कि फ्रीलांस टेनिस कोच के तौर पर काम कर रही थी।
परिवार में उसकी आर्थिक स्वतंत्रता और सफलता को लेकर विवाद था। पिता बेटी की कमाई पर निर्भर था और पड़ोसियों व रिश्तेदारों के तानों से चिढ़ता था।

हत्या के बाद कैसा नैरेटिव खड़ा किया गया?

सोशल मीडिया पर हत्या को ‘लव जिहाद’ से जोड़ने की कोशिश की गई।
कुछ हिंदुत्ववादी पेज और यूजर्स ने राधिका के एक पुराने म्यूजिक वीडियो को आधार बना कर दावा किया कि उसका एक मुस्लिम युवक से संबंध था।
जबकि वीडियो में शामिल सिंगर इनामुल हक ने स्पष्ट कहा कि उनका राधिका से कोई निजी रिश्ता नहीं था, केवल पेशेवर संबंध था।
राधिका की करीबी दोस्त हिमांशिका राजपूत ने भी बताया कि वह किसी रिलेशनशिप में नहीं थी।

पितृसत्ता, नैतिकता के ठेकेदार और ‘धर्मरक्षक’ पिता

पिता दीपक यादव ने खुद को ‘धर्मरक्षक’ और नैतिकता का ठेकेदार बताने की कोशिश की।
उसने अपनी बेटी की हत्या को ‘कन्या वध’ बताया।
यह साफ दर्शाता है कि बेटी की स्वतंत्रता और अस्मिता को कुचलना ही उसका मकसद था।
लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया ने भी विक्टिम ब्लेमिंग की।
राधिका को ही ‘गलत’ और पिता को ‘मजबूर’ साबित करने की कोशिश की गई।
यह वही सोच है जो पुरुषवाद, पितृसत्ता और साम्प्रदायिक राजनीति के गठजोड़ से पैदा होती है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और ‘पश्चिमी संस्कृति’ का राग

हरियाणा के पूर्व सीएम और मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा,

“यह घरेलू मामला है, जांच पूरी होने तक कुछ कहना उचित नहीं… लेकिन यह पश्चिमी संस्कृति का नतीजा भी है।”

महावीर सिंह फोगाट ने कहा,

“पिता को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए था… लेकिन बच्ची की भी गलती थी।”

इन बयानों में महिला की स्वतंत्रता को दोषी ठहराने का पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण साफ झलकता है।

महिलाओं के प्रति हरियाणा का विरोधाभास

हरियाणा में महिलाओं ने खेलों और शिक्षा में देश-विदेश में नाम कमाया है।
फिर भी सेक्स रेशियो चिंताजनक बना हुआ है।
2024 के आंकड़ों के अनुसार, हर 1000 लड़कों पर केवल 910 लड़कियां जन्मीं।
भ्रूण हत्या, ऑनर किलिंग, घरेलू हिंसा आम हैं।
राधिका की हत्या उसी लंबी श्रृंखला का हिस्सा है।

धार्मिक रंग देकर हिंसा को जायज ठहराना

BJP और RSS द्वारा दशकों से फैलाए गए इस्लाम विरोधी जहर का नतीजा है कि हर महिला की हत्या को भी लव जिहाद का रंग देकर जायज ठहराया जाता है।
प्रतीक सिन्हा (Alt News) के शब्दों में,

“यह सब BJP-RSS द्वारा फैलाए गए उस जहर का परिणाम है, जिसमें अब पिता द्वारा बेटी की हत्या भी धर्म की रक्षा के नाम पर महिमामंडित की जाती है।”

निष्कर्ष

राधिका यादव की हत्या सिर्फ एक बेटी की हत्या नहीं, पूरे समाज और व्यवस्था की विफलता है।
जब कोई महिला अपनी आज़ादी, पढ़ाई, करियर या प्रेम का चुनाव करती है, तो उसका अपराध सिद्ध मान लिया जाता है।
समाज को सोचने की ज़रूरत है –
क्या बेटियों की आज़ादी सचमुच हमें इतनी डराती है?

मुकुल सरल

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