July 10, 2025 8:07 am
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क्या मोदी सरकार ने यह जिम्मा RSS को दे दिया है?

मणिपुर हिंसा के बीच RSS ने शांति बहाली का दावा किया है। क्या मोदी सरकार ने मणिपुर का ठेका संघ को दे दिया है? पढ़िए यह विस्तृत विश्लेषण।

मणिपुर व भाषा के मुद्दे पर क्या मोदीजी के बदले जवाब दे रहा है संघ

मणिपुर एक बार फिर चर्चा में है। बीते साल मई 2023 से सुलग रही इस भूमि पर अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के ‘शांति प्रयासों’ की चर्चा हो रही है। सवाल उठ रहा है – क्या मणिपुर का ठेका मोदी सरकार ने RSS को दे दिया है?

RSS का दावा: ‘हम समाधान निकाल लेंगे’

दिल्ली में हुई हालिया बैठक के बाद RSS ने दावा किया है कि मणिपुर में स्थिति पहले से बेहतर है और वह जल्दी ही समाधान निकालेगा। यह वही मणिपुर है जहां पिछले साल से लगातार हिंसा जारी है, हजारों लोग विस्थापित हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक वहां कदम नहीं रखा।

सवाल यह है कि जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है, केंद्र सरकार की सीधी जिम्मेदारी है, तब RSS किस भूमिका में वहां काम कर रहा है?

सुपर सरकार बनता RSS

यह पहली बार नहीं है जब संघ ने खुद को ‘संकटमोचक’ बताया हो। लेकिन लोकतांत्रिक ढांचे में कोई भी धार्मिक या स्वयंसेवी संगठन, जिसे जनता ने चुना नहीं, जिसके प्रति कोई जवाबदेही नहीं, अगर सरकार जैसी भूमिका निभाने लगे तो यह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।

कल्पना कीजिए, अगर कोई मुस्लिम संगठन या चर्च यह कहे कि ‘हम राज्य का संकट सुलझा देंगे’, तो क्या भारतीय राजनीति और मीडिया का रवैया ऐसा ही होता?

मणिपुर की त्रासदी और RSS की राजनीति

मणिपुर की मौजूदा हिंसा मैतेई बनाम कुकी की हिंसा है। इसमें गहरा नस्लीय और सांप्रदायिक विभाजन है। मैतेई समाज में हिंदू बहुलता है जबकि कुकी और अन्य आदिवासी समुदायों में ईसाई बहुलता है। हिंसा के दौरान 300 से अधिक चर्चों को जलाया गया, लेकिन इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की चुप्पी कायम रही।

प्रधानमंत्री मोदी ने कभी मणिपुर जाने की हिम्मत नहीं दिखाई। अब RSS दावा कर रहा है कि वह शांति स्थापित करेगा।

कब से सक्रिय है RSS मणिपुर में?

RSS मणिपुर के मैतेई समाज में 1960 के दशक से काम कर रहा है, लेकिन 1980 के बाद इसकी पकड़ और तेज़ हुई। आज RSS के स्कूल, शाखाएं, और संगठन मैतेई इलाकों में गहराई से जड़ें जमाए हुए हैं। यही वजह है कि मणिपुर की राजनीति में RSS की ‘सुपर सरकार’ जैसी भूमिका को लेकर चिंताएं और गहरी हो गई हैं।

विपक्ष का आरोप: लोकतांत्रिक जिम्मेदारी से भाग रही मोदी सरकार

संसद में विपक्षी सांसदों ने कहा कि मोदी सरकार ने मणिपुर की संवैधानिक जिम्मेदारी छोड़ दी है और RSS को संकट प्रबंधन का जिम्मा सौंप दिया है। इस बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को हटाने की बजाय उनकी कुर्सी बचाए रखना भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

RSS की बैठक के बाद जिस तरह मणिपुर में अपनी ‘सघन मौजूदगी’ का दावा किया गया, उससे साफ है कि सुपर सरकार का खेला जारी है।

सवाल बड़ा है

  • मणिपुर जैसे ज्वलंत संकट में elected government की जगह एक संगठन कैसे हस्तक्षेप कर सकता है?
  • क्या यह लोकतंत्र को कमजोर करना नहीं?
  • क्या मोदी सरकार देश को invisible RSS सरकार के हवाले कर रही है?

निष्कर्ष

मणिपुर के जलते सवाल पर RSS का यह दावा भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और संवैधानिक व्यवस्था को सीधी चुनौती दे रहा है। यह लेख केवल मणिपुर ही नहीं, पूरे देश को चेतावनी है कि अगर जवाबदेही रहित संगठन सत्ता चलाएंगे तो संविधान, लोकतंत्र और न्याय – तीनों पर गंभीर संकट खड़ा होगा।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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