अपने मंत्री पर कब एक्शन लेगी भाजपा, कब बरखास्त करेंगे उसे नीतीश बाबू
बिहार में इन दिनों सियासी माहौल गर्म है। एक तरफ चुनावी वोटबंदी का खेल जारी है तो दूसरी तरफ बीजेपी के मंत्री जीवेश मिश्रा का नकली दवाओं का मामला तूल पकड़ रहा है। सवाल है – पार्टी विथ डिफरेंस खुद को कहने वाली बीजेपी इस फर्जीवाड़े पर कब एक्शन लेगी?
क्या है पूरा मामला?
बीजेपी नेता और बिहार के नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा को अदालत ने नकली दवाओं के मामले में दोषी करार दिया है। यह मामला 2010 का है, जब राजस्थान के राजसमंद में आल्टो हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से उनकी कंपनी ने क्रिपोलीन 550 टैबलेट में मिलावट की थी। यह टैबलेट यूरीन इंफेक्शन और फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में दी जाती है।
अदालत ने मिश्रा और उनकी कंपनी समेत अन्य दोषियों को सजा सुनाई। मिश्रा इस कंपनी के निदेशक थे। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इतने गंभीर अपराध के बावजूद मंत्री पद पर उनका टिके रहना जारी है।
बीजेपी और नीतीश कुमार चुप क्यों हैं?
मामला सामने आने के बाद विपक्ष ने तत्काल बर्खास्तगी की मांग की। लेकिन बीजेपी और नीतीश कुमार दोनों खामोश हैं। याद दिला दें कि जीवेश मिश्रा मधेपुरा के लोकाहा से विधायक हैं और उनकी गिनती बीजेपी के बड़े नेताओं में होती है। आरएसएस और एबीवीपी से भी उनका गहरा जुड़ाव रहा है।
क्या बीजेपी सिर्फ विपक्षी नेताओं पर ही त्वरित कार्रवाई करेगी? राहुल गांधी को ही देख लीजिए – मार्च 2023 में अपराधिक मानहानि (क्रिमिनल डिफेमेशन) के मामले में सूरत कोर्ट ने दो साल की अधिकतम सजा सुनाई थी और उनकी लोकसभा सदस्यता तुरंत चली गई। लेकिन यहां नकली दवा का दोषी मंत्री बिना किसी कार्रवाई के सत्ता में बैठा है।
फर्जी दवा से किसका नुकसान?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि फर्जी दवा का असर सीधे गरीब मरीजों पर पड़ा। स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील सेक्टर में मिलावट माफ नहीं हो सकती। इसके बावजूद बीजेपी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी बहुत कुछ कहती है।
क्या मोदी जी की पार्टी ‘पार्टी विथ डिफरेंस’ नकली दवा के सौदागर को मंत्री पद से हटाने का साहस दिखा पाएगी? या फिर राजनीति और अपराध का गठजोड़ यूं ही जारी रहेगा?
यह मामला बिहार में ही नहीं, पूरे देश में जनता को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि आखिर कब जनता की सेहत, सियासत से बड़ी मानी जाएगी।