July 10, 2025 8:02 am
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महाराष्ट्र में तीन माह में 767 किसानों ने की आत्महत्या

महाराष्ट्र में सिर्फ तीन महीनों में 767 किसानों ने आत्महत्या की। गृह मंत्री अमित शाह के दावों और सरकार के आंकड़ों में भारी विरोधाभास। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

शाह के दावों की पोल खोलते उनकी ही सरकार के आंकड़े

“767 सिर्फ आंकड़ा नहीं, 767 उजड़े हुए घर हैं।” लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के ये शब्द महराष्ट्र के किसानों की असलियत बयां करते हैं। हाल ही में केंद्र और महाराष्ट्र की डबल इंजन सरकारें किसानों की स्थिति सुधारने के अपने दावों का खूब प्रचार कर रही थीं। लेकिन महज तीन महीनों में 767 किसानों की आत्महत्या ने इन दावों की सच्चाई सामने ला दी।

गृह मंत्री अमित शाह का दावा और हकीकत

20 जून को मुंबई में ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025’ के मौके पर गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार की नीतियों से महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या रुकी हैं। उन्होंने दावा किया कि जलयुक्त शिवार जैसी योजनाओं से विदर्भ और मराठवाड़ा के सूखा प्रभावित जिलों में हालात सुधरे हैं।

लेकिन 10 दिन बाद ही सरकार के अपने आंकड़े उनके दावों को झुठला रहे हैं। महाराष्ट्र विधान परिषद में राहत और पुनर्वास मंत्री मकरंद जाधव पाटिल ने बताया कि साल 2025 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में ही 767 किसानों ने आत्महत्या की।

सरकारी जवाब में खुली हकीकत

यह जवाब कांग्रेस, एनसीपी और अन्य विपक्षी विधायकों के सवाल पर दिया गया। इनमें से 373 मामलों को मुआवजा के लिए पात्र पाया गया, 200 किसानों को अपात्र करार दिया गया और 194 मामलों की जांच अभी जारी है।

मराठवाड़ा के आंकड़े

सिर्फ मराठवाड़ा क्षेत्र में तीन महीनों में 269 किसानों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल की तुलना में ज्यादा है।

  • 2023 में: 2851 आत्महत्याएं
  • 2024 में: 2635 आत्महत्याएं

क्यों बढ़ रही हैं आत्महत्याएं?

किसान संगठनों का कहना है कि

  • फसल बीमा, कर्जमाफी और मुआवजे के वादे अधूरे हैं
  • सरकारी सहायता के मामलों में बड़े पैमाने पर किसानों को अपात्र घोषित किया जाता है
  • डीजल, खाद, बीज के दाम आसमान छू रहे हैं
  • MSP गारंटी कानून अब तक नहीं आया

राहुल गांधी का तीखा हमला

राहुल गांधी ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा –

“767 सिर्फ आंकड़ा नहीं, 767 उजड़े हुए घर हैं। किसान हर दिन कर्ज में डूब रहा है, बीज महंगा, खाद महंगी, डीजल महंगा – लेकिन MSP की कोई गारंटी नहीं। अम्बानी का 48,000 करोड़ का लोन माफ हो सकता है लेकिन किसान की कर्जमाफी नहीं।”

उन्होंने लिखा कि मोदी सरकार का दावा था किसानों की आमदनी दोगुनी करने का, लेकिन हकीकत यह है कि “उनकी जिंदगी आधी हो रही है।”

विपक्ष का वॉकआउट

तीन जुलाई को मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने किसानों की आत्महत्या और सोयाबीन फसल की खरीद का पैसा न मिलने का मुद्दा उठाया और सदन से वॉकआउट किया।

अंत में

यह आत्महत्या नहीं, व्यवस्था की हत्या है। एक ऐसी व्यवस्था जो कर्ज, महंगाई, और उपेक्षा के जाल में किसानों को आत्महत्या के मुहाने तक ले जाती है।

जैसा वीडियो में कहा गया

“जाल दर जाल बिछा कर हुई हैं हत्याएं, आप कहते हैं किसानों ने खुदकुशी कर ली।”

मुकुल सरल

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