August 9, 2025 5:50 am
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क्या फंस गए मोदी! दोस्त ट्रंप ने लगा दिया 25% टैरिफ़ और ऊपर से पेनल्टी

डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 25% टैरिफ और जुर्माना लगाया है। क्या मोदी सरकार अमेरिका के इस दबाव में फँस गई है? जानिए इस फैसले का भारत की अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और मोदी-ट्रम्प मित्रता पर असर।

अमेरिकी राष्ट्रपति के ऐलान से दोनों देशों के रिश्तों में आएगी गहरी दरार भी

“अबकी बार ट्रम्प सरकार!” — यह नारा 2020 में नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के चुनावी रैली में लगवाया था। मगर पांच साल बाद वही ट्रम्प, भारत पर 25% टैरिफ और जुर्माना लगाकर लौटे हैं। सवाल ये है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी अपनी ही ‘विशेष मित्रता’ में फँस चुके हैं?

डोनाल्ड ट्रम्प ने Truth Social पर एलान किया कि भारत अब अमेरिका की व्यापारिक नज़रों में “दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश” है और इसलिए अमेरिका भारत पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है। यह घोषणा ऐसे समय आई है जब मोदी सरकार पहले ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर वैश्विक कूटनीतिक दबाव में है।

भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में दरार

ट्रम्प का तर्क यह है कि भारत ने अमेरिका के लिए बाज़ार नहीं खोला, जबकि खुद रूस से हथियार और तेल खरीदता रहा। ट्रम्प ने यह भी आरोप लगाया कि भारत “नॉन-मोनेटरी ट्रेड बैरियर्स” के जरिए अमेरिकी कंपनियों का रास्ता रोकता है।

यह आरोप नए नहीं हैं। अप्रैल में ट्रम्प ने भारत पर 27% टैरिफ लगाया था। लेकिन तब दुनिया के बाकी देश भी ट्रम्प के निशाने पर थे। इस बार निशाना सीधा और एकतरफा है — भारत।

मोदी-ट्रम्प मित्रता पर सवाल

नरेंद्र मोदी और ट्रम्प की ‘दोस्ती’ की तस्वीरें सबको याद हैं — “Howdy Modi!”, “Namaste Trump!”, और “अबकी बार ट्रम्प सरकार!” जैसे नारे। मगर ट्रम्प के ताज़ा एक्शन ने इस दोस्ती को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

वरिष्ठ पत्रकार निधि राजदान ने लिखा:

“With this announcement, Donald Trump has severely damaged the India-U.S. relationship.”

राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि यह विदेश नीति की विफलता का बड़ा संकेत है।

क्या भारत फँस गया है?

बेबाक भाषा टीम ने पहले ही अपने कार्यक्रमों में चेताया था कि भारत “कूटनीतिक चक्रव्यूह” में फँस रहा है।

ट्रम्प बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि “सीज़फायर मैंने करवाया”, यानी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत-पाक संघर्षविराम उनकी देन है। यह बात भारत की संप्रभुता को सीधे चुनौती देती है।

राहुल गांधी ने भी संसद के बाहर इस मुद्दे को उठाया और कहा:

“भारत की विदेश नीति ट्रम्प के झांसे में फँस गई है। एक तरफ सीज़फायर करवा दिया, दूसरी तरफ टैरिफ ठोक दिया।”

टैरिफ का असर: भारत की अर्थव्यवस्था पर संकट

25% टैरिफ का सीधा असर भारत के निर्यात पर होगा — खासतौर से टेक्सटाइल, फार्मा, ज्वेलरी और आईटी सर्विसेज जैसे सेक्टर्स में।

विदेशी मुद्रा, डॉलर-रुपया विनिमय दर, और घरेलू उद्योगों पर इसका असर पड़ेगा। यह संकट ऐसे समय में आया है जब भारत पहले से ही रोज़गार और विनिर्माण में मंदी से जूझ रहा है।

संसद में विरोध: ट्रम्प को ‘झूठा’ कहने का प्रस्ताव

राज्यसभा सांसद मनोज झा ने संसद में व्यंग्य के साथ एक प्रस्ताव रखा:

“डोनाल्ड ट्रम्प — सदी का सबसे बड़ा झूठा”
उन्होंने कहा कि भारत को ट्रम्प की चौधराहट से डरना नहीं चाहिए। इंदिरा गांधी की तरह तनकर खड़े होने की जरूरत है।

क्या भारत बिकाऊ है?

अब वक्त है कि मोदी सरकार स्पष्ट शब्दों में ट्रम्प को जवाब दे —
“भारत बिकाऊ नहीं है। भारत डरता नहीं है।”
भारत विश्व का सबसे बड़ा उभरता बाज़ार है। अगर जापान, यूरोपीय यूनियन और चीन ट्रम्प की धमकियों का सामना कर सकते हैं, तो भारत भी कर सकता है।

मोदी सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि वह सीज़फायर के झांसे में नहीं आई थी और अब टैरिफ के आगे झुकेगी भी नहीं।

निष्कर्ष

ट्रम्प का यह टैरिफ वार सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक चुनौती भी है। सवाल यह है — क्या भारत की विदेश नीति झूठे प्रचार और व्यक्तिगत दोस्तियों के सहारे चलेगी, या वह राष्ट्रीय हितों की स्पष्ट रक्षा के साथ आगे बढ़ेगी?

अब वक्त है कि मोदी सरकार यह तय करे कि वह “अबकी बार ट्रम्प सरकार” के नारों से बाहर निकलकर भारत की संप्रभुता की रक्षा करेगी या नहीं।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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