August 9, 2025 5:43 am
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राहुल के चैलेंज पर भी ट्रंप का नाम लेने की हिम्मत क्यों नहीं कर पाए मोदीजी!

संसद में राहुल गांधी और पीएम मोदी के बीच ऑपरेशन सिंदूर और ट्रम्प के दावों पर तीखी बहस। जानिए क्यों मोदी ट्रम्प का नाम लेने से बचे?

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में गरमागरम बहस, लेकिन डिफेंसिव ही रहे PM

संसद में मंगलवार का दिन भारतीय राजनीति के इतिहास में यादगार बन गया। ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। संसद के भीतर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को सीधा चैलेंज दिया कि वे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लेकर यह कहें कि वह झूठ बोल रहे हैं।

मोदी का जवाब लेकिन ट्रम्प का नाम गायब

प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में कई अहम बातों का खुलासा किया—जैसे कि किसी भी विदेशी नेता ने भारत से ऑपरेशन रोकने की मांग नहीं की। लेकिन उन्होंने ट्रम्प का नाम तक नहीं लिया, जबकि ट्रम्प सार्वजनिक मंचों पर कई बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने ही भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फायर करवाया।

राहुल गांधी का तीखा हमला

राहुल गांधी ने कहा कि जब ट्रम्प बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने मध्यस्थता की है, तो प्रधानमंत्री को स्पष्ट रूप से यह कहना चाहिए कि “ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं”। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मोदीजी ट्रम्प का नाम लेकर ऐसा कह दें, तो “दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा”।

विपक्ष की एकजुटता और सवाल

राहुल गांधी ने सेना के पूर्व अधिकारियों के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान को चीन से मिल रहा समर्थन और भारत की जवाबी कार्रवाई में अमेरिका की भूमिका अब छिपी नहीं रही। साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि 9 मई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति से फोन कॉल के 24 घंटे के भीतर ही सीज़फायर कैसे लागू हुआ?

मीडिया कवरेज और सोशल मीडिया प्रतिक्रिया

राहुल गांधी के चैलेंज को कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर जमकर प्रचारित किया। वहीं अधिकांश मुख्यधारा मीडिया ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को विपक्ष पर हमला बताते हुए हेडलाइंस चलाईं, जिससे यह सवाल और गहरा गया कि असली मुद्दे को क्यों दबाया जा रहा है?

प्रमुख प्रश्न जो अभी भी जवाब मांगते हैं:

  • क्या ट्रम्प ने वास्तव में भारत को सीज़फायर के लिए मजबूर किया?
  • प्रधानमंत्री ने ट्रम्प का नाम लेने से परहेज़ क्यों किया?
  • ऑपरेशन सिंदूर के पीछे क्या कूटनीतिक दबाव था?

निष्कर्ष:

राहुल गांधी की ललकार और नरेंद्र मोदी की सावधानीपूर्ण चुप्पी ने संसद के भीतर एक नई बहस को जन्म दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रधानमंत्री संसद में खड़े होकर ट्रम्प के बयानों का सीधे खंडन करेंगे या फिर इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहेंगे।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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