June 13, 2025 11:02 am
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अब कानून का सरेंडर है असली मुद्दा

बेबाक भाषा के दो टूक कार्यक्रम में पत्रकार भाषा सिंह ने कहा कि दिल्ली में रेखा गुप्ता की भाजपा सरकार सफाई कर्मचारियो को गटर में उतार रही, उधर मध्य प्रदेश में घर को ब्लास्ट कर दिया गया

दिल्ली से लेकर मध्य प्रदेश तक BJP राज में कानून की धज्जियां उड़ी

राहुल गांधी के “नरेंदर सरेंडर” डायलॉग ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है, लेकिन उससे भी ज़्यादा भयावह है वो सरेंडर जो हर रोज़ ज़मीनी स्तर पर हो रहा है — कानून का सरेंडर।

एक तरफ दिल्ली, जहां रेखा गुप्ता की अगुआई वाली बीजेपी सरकार के “100 दिन की उपलब्धि” गटर में उतरे सफाई कर्मचारियों की तस्वीरों से दर्ज हो रही है। और दूसरी तरफ मध्य प्रदेश का इंदौर, जहां एक डॉक्टर के चार मंज़िला घर को डायनामाइट से उड़ा दिया गया — अदालत, नोटिस, कानून सब ताख पर।

दिल्ली में PWD की तस्वीरें: गटर में इंसान, कानून गायब

दिल्ली सरकार के पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) ने खुद अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें साझा कीं, उनमें सफाई कर्मचारी हाथ से गटर और सीवर की सफाई करते नज़र आए। यह न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि MS Act 2013 और सुप्रीम कोर्ट 2014 के फैसले का खुला उल्लंघन है। इन कानूनों के अनुसार, किसी भी इंसान को मानव मल-मूत्र को हाथ से साफ़ करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

जब इंडियन एक्सप्रेस ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से सवाल किया तो उन्होंने बेहिचक जवाब दिया:
“नाले अलग-अलग तरह के होते हैं।”
रेखा जी सही कहती हैं—लेकिन कानून हर नाले के लिए एक ही है। दलित समाज के लोगों को जानबूझकर ऐसे कार्यों में लगाना न सिर्फ अवैध है, बल्कि अमानवीय भी।

इंदौर में ब्लास्ट कर गिराया गया घर

इसी हफ्ते मध्य प्रदेश के इंदौर से एक दिल दहलाने वाली खबर आई। एक डॉक्टर के चार मंज़िला मकान को विस्फोटक से गिरा दिया गया। आरोप था कि मकान में कुछ ‘ग़लत गतिविधियाँ’ हो रही थीं। लेकिन सवाल ये है कि क्या किसी नागरिक के घर को अदालत की प्रक्रिया के बिना ब्लास्ट करना कानून सम्मत है? क्या मध्यप्रदेश में अब जज की जगह जेसीबी और ब्लास्टिंग टीम ने ले ली है?

यह घटना केवल एक ‘कार्रवाई’ नहीं, राज्य द्वारा कानून को सरेंडर कर देने की मिसाल है।

नफरत और शासन का गठजोड़

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह दो घटनाएं सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं हैं, बल्कि संगठित राजनीतिक संरचना द्वारा संरक्षित नफरत और वर्गीय उत्पीड़न की तस्वीरें हैं।
डॉक्टर का गिराया गया घर मुसलमान का था। और दिल्ली में जो लोग गटर में उतारे गए, वे लगभग सभी दलित समुदाय से आते हैं।
नफरत और जाति की यह राजनीति कानून से ऊपर होती जा रही है।

क्या प्रधानमंत्री जवाब देंगे?

हर विज्ञापन में, हर दीवार पर, हर अखबार के पहले पन्ने पर नरेंद्र मोदी की तस्वीर होती है। लेकिन क्या प्रधानमंत्री इन सवालों का भी जवाब देंगे?

  • क्या प्रधानमंत्री बताएंगे कि क्यों उनके राज में सीवर सफाई में इंसानों की ज़िंदगी दांव पर है?
  • क्या वे कहेंगे कि क्यों उनकी ही सरकार में न्यायिक प्रक्रिया के बिना ब्लास्टिंग से घर गिराए जा रहे हैं?
  • क्या “विकसित भारत” की परिभाषा यही है?

राहुल गांधी ने भले “नरेंदर सरेंडर” कहा हो, लेकिन सच्चाई यह है कि यह सरकार कानून, संविधान और इंसानियत — तीनों के सामने सरेंडर कर चुकी है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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