दुनिया में कोई कामयाबी चाहे न मिली हो, देश में पार्टियों में सेंध लगाने में कामयाब हुए मोदी जी
“प्रधानमंत्री मोदी इतने गार्डन-गार्डन क्यों दिखे?”
यह सवाल अब सिर्फ सोशल मीडिया की हल्की-फुल्की चर्चा नहीं रहा, बल्कि एक गहरी राजनीतिक व्याख्या की मांग करता है।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल आउटरीच मिशन के तहत विपक्षी नेताओं को अपने गार्डन में बुलाया, ठहाकों और मुस्कुराहटों के बीच फोटो सेशन हुआ — तब जो तस्वीरें सामने आईं, वह महज़ राजनैतिक शिष्टाचार से कहीं आगे की कहानी बयां कर रही थीं।
📸 विपक्ष से ये ‘मिठास’ क्यों?
प्रधानमंत्री का विपक्षी नेताओं — जैसे शशि थरूर, सलमान खुर्शीद, आनंद शर्मा — से मिलना कोई नई बात नहीं है। लेकिन जिस तरह की गर्मजोशी और उत्साह से ये बैठकें हुईं, उन्होंने सवाल खड़े कर दिए।
क्या कभी राहुल गांधी, सोनिया गांधी या राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष को मोदी जी ने ऐसी उदारता दिखाई?
उत्तर है – नहीं।
🌍 ग्लोबल आउटरीच मिशन: करोड़ों का खर्च और हासिल क्या?
मोदी सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया के 32 देशों में अपने प्रतिनिधियों को भेजा। उद्देश्य था:
- भारत की कार्रवाई का समर्थन जुटाना
- अंतरराष्ट्रीय जनमत तैयार करना
- “मोदी डिप्लोमेसी” का प्रचार
परंतु…
❌ क्या हासिल हुआ?
- डोनाल्ड ट्रम्प ने खुलेआम दावा किया कि भारत-पाक सीज़फायर उनकी वजह से हुआ।
- किसी भी बड़े देश ने भारत के समर्थन में स्पष्ट बयान नहीं दिया।
- संयुक्त राष्ट्र, OIC, EU — सभी ने तटस्थता बनाए रखी।
😐 मुस्कुराहटें या सियासी सेंध?
इन मुलाक़ातों का सबसे बड़ा असर विपक्ष के भीतर महसूस किया गया।
- जो नेता ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार से सवाल कर रहे थे, वे आज मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवा रहे हैं।
- जो माँग थी — कि सुरक्षा में चूक की जांच हो, स्पेशल सत्र बुलाया जाए, वे आवाजें धीमी हो गईं।
क्या यह मुलाक़ातें विपक्ष में सेंध लगाने की रणनीति का हिस्सा थीं?
🧨 घरेलू राजनीति का मुँह बंद, कूटनीति का काला चेहरा?
जहाँ देश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुलकर कहती हैं कि:
“ऑपरेशन सिंदूर से पहले खुफिया नाकामी हुई, सवाल उठने चाहिए।”
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार कह रहे हैं:
“संसद का विशेष सत्र बुलाइए, चर्चा कीजिए।”
लेकिन ग्लोबल आउटरीच और “गार्डन गार्डन” मुलाकातों ने इन आवाजों को PR के फूलों से ढकने की कोशिश की।
🔍 निचोड़: क्या खोया क्या पाया?
पहलु | विश्लेषण |
अंतरराष्ट्रीय समर्थन | न के बराबर |
विपक्ष की धार | भोथरी होती दिखी |
कूटनीतिक सफलता | ट्रम्प ने श्रेय खुद ले लिया |
घरेलू PR | तस्वीरें वायरल, PM ‘inclusive’ दिखे |
विपक्षी मुद्दों का स्थान | ‘सेल्फी डिप्लोमेसी’ ने ले लिया |
🚨 निष्कर्ष:
ग्लोबल आउटरीच मिशन ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में कोई खास सफलता न पाकर भी, घरेलू राजनीति में PR मोर्चे पर बड़ी जीत दर्ज की है।
सवाल यह नहीं है कि मोदीजी मुस्कुरा रहे थे,
सवाल यह है कि जिन मुद्दों पर वे घिर सकते थे — वहाँ कूटनीतिक मुलाक़ातें और फोटोग्राफी ने ढाल का काम किया।