June 15, 2025 8:35 am
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मोदी के विकास मॉडल की, कैसे खुल रही है पोल

हरियाणा के 18 सरकारी स्कूलों में कोई भी छात्र 12वीं पास नहीं हुआ, 100 स्कूलों में खराब रिजल्ट, गुजरात में लगातार जारी सीवर-सेप्टिक टैंक में मौतें, तीन नागरिक अहमदाबाद में मरे।

ना शिक्षा, ना जीवनः हरियाणा में 18 स्कूलों में जीरो हुए पास, गुजरात में लगातार सीवर में मौतें

आज बात भारत के विकास की कहानी की, लेकिन दो अलग-अलग राज्यों की ज़ुबानी—हरियाणा और गुजरात। दोनों ही राज्य “डबल इंजन” की सरकारों द्वारा शासित हैं। दोनों ही जगहों पर मोदी जी की जय-जयकार सुनाई देती है। लेकिन हाल ही में इन दोनों राज्यों से आई दो खबरें हमें ज़मीन पर विकास के सच का आईना दिखाती हैं।

हरियाणा: शिक्षा व्यवस्था का पतन

हरियाणा से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है:
18 सरकारी स्कूलों में 12वीं कक्षा में एक भी छात्र पास नहीं हुआ।
जी हाँ, हरियाणा बोर्ड की परीक्षा में इन 18 स्कूलों का पास प्रतिशत शून्य (0%) रहा।

हरियाणा जैसे अपेक्षाकृत छोटे राज्य (22 ज़िले) में ऐसी स्थिति बेहद चिंताजनक है। और सिर्फ यही नहीं—राज्य में 100 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहाँ मुश्किल से 35% छात्र पास हो पाए। शिक्षा को लेकर सरकार की प्राथमिकता पर यह सीधा सवाल है।

अभी तो हालत यह है कि कई स्कूलों में वर्षों से शिक्षक तक नियुक्त नहीं किए गए। एक प्रिंसिपल ने बताया कि पिछले तीन साल से अंग्रेज़ी का शिक्षक ही नहीं है

क्या “विकसित भारत” की कल्पना इन स्कूलों से होकर जाती है? क्या यह “नया भारत” शिक्षा के बिना खड़ा हो सकता है?

गुजरात: विकास के मॉडल में दलितों की बलि

गुजरात के अहमदाबाद से भी एक दिल दहला देने वाली खबर आई:
तीन दलित युवकों की सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय मौत हो गई।

आज भी जब तकनीक के नए युग में प्रवेश हो चुका है, गुजरात जैसे राज्य में इंसानों से गटर साफ करवाया जा रहा है। जबकि MS Act 2013 और 2014 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश साफ कहते हैं कि यह ग़ैरक़ानूनी है।

तीनों मृतक—प्रकाश, सुनील और विशाल—सिर्फ 21, 22 और 23 वर्ष के थे। ये तीनों युवा उस भारत के प्रतीक हैं, जिसका भविष्य हम खोते जा रहे हैं।

सरकारें चुप हैं। कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती। कोई जवाबदेही नहीं बनती। क्यों? क्योंकि इस ‘विकास मॉडल’ में दलितों की जान की कोई कीमत नहीं?

क्या यही है “डबल इंजन” का सच?

दोनों राज्यों की ये घटनाएँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं:

  • एक ओर शिक्षा की तबाही, दूसरी ओर मानव गरिमा की मौत।
  • बच्चों के पास शिक्षक नहीं, युवाओं के पास जीवन की सुरक्षा नहीं।

क्या यही “विकसित भारत” का मॉडल है?
क्या ये सरकारें सिर्फ विज्ञापन और नारों में ही विकास करेंगी, या ज़मीनी सच्चाई को भी स्वीकारेंगी?

आख़िर में…

हरियाणा और गुजरात से आई ये दो खबरें भारत के भविष्य की दो महत्वपूर्ण नींव—शिक्षा और समानता—की बदहाली की कहानी कहती हैं। लेकिन अफ़सोस कि ऐसी खबरें मुख्यधारा की मीडिया में कहीं गुम हो जाती हैं।

अब समय है सवाल पूछने का।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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