June 15, 2025 10:34 am
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मोदी मॉडल की चमक में कुचली जाती दिल्ली की झुग्गियां

दिल्ली में मजनूं का टीला, मद्रासी कैंप, सरोजनी नगर सहित कई इलाकों में बीजेपी सरकार का बुलडोज़र गरीबों के घर तोड़ रहा है। क्या “जहां झुग्गी, वहीं मकान” अब सिर्फ चुनावी जुमला रह गया है?

जोरों पर चल रहा भाजपा का गरीब हटाओ बुलडोज़र अभियान

“जहां झुग्गी, वहीं मकान” — यह वादा था। वादा उस समय का जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली चुनाव से पहले झुग्गीवासियों को घर की चाबी दी थी। लेकिन 2025 में यही झुग्गियां, उन्हीं चाबियों के साथ, बीजेपी की रेखा गुप्ता सरकार के बुलडोज़र के नीचे मलबे में तब्दील हो रही हैं।

मजनू का टीला: नागरिकता से लेकर निरस्तीकरण तक

दिल्ली के मजनू का टीला, वह जगह है जहां 2019 में पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को CAA के तहत नागरिकता दी गई थी। 2024 में उसी जगह पर, बुलडोजर चलाने की मंज़ूरी मिल गई है।

  • दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद यहां से रिफ्यूजी हटाए जा रहे हैं।
  • बीजेपी की स्थानीय सरकार ने इसके लिए हामी भरी।
  • यह वही बस्ती है जहां प्रधानमंत्री ने खुद जाकर CAA की सफलता का एलान किया था।

अब सवाल उठ रहा है:
क्या ये वही नागरिक हैं जिनके नाम पर कानून बनाया गया था, अब उन्हें ही ‘अवैध’ कहा जा रहा है?

मद्रासी कैंप: एक कम्युनिटी का उजड़ना

  • 300 से ज़्यादा झुग्गियां बुलडोज़ की गईं।
  • रहने वालों का आरोप: चुनाव से पहले बीजेपी नेता गंगाजल और तुलसी पत्ता लेकर आए और वादा किया — “जहां झुग्गी, वहीं मकान।”
  • केवल 200 लोगों को नरेला में फ्लैट दिए गए — 30 किमी दूर, बुनियादी सुविधाओं के बिना।

“क्या गरीब के बच्चों का कोई भविष्य नहीं? स्कूल, काम, सब यहीं था। अब हम कहाँ जाएं?”

सरोजनी नगर, हरकेश नगर, बाटला हाउस — क्या कोई इलाका बचा है?

  • सरोजनी नगर में छोटे दुकानदारों को हटा दिया गया।
  • हरकेश नगर (28 मई 2025): बड़े पैमाने पर बस्ती तोड़ी गई।
  • बाटला हाउस: 100+ घरों पर डिमोलिशन नोटिस।
  • यमुना खादर: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की आड़ में मुस्लिम और दलित बहुल बस्तियों पर बुलडोज़र चला।

कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए बने स्ट्रक्चर को कुछ नहीं हुआ, लेकिन उन्हीं किनारों पर बसे गरीबों को उखाड़ दिया गया। वज़ह? वह ‘अनऑथराइज्ड’ थे।

बुलडोज़र का पैटर्न: गुजरात से दिल्ली तक

  • गुजरात के चंदोला झील पर 7000 से अधिक घर गिराए गए।
  • पैटर्न साफ है: मुसलमान, दलित, अति पिछड़े — निशाने पर।

रेखा गुप्ता का मॉडल, गुजरात के विकास मॉडल से होड़ लेता दिख रहा है — जहां गरीब की जगह केवल पूंजी है, वोट के लिए झूठे वादे और सत्ता में आने के बाद बलपूर्वक विस्थापन।

सवाल उठता है…

  1. जिन लोगों के पास वोटर आईडी, आधार कार्ड, राशन कार्ड, नरेगा जॉब कार्ड तक है — क्या वे भी अवैध हैं?
  2. 2019 से अब तक कितने वादे पूरे हुए? कितने झुग्गीवासियों को मकान मिला?
  3. क्या गरीबों को उजाड़ना ही ‘विकास’ की नई परिभाषा है?

“जहां झुग`गी, वहीं मकान” या “जहां गरीब, वहीं बुलडोज़र”?

दिल्ली में और पूरे देश में यह सवाल गूंज रहा है। रेखा गुप्ता से लेकर प्रधानमंत्री तक को यह समझना होगा कि झुग्गी सिर्फ दीवारों का नाम नहीं, उसमें लाखों सपने पलते हैं — बच्चों की पढ़ाई, महिलाओं की रसोई, बुज़ुर्गों का आराम।

इन घरों को तोड़ना केवल ईंट और गारे को गिराना नहीं, भविष्य, उम्मीद और भरोसे को रौंदना है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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