June 30, 2025 7:01 pm
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JNU मामला: नजीब लापता है, लेकिन सवाल ज़िंदा हैं

JNU Student नजीब अहमद को लापता हुए 9 साल हो गए हैं। लेकिन CBI के हाथ आज तक खाली हैं। CBI इस केस में कोर्ट में क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है। अब कोर्ट 30 जून को यह तय करेगा कि यह क्लोज़र रिपोर्ट स्वीकार की जाए या नहीं। देखिए बेबाक भाषा की ख़ास पेशकश।

नजीब कहाँ है? नौ साल बाद भी गुमशुदा, CBI ने दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट

नहीं पूछता कोई हाल मेरा… कोई लाके दे दो मुझे लाल मेरा।
यह दर्द है फातिमा नफीस का, जो नौ साल से अपने बेटे नजीब की राह देख रही हैं। उनके लिए नजीब आज भी जिंदा है – उनकी यादों में, उनकी दुआओं में, उनकी उम्मीदों में। लेकिन देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI ने अब हाथ खड़े कर दिए हैं।

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में CBI ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। कोर्ट तय करेगा कि केस बंद होगा या दोबारा जांच होगी।

कौन था नजीब?

  • नाम: नजीब अहमद
  • कोर्स: MSc Biotechnology, JNU
  • लापता होने की तारीख: 15 अक्टूबर 2016
  • घटना का सिलसिला:
    • 13-14 अक्टूबर 2016 – JNU हॉस्टल में ABVP के छात्रों से झगड़ा, चोटें आईं।
    • 15 अक्टूबर 2016 सुबह – नजीब अचानक लापता, अंतिम लोकेशन जामिया नगर और फिर गाजियाबाद में ट्रेस हुई, फिर फोन बंद।
    • 16 अक्टूबर 2016 – मां फातिमा नफीस JNU पहुँचीं, पुलिस में शिकायत।
    • काफी देर बाद – दिल्ली पुलिस ने अपहरण की FIR दर्ज की।

क्या हुआ जांच में?

  • 2016-2017 – JNU में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन। वामपंथी छात्र संगठनों ने लापरवाही का आरोप लगाया।
  • मार्च 2017 – हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की धीमी जांच पर नाराजगी जताई। पुलिस ने कहा – नजीब मानसिक रूप से अस्थिर थे, शायद खुद ही चले गए
  • परिवार का आरोप: यह रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण और साजिश को छुपाने वाली है।
  • 2025 मई – कोर्ट ने पूछा, CBI की क्लोजर रिपोर्ट और गवाहों के बयानों में विरोध क्यों है?
  • 30 जून 2025 – कोर्ट तय करेगा कि क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार होगी या दोबारा जांच के आदेश होंगे।

अब तक क्या मिला?

  • कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं।
  • कोई शव नहीं मिला।
  • कोई ठोस सुराग नहीं।

मां की लड़ाई

फातिमा नफीस का कहना है:
मेरा बेटा जिंदा है। मैं न्याय लेकर रहूंगी।

नजीब सिर्फ एक छात्र नहीं

वह भारत के लोकतंत्र, न्याय व्यवस्था और खासकर मुस्लिम छात्रों की सुरक्षा का प्रश्न बन चुके हैं। ABVP से झगड़े के बाद उनका गायब होना सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, पूरे सिस्टम पर सवाल है।

मुकुल सरल

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