June 27, 2025 4:19 pm
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विसावदर ने फिर BJP को नकारा

कहने को चार राज्यों की कुल पांच विधानसभाओं के लिए उपचुनाव हुआ। लेकिन यह भारतीय राजनीति के लिए काफ़ी अहम बन गए हैं। देखिए बेबाक भाषा की रिपोर्ट

इतने महत्वपूर्ण क्यों बन गए हैं 5 विधानसभा उपचुनाव के नतीजे

चार राज्यों की पांच विधानसभाओं के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं, लेकिन चर्चा विधानसभा से ज़्यादा संसद की की शुरू हो गई है। जी हां, लुधियाना वेस्ट सीट पर आम आदमी पार्टी की जीत के साथ ही अरविंद केजरीवाल का राज्यसभा पहुंचने का रास्ता साफ़ हो गया है। यानी अपनी सीट के साथ दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद सीन से बाहर हुए केजरीवाल एक बार फिर सीन में आने जा रहे हैं। हालांकि खुद केजरीवाल ने राज्यसभा में जाने की संभावना को नकार दिया है लेकिन राज्यसभा के लिए खाली हुई सीट पर किसी के नाम के ऐलान तक यह कयासवाजी तो चलती ही रहेगी।

आपको मालूम है कि चार राज्यों गुजरात, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल की पांच विधानसभा सीटों के लिए 19 जून को वोट डाले गए थे और आज सोमवार 23 जून को मतगणना के बाद नतीजे आ गए। इन पांच सीटों में सिर्फ़ केरल की एक सीट पर फेरबदल हुआ है, बाक़ी चार सीटें उन्हीं दलों के पास बरकरार रही हैं, जिनका इनपर पहले भी कब्ज़ा था। लेकिन इनमें भी गुजरात की विसावदर सीट की सबसे ज़्यादा चर्चा है, क्यों आपको आगे बताएंगे।

पहले यह जान लीजिए कि इन सीटों पर कौन जीता–कौन हारा।

गुजरात में दो सीटों पर उपचुनाव हुए जबकि बाक़ी जगह एक-एक सीट पर उपचुनाव हुआ। इन 5 सीटों में 3 सीटें विधायकों के निधन की वजह से खाली हुई थीं और 2 सीटें विधायकों के इस्तीफ़े की वजह से। 

गुजरात की विसावदर सीट आप प्रत्याशी गोपाल इटालिया ने 17554 वोटों से जीत दर्ज की। यह सीट पहले भी आप के पास थी। लेकिन आप विधायक भूपेंद्रभाई भायानी आप छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। मगर बीजेपी ने उपचुनाव में उन्हें टिकट न देकर किरीट पटेल को टिकट दिया। लेकिन विसावदर की जनता ने न यह दल बदल पसंद किया न बीजेपी को और वापस यह सीट आप के खाते में डाल दी। 

गौर कीजिए कि गुजरात में तीस साल से यानी 1995 के बाद से बीजेपी सत्ता में है और बीजेपी ने यहां पूरा दम लगा दिया था। लेकिन विसावदर की जनता ने सत्ता पक्ष की बजाय विपक्ष को ही चुना। 

गुजरात की दूसरी सीट है कडी। यह बीजेपी के पास थी और यहां से विधायक करसन भाई सोलंकी का निधन हो गया था। इस बार भी यहां से बीजेपी के प्रत्याशी राजेंद्र कुमार उर्फ़ राजूभाई ने जीत दर्ज की। 

केरल की निलाम्बुर सीट पर ज़रूर फेरबदल हुआ है। यहां से निर्दलीय विधायक पी. वी. अनवर ने TMC में शामिल होकर इस्तीफ़ा दिया था और उपचुनाव की नौबत आई। TMC ने अनवर को ही प्रत्याशी बनाया है। लेकिन वह मुकाबले में भी नहीं रहे और यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूटीएफ और एलडीएफ की ओर से सीपीएम के बीच रहा। जिसमें यूडीएफ के प्रत्याशी आर्यदान शौकत ने जीत दर्ज की। 

पश्चिम बंगाल की कालीगंज। यह TMC के पास थी। यहां से विधायक नसीरुद्दीन अहमद का निधन हो गया था। इस सीट पर उपचुनाव में टीएमसी ने नसीरुद्दीन की बेटी अलीफा अहमद को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की।  

लेकिन इनमें सबसे दिलचस्प मुकाबला रहा पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट का। यह सीट आप विधायक के निधन की वजह से खाली हुई थी। यहां आप ने अपने वर्तमान राज्य सभा सांसद संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाया। और बस तभी से कयास शुरू हो गए कि संजीव अरोड़ा को विधायक बनाकर आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ख़ुद सांसद बनना चाहते हैं। 

संजीव अरोड़ा के लिए आप और पूरी पंजाब सरकार ने भी पूरा ज़ोर लगा दिया था और संजीव अरोड़ा ने यहां 10 हज़ार से ज़्यादा वोटों से जीत दर्ज की। महत्वपूर्ण यह भी रहा कि यहां दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी भारत भूषण आशू रहे। जबकि पंजाब ने इस बार भी बीजेपी को पसंद नहीं किया और उसके प्रत्याशी जीवन गुप्ता को तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया। अकाली दल की हालत और भी ख़राब रही और वह चौथे नंबर पर रही।

अब संजीव अरोड़ा विधायक बन गए हैं तो नियम है कि उन्हें एक सीट यानी राज्यसभा से इस्तीफ़ा देना होगा। उनका कार्यकाल अभी 2028 तक बाक़ी है। अब इस बाक़ी कार्यकाल को पंजाब कोटे से राज्यसभा जाकर केजरीवाल पूरा करेंगे। हालांकि एक नाम मनीष सिसोदिया का भी चल रहा है। लेकिन ज़्यादा संभावना केजरीवाल की ही जताई जा रही है।

यानी वे एक बार सियासत के केंद्र में आने जा रहे हैं। दिल्ली चुनाव में अपनी सीट के साथ सत्ता गंवा कर अरविंद केजरीवाल आजकल सीन से लगभग बाहर थे। बीजेपी के सत्ता में आने के बाद उसके खिलाफ जितने भी मोर्चे खोले गए उनका नेतृत्व आतिशी या सौरभ भारद्वाज ने किया। लिहाजा आने वाले दिनों में इन उपचुनावों के नतीजों की गहमागहमी दिखती रहेगी।

मुकुल सरल

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