June 27, 2025 4:20 pm
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संघ का क्या है इज़रायल कनेक्शन

खासकर तब जब इस समय इज़रायल द्वारा गाज़ा और फिलिस्तीन पर जेनोसाइड (नरसंहार) चल रहा है, और दुनिया भर में इसकी आलोचना हो रही है — वहीं RSS और भारत की सत्ताधारी भाजपा सरकार खुले तौर पर इज़रायल के साथ खड़ी नज़र आ रही है।

इज़रायल के साथ क्यों खड़ा है RSS! क्या मुसलमानों का विरोध है meeting point

भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को एक सांस्कृतिक संगठन कहा जाता है, लेकिन इसके राजनीतिक रुख और वैश्विक विचारधारा से इसकी गहरी मेलजोल को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। खासकर तब जब इस समय इज़रायल द्वारा गाज़ा और फिलिस्तीन पर जेनोसाइड (नरसंहार) चल रहा है, और दुनिया भर में इसकी आलोचना हो रही है — वहीं RSS और भारत की सत्ताधारी भाजपा सरकार खुले तौर पर इज़रायल के साथ खड़ी नज़र आ रही है।

आखिर क्यों?

यहूदी विरोध से यहूदी राष्ट्र तक: हिटलर से इज़रायल तक RSS का साथ

RSS का यह समर्थन किसी मानवाधिकार के आधार पर नहीं, बल्कि धार्मिक और वैचारिक साम्यता के आधार पर है।

“जब हिटलर यहूदियों पर अत्याचार कर रहा था, तब भी RSS के विचारक गोलवलकर और सावरकर हिटलर का समर्थन कर रहे थे। और आज जब ज़ायोनिस्ट यहूदी मुसलमानों को प्रताड़ित कर रहे हैं, तब RSS फिर उनके साथ खड़ा है।”

यह दोहरा मापदंड ही RSS की रणनीति का मूल है — जो भी मुसलमानों के विरोध में खड़ा हो, वह उनका “स्वाभाविक मित्र” बन जाता है।

जायोनिज़्म और इज़रायल का निर्माण: धर्म के नाम पर कब्ज़ा

  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सुपर पावर्स ने फिलिस्तीन की ज़मीन का 55% हिस्सा यहूदियों को दे दिया।
  • इज़रायल ने बाद में हमलों और सैन्य शक्ति के ज़रिए और भी क्षेत्र हथियाया।
  • अमेरिका समेत पश्चिमी शक्तियों ने इस पूरे कब्जे का समर्थन किया।

इसी “धर्म के आधार पर राष्ट्र” वाली विचारधारा को RSS ने भी स्वीकार किया। गोलवलकर और सावरकर ने बार-बार इज़रायल के समर्थन में बयान दिए।

आज की सियासत: क्यों भाजपा और RSS इज़रायल के पक्ष में हैं?

  1. यूएन में एबस्टेन: भारत की सरकार इज़रायल के खिलाफ आने वाले प्रस्तावों पर वोटिंग से बचती है। यानी ना समर्थन, ना विरोध—लेकिन ज़मीन पर समर्थन ज़ाहिर है।
  2. गोधी मीडिया का इज़रायल प्रेम: न्यूज़ स्टूडियो से लेकर अखबारों तक, दक्षिणपंथी मीडिया इज़रायल की बर्बरता को ‘आत्मरक्षा’ बता रहा है।
  3. धार्मिक द्वेष की साझेदारी: मुसलमानों के खिलाफ नफ़रत ही दोनों (RSS और इज़रायल) के गठजोड़ की सबसे मज़बूत कड़ी है।

RSS की विचारधारा: मनुस्मृति से मुस्लिम द्वेष तक

RSS का पूरा ढांचा मनुस्मृति आधारित वर्ण व्यवस्था और मुस्लिम-ईसाई विरोध पर टिका हुआ है। यही वजह है कि:

  • इज़रायल फिलिस्तीन में मुसलमानों को मारता है, तो RSS चुप नहीं, बल्कि खुश होता है।
  • अरब देशों से व्यापार और प्रवासी संबंध अधिक महत्वपूर्ण होने के बावजूद RSS इज़रायल का समर्थन करता है।

“यह न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि एक अमानवीय रुख है, जो न्याय, शांति और बराबरी के ख़िलाफ़ जाता है।”

एक झूठा रिश्ता: चित्तपावन ब्राह्मण और यहूदी?

कुछ दक्षिणपंथी वर्गों में यह थ्योरी भी तैरती है कि RSS के संस्थापक चित्तपावन ब्राह्मण यहूदियों से किसी ऐतिहासिक/डीएनए आधारित रिश्ता रखते हैं। लेकिन यह निराधार है:

“यह एक शंकास्पद विचार है, जिसके पीछे कोई ठोस ऐतिहासिक या वैज्ञानिक आधार नहीं है।”

निष्कर्ष: इज़रायल प्रेम नहीं, मुसलमान विरोध

भारत और इज़रायल के बीच दोस्ती अगर व्यापार, रक्षा या तकनीक तक सीमित होती, तो शायद उसका औचित्य समझा जा सकता था। लेकिन जिस तरह से RSS और उससे जुड़ा तंत्र इज़रायल के जेनोसाइड को नैतिक समर्थन दे रहा है, वह केवल मुस्लिम विरोध से प्रेरित है।

यह एक गहरी समस्या है, जो भारत को विश्वगुरु नहीं, एक सांप्रदायिक राष्ट्र की ओर धकेलती है।

राम पुनियानी

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