भाजपा की ‘बकरा पकड़ो’ ब्रिगेड का नया मिशन
लो जी बकरीद आ गई है, और इस बार त्यौहार की रौनक मुसलमानों की गलियों में नहीं, भाजपा के दिलों-दिमाग में दिखाई दे रही है — वो भी इंसानों के लिए नहीं, बकरों के लिए! पूरे देश में Love for बकरा ट्रेंड कर रहा है। जहां पहले “हिंदू खतरे में हैं” का जाप चलता था, अब “बकरा खतरे में है” की आवाज़ें सुनाई दे रही हैं।
संघी आइक्यू का नया कमाल: “बकरा केक काटो, दिल मत दुखाओ!”
ग़ाज़ियाबाद के लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने तो अपनी ओरिजिनल सोच का प्रमाण देते हुए कह दिया — बकरा मत काटो, बकरा के आकार का केक काट लो! कभी कहा कद्दू काट लो, कभी कहा केक काटो, और कभी ये भी कि बकरा मत पालो, प्रेम पालो।
सोचिए, यही सुझाव जब अगली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के शाह से मिलने जाएं, तो उन्हें बकरा-केक पर बंधुत्व की बात समझाएं। देश-दुनिया को दिखाया जाए कि भारत “कितना इनोवेटिव” है।
बकरे पर इमोशनल इंजीनियरिंग, इंसानों पर अंधी चुप्पी
साफ है — मुसलमानों और ईसाइयों के त्योहार आते ही भाजपा की नफ़रती ब्रिगेड को बेचैनी होने लगती है। चैन तभी मिलता है जब किसी उत्सव पर कीचड़ फेंका जाए, विवाद खड़ा किया जाए।
जब आंकड़ों की बात आती है, तो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) साफ-साफ कहता है कि भारत में 77% लोग मांसाहारी हैं। यानी हिंदू, ईसाई, सिख, मुसलमान — सब खाते हैं। लेकिन भाजपा की कथा यही है कि “केवल मुसलमान ही मांस खाते हैं”, और इसलिए सिर्फ मुसलमान ही दोषी हैं।
सवाल: अगर 80% हिंदू हैं और 77% मांसाहारी, तो बकरा सिर्फ मुसलमानों का कैसे?
भाजपा की यह बकरा-नीति तब और मज़ेदार लगती है जब गुजरात में बकरों से भरा ट्रक लूट लिया जाता है — प्रेम में, श्रद्धा में या नफरत में यह पता नहीं। गाय की जगह अब बकरा-भक्ति चल रही है।
इसी बकरे का प्रेम कुछ दिनों पहले “मुर्गा पकड़ो आंदोलन” में भी दिखा था जब अनंत अंबानी के विवाह भोज में मुर्गा चर्चा का विषय बन गया था। यानी हर त्यौहार, हर प्राणी अब भाजपा की चुनावी नीतियों और नफरती रणनीतियों में एक नया मोहरा बन चुका है।
नफरत का गणित: त्योहार मुसलमानों का, लाभ भाजपा का
साफ है, अगर बकरीद पर मुसलमानों को डराया, धमकाया, अपमानित नहीं किया गया, तो फिर भाजपा के सत्ता में होने का क्या मतलब? आख़िर 2024 में भी तो बकरा, बीफ, हलाल — हर शब्द से वोट निकाले गए थे।
निष्कर्ष: बकरा अब राष्ट्रीय चिंता है
देश में महंगाई चरम पर है, बेरोज़गारी हर चौखट पर खड़ी है, लेकिन भाजपा की प्राथमिकता साफ है — केक का बकरा बनाओ, बेकरी से खरीदो, और मुसलमानों को बताओ कि तुम बकरे पर बात नहीं कर सकते।
जल्दी कीजिए — बकरा पकड़ो अभियान शुरू कर दीजिए। हर मोहल्ले में एक नया मिशन चलाइए — घर-घर बकरा, हर दिल में डर का पर्दा।
और जब अगली बार रसोई में चिकन दिखे, याद रखिए — आईटी सेल उसे बकरा बना सकता है।