जब इज़रायल ने तेहरान पर दागे मिसाइल, और दुनिया ने देखा चुपचाप
2025 में मिडिल ईस्ट का नक्शा एक बार फिर लहूलुहान हो गया। इज़रायल ने तेहरान पर एयरस्ट्राइक की, जिसमें ईरान के चार वरिष्ठ सैन्य और न्यूक्लियर अधिकारी मारे गए। इस हमले ने यह साफ कर दिया कि यह सिर्फ इज़रायल का हमला नहीं था — यह अमेरिका के साथ मिलकर रची गई युद्ध की स्क्रिप्ट है।
🎯 टारगेटेड किलिंग, और ट्रंप की “हरी झंडी”
इज़रायली एयरस्ट्राइक में मारे गए लोगों में शामिल हैं:
- मेजर जनरल हुसैन सलामी – ईरान के चीफ़ ऑफ डिफेंस
- जनरल अली राशिद – रिवॉल्यूशनरी गार्ड कमांडर
- डॉ. फिरदौस अब्बासी – वरिष्ठ न्यूक्लियर वैज्ञानिक
- डॉ. तरीचाई – नाभिकीय कार्यक्रम के सलाहकार
हमले के कुछ दिन पहले ही ट्रंप ने कहा था कि “ईरान के पास न्यूक्लियर हथियार नहीं हैं, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण है।” यह कोडेड भाषा थी — इज़रायल को संकेत देने के लिए।
🦠 संयुक्त राष्ट्र की नपुंसकता और अमेरिका की दोहरी चाल
संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था, जो गाजा में जनसंहार तक नहीं रोक पाई, अब ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर रिपोर्ट जारी कर रही है।
पर सवाल है:
- क्या यूएन वाकई निष्पक्ष है?
- क्यों इस्राइल के पास 200 से अधिक न्यूक्लियर हथियार हैं, लेकिन कभी कोई जांच नहीं होती?
- क्या अमेरिका यूएन को सिर्फ अपने हितों का औजार बना चुका है?
🔥 अमेरिका का असली मकसद: मिडिल ईस्ट पर वर्चस्व
अमेरिका मिडिल ईस्ट में करीब 40,000-50,000 सैनिकों को 19 मिलिट्री बेस में तैनात कर चुका है। इस बार उसने इराक स्थित एयरबेस से इज़रायल को मिसाइल लॉन्च करने की छूट दी।
यह युद्ध नहीं, एक रीजनल वर्चस्व की योजना है।
📉 भारत की चुप्पी और खतरनाक कूटनीतिक निष्क्रियता
जब दुनिया का हर कोना इस्राइल की हमलावर नीति की निंदा कर रहा है, भारत सरकार मौन है। जो सरकार “विश्वगुरु” बनने का दावा करती है, वह इस हिंसा के दौर में सिर्फ चुपचाप तमाशा देख रही है।
🧭 आने वाले खतरे: चीन, उत्तर कोरिया और नया वैश्विक ध्रुवीकरण
इज़रायल के इस हमले के खिलाफ सबसे पहले उत्तर कोरिया ने आवाज उठाई।
चीन ने भी चेताया है कि अब “स्ट्रैटेजिक बैलेंस” बदल सकता है।
आशंका है कि:
- ईरान जवाबी हमला करेगा
- सऊदी अरब-यूएई की चुप्पी, इस्लामी एकता पर सवाल
- रूस-चीन-ईरान गठजोड़ बन सकता है
📢 CPIML का स्टेटमेंट: इज़रायल -अमेरिका गठजोड़ को उजागर करना होगा
भारतीय वामपंथी दल CPI(ML) ने एक आधिकारिक बयान में कहा:
” इज़रायल और अमेरिका मिलकर मिडिल ईस्ट को अस्थिर करने और क्षेत्रीय वर्चस्व पाने की कोशिश कर रहे हैं। यह साम्राज्यवादी विस्तारवाद की रणनीति है।”
❓ ट्रंप की दोहरी बातें: भारत-पाक में शांति, ईरान में आग?
ट्रंप बार-बार दावा करते हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध नहीं होने दिया।
पर जब बारी ईरान की आती है, तो वही ट्रंप इज़रायल को खुला लाइसेंस देते हैं।
यह सवाल जरूरी है:
- क्या ट्रंप केवल अपने “पसंदीदा तानाशाहों” के लिए शांति और युद्ध तय करेंगे?
- क्या उनका सपना “ग्रेटर इस्राइल” भारत जैसे लोकतंत्रों को भी दांव पर लगाने को तैयार है?
✈️ अब क्या?
- ईरान बदला लेगा — यह तय है
- मिडिल ईस्ट और वेस्ट एशिया की राजनीति में अस्थिरता फैलेगी
- वैश्विक तेल आपूर्ति, फ्यूल कीमतों पर असर
- भारत की कूटनीतिक नीति कसौटी पर
📣 निष्कर्ष:
यह हमला सिर्फ एक देश पर नहीं था, यह हमला था अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, न्याय और शांति पर।
अमेरिका और इज़रायल, अपने साम्राज्यवादी हितों के लिए दुनिया को बार-बार युद्ध में झोंकते हैं। सवाल है, दुनिया कब तक चुप रहेगी?