June 30, 2025 11:33 pm
Home » रोज़नामा » क्या ट्रंप फिर से सौदेबाज़ी करने लौटे हैं?

क्या ट्रंप फिर से सौदेबाज़ी करने लौटे हैं?

क्या ट्रम्प वाकई ईरान-इज़रायल में युद्धविराम ला सकते हैं? भारत, G7 और ट्रम्प के बयान सब कुछ एक जियोपॉलिटिकल गेम की ओर इशारा कर रहे हैं।

क्या ईरान-इज़रायल के साथ भी ट्रंप खेल रहे हैं भारत-पाक जैसा खेल

डोनाल्ड ट्रम्प का दावा है कि जैसे उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर कराया था, वैसे ही अब वो ईरान और इज़रायल के बीच युद्धविराम करवा सकते हैं। लेकिन क्या यह ‘शांति प्रस्ताव’ है या महज़ एक और व्यापारिक सौदा?

G7 सम्मेलन से पहले ट्रम्प का यह दावा भारत के लिए भी शर्मिंदगी लेकर आया, क्योंकि उन्होंने फिर से नरेंद्र मोदी को एक मोहरे की तरह पेश किया:

“जैसे मैंने मोदी और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर कराया, अब ईरान और इज़रायल की बारी है।”

🕊️ क्या युद्धविराम की सच्ची मंशा है?

ट्रम्प का यह कथन तब आया जब खबरें यह बताने लगीं कि इज़रायल ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई की हत्या की योजना बना चुका था।

नतीजा:

  • इज़रायल ने सैन्य स्तर पर खामेनेई को “जिंदा या मुर्दा” लाने का आदेश दिया
  • ट्रम्प का दावा — “मैंने रोका, नहीं तो इज़राइल उन्हें मार देता”

“क्रेडिट ट्रम्प को दीजिए, वरना खामेनेई आज जीवित नहीं होते” — यह ट्रम्प का सीधा बयान था

🧠 मीडिया और रणनीति: झूठ या जाल?

इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का दावा है कि ईरान ही ट्रम्प की हत्या की कोशिश के पीछे था।
अब इस पूरे नैरेटिव को गढ़ा जा रहा है ताकि:

  • अमेरिका युद्ध में खुलकर शामिल हो सके
  • गाजा नरसंहार से दुनिया का ध्यान हटे
  • ट्रम्प 2025 चुनावों से पहले खुद को “शांति निर्माता” दिखा सकें

🔥 ईरान का जवाब: तकनीक, ताकत और टारगेटिंग

इरान ने इस बार केवल जवाब नहीं दिया, बल्कि साइबर और डिफेंस टेक्नोलॉजी के ज़रिए इज़रायल के आयरन डोम सिस्टम को भी चकमा दिया।

“हमने ऐसी तकनीक बनाई है जो इज़रायल के मिसाइल सिस्टम को उनके ही खिलाफ इस्तेमाल कर रही है।” — ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स

रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि:

  • तेलअवीव और हाफिया जैसे शहरों पर भीषण हमला हुआ
  • हाफिया पोर्ट, जिसमें अडानी ग्रुप की 70% हिस्सेदारी है, सीधे निशाने पर आया
  • अमेरिकी दूतावास के पास तक मिसाइलें गिरीं

🇮🇳 भारत कहां खड़ा है?

भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र के सीज़फायर प्रस्ताव पर वोट नहीं दिया
अब भारत SCO (शंघाई सहयोग संगठन) के इज़रायल निंदा प्रस्ताव से भी खुद को अलग कर चुका है।

“यह भारत की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता के लिए खतरनाक है।” — कांग्रेस नेता जयराम रमेश

मोदी सरकार की चुप्पी अडानी ग्रुप के हितों और अमेरिका के साथ संबंधों की ओर संकेत करती है।

💥 क्या युद्ध का फैलाव तीसरे विश्व युद्ध की ओर है?

फ्रांस, तुर्की, पाकिस्तान, चीन और रूस — सभी ने इज़रायल के एकतरफा हमले की निंदा की है।
लेकिन अमेरिका अब भी इज़रायल को खुलकर समर्थन दे रहा है।
महदी हसन जैसे प्रसिद्ध पत्रकार यह चेतावनी दे रहे हैं:

“ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हैं। इज़रायल के पास हैं। लेकिन पश्चिमी मीडिया सिर्फ ईरान को खलनायक बनाता है।”

📸 अंतरराष्ट्रीय विरोध: पेरिस से गाजा तक

फ्रांस में हज़ारों लोग सड़कों पर हैं, नारे लगा रहे हैं:
“Not in our name”
“Stop the genocide”
“Israel is the aggressor”

🧾 निष्कर्ष:

ट्रम्प का शांति प्रस्ताव दरअसल रणनीतिक लाभ और पॉपुलिस्ट नैरेटिव है।
G7 में जब ट्रम्प और मोदी मिलेंगे, तो ट्रम्प फिर से यह दावा करेंगे कि “मैं ही हूं जो युद्ध रोकता है” — लेकिन दुनिया जान चुकी है कि यह युद्ध उन्हीं की नीति का नतीजा है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

Read more
View all posts

ताजा खबर