June 27, 2025 4:26 pm
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ऑपरेशन सिंदूर में अडानी जी की एंट्री

गौतम अडानी ने दावा किया है कि Operation Sindoor की सफलता में उनकी कंपनी के ड्रोन और तकनीक ने अहम भूमिका निभाई। पढ़िए बेबाक भाषा की तंज़भरी रिपोर्ट

अब सिर्फ सरकार नहीं, सैन्‍य सफलता भी ‘कारोबारी’ हुई!

भारतीय सेना के कथित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि मैदान में एक और दावेदार कूद पड़े—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परममित्र और देश के सबसे चर्चित उद्योगपति गौतम अडानी

इस बार दावा ना सिर्फ राजनीतिक है, ना ही कूटनीतिक—बल्कि तकनीकी और सामरिक भी है।

“हमारे ड्रोन, आसमान में सेना की आंखें और तलवार बन गए।”
– गौतम अडानी, वार्षिक आम बैठक में

अडानी डिफेंस का दावा: ‘हमारे ड्रोन, हमारी जीत!’

अडानी जी के मुताबिक, उनकी कंपनी द्वारा विकसित Sky Striker Kamikaze Drone ने Operation Sindoor में निर्णायक भूमिका निभाई।
ये ड्रोन अडानी डिफेंस की साझेदारी में Alpha Design Technologies और इजरायल की Elbit Security Systems द्वारा बनाया गया है।
जान लें कि अडानी डिफेंस की अल्फा टेक में 26% हिस्सेदारी है।

ठीक उसी दिन आया दावा, जब पीएम बोले ’22 मिनट में पाकिस्तान घुटनों पर’

अडानी का यह दावा उसी दिन आया, जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को 22 मिनट की चमत्कारी सफलता करार दिया था।
अब जहां प्रधानमंत्री इसे सैन्य सफलता बता रहे हैं, वहीं अडानी इसे औद्योगिक उपलब्धि कह रहे हैं।
इस तरह से यह देश का शायद पहला “सैन्य ऑपरेशन” बन गया, जिसकी कॉर्पोरेट ब्रांडिंग खुले आम की जा रही है।

‘मेक इन इंडिया’ या ‘मेक फॉर अडानी’?

ऑपरेशन सिंदूर का यह नया कॉरपोरेट एंगल कई सवाल खड़ा करता है:

  • क्या अब रक्षा अभियान भी निजी उद्योगपतियों के इश्तहार बन जाएंगे?
  • क्या ये भारतीय सेना के “ग्लोरी” में व्यवसायिक सेंधमारी नहीं है?
  • क्या भारत सरकार के सैन्य मिशन अब सिर्फ “सेना बनाम दुश्मन” नहीं, बल्कि “सेना + कॉर्पोरेट” बनाम दुश्मन” का नया मॉडल बन चुके हैं?

मोदी जी के एलन मस्क बनने की दौड़ में अडानी!

विरोधी दल पहले ही मोदी-अडानी रिश्ते पर निशाना साधते रहे हैं।
अब यह दावा इस रिश्ते को और “स्पॉन्सर्ड” बना रहा है।
इसलिए कई लोग मज़ाक में कहने लगे हैं:

“अगर मोदी एलन मस्क बनने की सोचते हैं, तो अडानी SpaceX की जगह DRDO में एंट्री लेना चाहते हैं!”

7% की आमदनी बढ़ी, अब ज़मीन भी फतह?

अडानी ने अपनी सालाना आम बैठक में यह भी बताया कि उनकी आय में 7% की बढ़त हुई है।
बेशक, ऐसे वक्त में जब देश महंगाई, बेरोज़गारी और संस्थानों की गिरती साख से जूझ रहा है, यह “सफलता” राष्ट्र को भी गर्व से भर देनी चाहिए – कम से कम टीवी डिबेट्स पर।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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