June 27, 2025 4:15 pm
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ईरान के साथ रूस-चीन और उत्तर कोरिया: क्या बदलेगा विश्व का सत्ता संतुलन?

ईरान के समर्थन में रूस, चीन और उत्तर कोरिया क्यों कूदे? क्या इससे बदलेगा वर्ल्ड ऑर्डर? जानिए पूरी रिपोर्ट बेबाक भाषा की विशेष विश्लेषण में।

ईरान को मिला चीन-रूस और उत्तर कोरिया का साथ: क्या खत्म हो रहा है अमेरिका का एकतरफा वर्चस्व?

ईरान-इज़राइल युद्ध के बीच वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ आया है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ईरान के समर्थन में खुलेआम आवाज़ उठाई है।
उत्तर कोरिया पहले ही इज़राइल के खिलाफ मुखर हो चुका है।

अब सवाल उठ रहा है—क्या वर्ल्ड ऑर्डर बदलने जा रहा है?
क्या अमेरिका की अगुआई वाला एकतरफा ‘यूनिपोलर ऑर्डर’ अब ‘मल्टीपोलर’ बनने की ओर है?

🌐 रूस-चीन की टेलीफोनिक रणनीति

  • पुतिन और जिनपिंग ने फोन पर बातचीत की
  • दोनों ने कहा—ईरान पर हमला स्वीकार्य नहीं
  • पुतिन ने मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया, जिनपिंग ने समर्थन किया
  • दोनों मानते हैं—युद्ध नहीं, कूटनीति ही समाधान है

यह स्पष्ट संकेत है कि दुनिया के बड़े ताकतवर देश अब खुलकर अमेरिकी गुट की एकतरफा नीतियों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं।

🇨🇳 चीन को ईरान क्यों चाहिए?

  1. तेल और गैस संसाधन:
    1. ईरान के पास विश्व का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार
    1. दूसरा सबसे बड़ा नैचुरल गैस रिजर्व
    1. चीन को इससे ऊर्जा सुरक्षा मिलती है
  2. पश्चिम एशिया में प्रभाव:
    1. चीन सऊदी अरब की निर्भरता से मुक्त होना चाहता है
    1. ईरान के साथ मजबूत संबंध उसका दायरा बढ़ाते हैं
  3. BRI में ईरान की भूमिका:
    1. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में ईरान एक केन्द्रीय कड़ी है
    1. 2021 में दोनों देशों में 25 साल का $400 बिलियन समझौता
  4. पार्सियन गल्फ और स्ट्रेट ऑफ होर्मुज:
    1. यह गलियारा वैश्विक तेल का 20% ट्रांसपोर्ट करता है
    1. ईरान ने कहा है, जब तक इज़राइल हमला करता रहेगा, वह इसे बंद रखेगा

🇷🇺 रूस के हित क्यों जुड़ते हैं ईरान से?

  1. भूराजनीतिक साझेदारी:
    1. पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बीच
    1. ईरान रूस का एक भरोसेमंद साझेदार बन गया है
  2. यूक्रेन युद्ध में सहयोग:
    1. ईरान ने रूस को Shahed 136 ड्रोन दिए
    1. सैन्य तकनीक और गोला-बारूद के लेन-देन में मदद
  3. साझा दुश्मन – अमेरिका:
    1. दोनों ही देश अमेरिकी सैन्य और आर्थिक दबाव का विरोध करते हैं
    1. वैश्विक शक्ति संतुलन में नया ध्रुव बनने की कोशिश कर रहे हैं

🇰🇵 उत्तर कोरिया क्यों आया साथ?

  • उत्तर कोरिया और ईरान दोनों दशकों से अमेरिका के प्रतिबंध झेल रहे देश
  • अमेरिका के खिलाफ रणनीतिक सहयोग
  • उत्तर कोरिया ने ईरान से प्रतिबंधों के बावजूद सर्वाइव करने की रणनीति सीखी
  • माना जा रहा है कि तेल और रॉ मटेरियल को लेकर दोनों देशों के बीच गोपनीय सहयोग भी चलता रहा है

⚖️ क्या बदलेगा वर्ल्ड ऑर्डर?

यह गठबंधन एक तरह से अमेरिका, इज़राइल और G7 के खिलाफ वैश्विक चुनौती बनता दिख रहा है।

एकतरफा युद्ध, मनमानी, सजा देने की नीति—अब शायद नहीं चलेगी।

  • रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया मिलकर एक काउंटर ब्लॉक बना सकते हैं
  • अगर यह गठबंधन मजबूत होता है, तो G7 और NATO को राजनयिक रूप से चुनौती मिलेगी
  • “Global South” का प्रतिनिधित्व भी इसमें बढ़ेगा

🚨 आगे क्या?

  • दोनों ओर से मिसाइलें दागी जा रही हैं
  • प्रचार युद्ध भी तेज है
  • लेकिन खतरा यह है कि अगर आग तेहरान तक पहुंची, तो उसका धुआं पूरी दुनिया में फैलेगा

🔚 निष्कर्ष

ईरान, रूस, चीन और उत्तर कोरिया का एक मंच पर आना,
सिर्फ एक युद्ध नहीं, एक वैश्विक विचारधारा की लड़ाई है।
यह लड़ाई अमेरिका की एकतरफा ताकत के खिलाफ
न्यायपूर्ण, संतुलित और बहुध्रुवीय (multipolar) दुनिया की मांग है।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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