क्या मोदी काल में दुर्घटना ही ‘नया सामान्य’ है?
पिछले कुछ दिनों में भारत ने एक के बाद एक भीषण हादसे झेले हैं—एयर इंडिया का विमान क्रैश, हेलिकॉप्टर हादसे, चारधाम यात्रा में मौतें, और महाराष्ट्र में पुल ढह जाना। इन सबके बावजूद सरकार की चुप्पी और ज़ीरो जवाबदेही अब सामान्य हो गई है।
क्या अब ‘विकसित भारत’ का मतलब है—‘एक्सिडेंट-प्रोन इंडिया’?
🚁 हेलिकॉप्टर हादसे: अंधेरे में उड़ान
15 जून को उत्तराखंड में हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ। लेकिन ये अकेला हादसा नहीं था:
- मई-जून 2025 में 4 बड़े हेलिकॉप्टर हादसे
- एयर ट्रैफिक कंट्रोल नहीं, रडार कवरेज नहीं, रियल-टाइम मौसम मॉनिटरिंग नहीं
- पायलट “ब्लाइंड फ्लाइंग” पर मजबूर
फिर भी मुख्यमंत्री पुष्कर धामी Uniform Civil Code की बात करते रहे, और केंद्र सरकार पूरी तरह चुप रही।
🛫 गुजरात विमान हादसा: मंत्री पहुंचे, पर जवाब नहीं
12 जून 2025 को गुजरात में बोइंग विमान क्रैश हुआ।
- कम से कम 241 मौतें ऑन बोर्ड, ज़मीन पर कितने मरे, आज भी अस्पष्ट
- मेडिकल कॉलेज का हॉस्टल तबाह
- ना नागरिक उड्डयन मंत्री दिखे, ना किसी मंत्री ने इस्तीफा दिया
- प्रधानमंत्री फोटो खिंचवाकर विदेश निकल पड़े
गृह मंत्री अमित शाह बोले:
“ये तो हादसा है, हादसों को रोका नहीं जा सकता।”
🚨 क्रोनोलॉजी देखिए, डरिए मत, समझिए:
तारीख | हादसा | सरकारी जवाबदेही |
12 जून | गुजरात प्लेन क्रैश | कोई इस्तीफा नहीं |
15 जून | उत्तराखंड हेलिकॉप्टर क्रैश | कोई एटीसी नहीं, रडार नहीं |
16 जून | एअर इंडिया एमरजेंसी लैंडिंग | सिस्टम फेल |
17 जून | एअर इंडिया एक्सप्रेस – बिना AC | यात्रियों की उपेक्षा |
पुणे पुल ढहा | ₹8 करोड़ की मरम्मत के बाद | नोटिस का बहाना देकर जनता को दोषी ठहराया |
🛑 Boeing Dreamliner: टेक्निकल फॉल्ट या पॉलिटिकल कवरअप?
- “Mayday” कॉल से पायलट ने चेताया था इंजन फेलियर का
- लेकिन सरकार ने जांच में तुर्की एंगल घुसेड़ दिया
- बाबा रामदेव तक बयानबाजी करने लगे, पर तकनीकी जवाब किसी के पास नहीं
🏗️ पुल भी गिर रहे, लेकिन दोष जनता पर
पुणे के इंद्रायणी नदी पुल पर 8 करोड़ रुपये खर्च हुए थे
- फिर भी गिर गया, दर्जनों घायल
- प्रशासन ने कहा: “नोटिस लगा था, लोग खुद जिम्मेदार हैं।”
क्या अब सरकारी लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए जनता को दोcsष देना नीति बन चुकी है?
📵 जब मीडिया चुप और सिस्टम अंधा हो
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज महाकुंभ में 82 मौतें हुईं
- यूपी सरकार ने बताया: सिर्फ 37
- कोई निष्पक्ष जांच नहीं
- ना कोई मंत्री बोला, ना कोई रिपोर्ट आई
🧾 जवाबदेही की कब्रगाह: मोदी 3.0 का नया मंत्र
- कोई सिस्टमिक फेलियर नहीं माना जा रहा
- ना रेलवे हादसे पर इस्तीफा
- ना विमान हादसे पर जिम्मेदार
- हेलिकॉप्टर हो या पुल, सब कुछ “दैवीय आपदा” बता दिया जाता है
क्या यही है अच्छे दिन?
📢 निष्कर्ष: जब जनता मरे, और सरकार कहे “कुछ नहीं हुआ”
आज भारत में दुर्घटना केवल खबर नहीं, बल्कि गवर्नेंस का स्टाइल बन चुकी है।
कोई जवाब नहीं, कोई इस्तीफा नहीं।
बस फोटोशूट, विदेशी दौरे और “फील गुड” प्रचार।