दिल्ली में बुल्डोज़र तांडव: क्या रेखा गुप्ता सरकार की नजर गरीबों की जमीन पर है?
भारत की राजधानी अब ‘बुल्डोज़र नगरी’ बन चुकी है।
दिल्ली की जुग्गी-झोपड़ियों पर भाजपा की सरकार लगातार बुल्डोज़र चला रही है — और इसकी आड़ में एक खतरनाक लैंड ग्रैबिंग प्लान पर काम हो रहा है, जिसमें गरीबों को उनकी ज़मीन से बेदखल कर कॉर्पोरेट को सौंपा जा रहा है।
🏗️ बस्तियां उजाड़ने की सुनियोजित साज़िश?
पिछले 100 दिनों में करीब 15 से 20 हज़ार लोग दिल्ली में बेघर कर दिए गए हैं।
बुल्डोज़र अशोक विहार, यमुनाखादर, मद्रासी कैंप, कालकाजी, शास्त्री पार्क और तैमूर नगर जैसे इलाकों पर चला।
ये वही इलाके हैं जहाँ कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावों के दौरान वादा किया था —
“जहां झुग्गी, वहीं पक्का मकान”
लेकिन अब वही इलाके रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनते ही उजाड़े जा रहे हैं।
“वोट तक हम लीगल थे, सरकार बनते ही इलीगल हो गए?” — बेघर निवासियों का सवाल
📉 मामला सिर्फ अतिक्रमण का नहीं, लैंड डील्स का है
सवाल उठ रहा है:
- क्या DDA, MCD, PWD, Revenue Dept, ASI, वक्फ बोर्ड और यूपी सिंचाई विभाग जैसे विभाग अचानक एक साथ जाग सकते हैं?
- क्या यह सब किसी बड़े मास्टर प्लान का हिस्सा नहीं है?
मुंबई की धारावी परियोजना की तर्ज पर दिल्ली में भी लाखों-करोड़ों की ज़मीन पर गरीबों को उजाड़ कर कॉर्पोरेट को सौंपने का षड्यंत्र दिख रहा है।
“जमीन चाहिए, लोग नहीं” — यही सरकार की नीति है।
💥 मंदिर बचे, घर नहीं: बुल्डोज़र की ‘सेलेक्टिव नैतिकता’
जब मयूर विहार में अमरनाथ, बद्रीनाथ और कालीबाड़ी मंदिरों पर बुल्डोज़र चलने लगा,
सरकार ने तुरंत कार्रवाई रोक दी।
तो क्या सरकार के पास बुल्डोज़र रोकने की शक्ति है? जवाब: हां।
लेकिन जब बारी गरीब मजदूरों की झुग्गियों की आती है,
सरकार कोर्ट और कानून की दुहाई देती है।
🧾 कागज़ हैं, फिर भी उजाड़े जा रहे हैं
- बिजली कनेक्शन
- आधार कार्ड
- वोटर आईडी
- स्कूल सर्टिफिकेट
- पानी के बिल
सब कुछ है लोगों के पास, फिर भी उन्हें अवैध कहकर हटाया जा रहा है।
💔 कामगारों को बेदखल करने से कौन हारा?
इन बस्तियों में रहने वाले लोग:
- कुक, माली, सफाई कर्मचारी, रिक्शावाले, दफ्तर सहायक
- वो लोग जो दिल्ली को चलाते हैं, चमकाते हैं
लेकिन जब बात बसने की आती है, तो उन्हें “झुग्गीवाले” कहकर दिल्ली से बाहर फेंक दिया जाता है — बवाना, होलंबी, नरेला जैसे सुदूर इलाकों में।
🗺️ लालच की लूट: नक्शे में दिखता है बुल्डोज़र का सच
बेबाक भाषा टीम ने जो नक्शा तैयार किया है, वो बताता है कि:
- जिन जमीनों पर झुग्गियां हैं, वो अरबों की कीमत की हैं
- इन ज़मीनों को लेकर कारोबारी दबाव, डीलिंग, और राजनीतिक रसूख** काम कर रहे हैं
🔥 आग लगने से लेकर विकास तक: जमीन खाली करने के 100 तरीके
कई इलाकों में पहले आग लगती है, फिर लोग खुद उजड़ जाते हैं
कुछ समय बाद वहाँ चमचमाते अपार्टमेंट बन जाते हैं —
जैसे अक्षरधाम के पास, यमुना किनारे
“लैंड यूज बदला जाता है, बिल्डिंग खड़ी होती है, लेकिन गरीब को ज़मीन का अधिकार नहीं।”
📢 यह सिर्फ बुल्डोज़र नहीं, एक चेतावनी है
रेखा गुप्ता और भाजपा का यह बुल्डोज़र मॉडल
“दिल्ली को चमकाने” के नाम पर
“दिल्ली से गरीबों की विदाई” है।
जैसे कवि गोरख पांडे लिखते हैं:
“स्वर्ग से विदाई” —
अब दिल्ली के स्वर्ग से उन्हीं की विदाई है जिन्होंने इसे खून-पसीने से बनाया था।