टैरिफ पर ट्रंप की हार और मोदी जी की चुप्पी: क्या अमेरिकी कोर्ट के फैसले से खुलेगा भारत का सच?
डोनाल्ड ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति और व्यापार में मनमानी पर अमेरिका की अदालत ने करारा तमाचा जड़ा है। अमेरिकी इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने साफ-साफ कह दिया है कि ट्रंप राष्ट्रपति रहते हुए दुनिया भर में जो मनमानी टैरिफ (शुल्क) लगा रहे थे, वह नियमों के खिलाफ है। पर दिलचस्प मोड़ तब आया जब इस केस में ट्रंप ने खुद को बचाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘डिफेंस शील्ड’ बना लिया!
ट्रंप ने अमेरिकी कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया कि अगर उनके टैरिफ पावर को सीमित कर दिया गया, तो वे भारत-पाकिस्तान जैसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे। उन्होंने दावा किया कि उन्हीं के कारण भारत-पाक युद्ध टला और करोड़ों लोगों की जान बची। यानी, ट्रंप कह रहे हैं कि अगर उन्हें ये शक्ति नहीं मिली, तो दक्षिण एशिया में न्यूक्लियर जंग हो सकती है।
लेकिन असली सवाल यह है — क्या मोदी जी सच में ट्रंप के दोस्त हैं, या ट्रंप ने उन्हें सिर्फ अपनी चमड़ी बचाने के लिए ढाल बना लिया?
अदालत का फैसला: ट्रंप की मनमानी पर विराम
US International Trade Court ने ट्रंप की “टैरिफ तानाशाही” पर रोक लगाते हुए कहा कि आप एकतरफा टैक्स नहीं लगा सकते। चाहे वह चीन हो, भारत, मैक्सिको या कैनेडा — ट्रंप की यह नीति अब गैरकानूनी घोषित हो चुकी है।
ट्रंप का हलफनामा और मोदी जी की खामोशी
हलफनामे में कहा गया कि ट्रंप के पास “इमरजेंसी पावर्स” होने चाहिए ताकि वे भारत-पाक संघर्ष जैसे गंभीर मुद्दों में दखल दे सकें। लेकिन इससे एक बड़ा सवाल उठता है — क्या भारत सरकार ने अमेरिका को अपनी संप्रभुता का ऐसा कार्ड सौंप दिया है?
ट्रंप ने दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच जो सीजफायर हुआ, वह उनकी मध्यस्थता से हुआ। यही नहीं, यह दावा कोर्ट में उनके बचाव में किया गया — यह बेहद गंभीर बात है।
मोदी जी, अब चुप्पी क्यों?
जब ट्रंप आपके नाम का सहारा लेकर अमेरिका की अदालत में अपनी ताकत साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, तो मोदी जी को भी स्पष्टीकरण देना चाहिए। क्या आपने सच में सीजफायर के लिए ट्रंप से कोई डील की थी? अगर नहीं, तो ट्रंप झूठ बोल रहे हैं — और अगर हां, तो देश को बताइए।
क्योंकि अब यह मुद्दा सिर्फ विदेश नीति का नहीं, बल्कि भारत की गरिमा और जनता के विश्वास का है।
ट्रंप को झटका, लेकिन भारत की छवि का क्या?
ट्रंप को कोर्ट से झटका जरूर लगा है, लेकिन भारत को इससे क्या मिला? उलटा, हमारी छवि एक ऐसे देश की बनती जा रही है जो अपने आंतरिक मामलों में भी विदेशी ताकतों की दखलअंदाजी को सहन करता है — और उसका इस्तेमाल दूसरे देश अपने फायदे के लिए करते हैं।
अब सीधा सवाल मोदी जी से
अब कोई जयशंकर जवाब नहीं देगा। अब नरेंद्र मोदी को सीधे बताना होगा — क्या ट्रंप ने झूठ बोला? क्या भारत ने ट्रंप को मध्यस्थता का अधिकार दिया? और अगर नहीं दिया तो सरकार चुप क्यों है?
क्योंकि अब ट्रंप अकेले नहीं डूब रहे हैं — वे अपने ‘मित्रों’ को भी साथ ले डूबते हैं।