लेकिन फेलिक्स बॉमगार्टनर ने एक पैराग्लाइडिंग हादसे में गंवा दी अपनी जान
इंसानी हिम्मत और जुनून की मिसाल कहें तो ऑस्ट्रिया के फेलिक्स बॉमगार्टनर का नाम सबसे ऊपर आएगा। 2012 में जब उन्होंने अंतरिक्ष की दहलीज से छलांग लगाई, तब पूरी दुनिया थम सी गई थी। 39 किलोमीटर यानी 1,30,000 फुट की ऊंचाई से धरती की ओर छलांग लगाना किसी भी इंसान की कल्पनाओं से परे था। लेकिन फेलिक्स ने न सिर्फ यह किया बल्कि ध्वनि की गति यानी साउंड बैरियर को भी तोड़ा। उनकी रफ्तार 843.6 मील प्रति घंटा थी – साउंड स्पीड से भी ज्यादा। इंसानी शरीर का हवा में सुपरसोनिक रफ्तार से जाना पहली बार हुआ था।
पैराग्लाइडिंग हादसे में मौत
अब विडंबना देखिए कि 56 वर्षीय फेलिक्स, जिन्होंने इतनी ऊंचाई से छलांग लगाई और सही सलामत उतरे, वे एक मामूली मोटराइज्ड पैराग्लाइडिंग हादसे में जान गंवा बैठे। यह हादसा इटली के पूर्वी मार्श इलाके में पोर्टो सेंटएल्पिडो गांव के ऊपर हुआ, जब वह होटल के स्विमिंग पूल के पास जमीन पर गिर पड़े। उनकी मौत ने दुनिया को चौंका दिया है।
एक उड़ान का सपना बचपन से
1969 में जन्मे फेलिक्स बचपन से ही स्काईडाइविंग और हेलिकॉप्टर उड़ाने के ख्वाब देखते थे। टीवी पर अंतरिक्षयात्री उन्हें बहुत आकर्षित करते थे। 16 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार स्काईडाइविंग की। फिर उन्होंने पैराशूटिंग और बेस जंपिंग में महारत हासिल करनी शुरू की। 1999 में उन्होंने रियो डी जेनेरो के क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा के फैलाए हुए हाथों से महज 30 मीटर की बेस जंप की – दुनिया की सबसे कम ऊंचाई की बेस जंप। इसी साल उन्होंने कुआलालंपुर के पेट्रोनास टॉवर से भी छलांग लगाकर इमारत से सबसे ऊंची पैराशूट जंप का रिकॉर्ड बनाया।
एडवेंचर का दूसरा नाम
2003 में उन्होंने इंग्लिश चैनल पर इतिहास रचा। इंग्लैंड के डोवर से 32,000 फुट की ऊंचाई से छलांग लगाई और बिना किसी मोटराइज्ड सपोर्ट के 22 मील दूर फ्रांस के कैलाइस पहुंचे। इसके लिए उन्होंने खास तौर पर डिजाइन किए गए कार्बन फाइबर विंग पहने थे और छह मिनट में 220 मील प्रति घंटे की रफ्तार छू ली थी।
रेड बुल स्ट्रेटोस प्रोजेक्ट
फेलिक्स का सबसे बड़ा कारनामा था 2012 का रेड बुल स्ट्रेटोस प्रोजेक्ट। उन्होंने एक प्रेशर कैप्सूल और गुब्बारे के जरिए 39 किलोमीटर की ऊंचाई हासिल की और वहां से छलांग लगाई। एवरेस्ट की ऊंचाई जहां 8.8 किलोमीटर है, वहीं फेलिक्स इससे कई गुना ऊंचाई से कूदे थे। उनकी स्पीड ध्वनि से भी तेज थी। रिकॉर्ड दो साल बाद टूट गया, जब गूगल के वैज्ञानिक एलेन यूस्टेस ने 1,35,890 फुट से छलांग लगाई। लेकिन पहला इंसान जिसने फ्री फॉल में साउंड बैरियर तोड़ा, वह फेलिक्स ही थे।
फेलिक्स का दर्शन
उन्होंने एक बार कहा था:
“जिस चीज के बारे में आपको डराया जाता है, उससे प्यार करना सीखो। जब मैं बच्चा था तो मुझे ऊंचाइयों से दूर रहने को कहा जाता था। लेकिन मैं हमेशा जानना चाहता था कि किनारे के पार क्या है। जितना ऊपर जाओगे, उतनी गहरी छलांग लगानी होगी। ज्यादातर लोग इसी से डरते हैं, लेकिन मैं नहीं। मैं वहां पहुंचना चाहता था, जहां कोई नहीं पहुंचा।”
उनकी योग्यता और लाइसेंस
फेलिक्स के पास अमेरिका और ऑस्ट्रिया दोनों जगह प्राइवेट हेलिकॉप्टर उड़ाने का लाइसेंस था। गैस बैलून लाइसेंस और यूरोप का कमर्शियल लाइसेंस भी उनके पास था। उन्होंने कई देशों में बेस जंपिंग की। ताइवान के ताइपे 101 टॉवर से भी कूदे थे और क्रोएशिया में 60 मंजिला इमारत जितनी गहराई वाली गुफा में भी जंप किया था।
एक प्रेरणा
उनकी मौत एक हादसा थी, लेकिन उनका जीवन खुद में प्रेरणा है। उन्होंने दिखाया कि इंसानी शरीर और मन की हदें बहुत दूर तक बढ़ाई जा सकती हैं। नील आर्मस्ट्रांग जैसे अंतरिक्ष में पहला कदम रखने वाले और एडमंड हिलेरी जैसे एवरेस्ट पर चढ़ने वाले, उसी तरह फेलिक्स बॉमगार्टनर को भी इंसानी साहस की मिसाल के रूप में याद रखा जाएगा।