असम के CM ने किया खेल, अपनी गलती का दोष राहुल गांधी पर मढ़ा, निकाली खुन्नस
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। असम में लगातार मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है। हजारों परिवारों को बेघर किया जा चुका है। ताज़ा घटना गोलपाड़ा की है, जहाँ बेदखली के विरोध में उतरे निहत्थे लोगों पर पुलिस ने गोलीबारी कर दी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हुए हैं।
लेकिन इस बार मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने इस मौत के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि राहुल गांधी ने भड़काऊ भाषण दिया, जिसके कारण लोग उकसाए गए।
क्यों हो रही हैं बेदखलियां?
गोलपाड़ा, धुबरी, नलबाड़ी, लखीमपुर – असम के इन जिलों में 2025 के जून से अब तक चार बड़े बेदखली अभियान चलाए गए हैं। ललन टॉप की रिपोर्ट बताती है कि गोलपाड़ा में 3500 बीघा जमीन पर कब्जा हटाया गया।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह जमीन किसके लिए खाली कराई जा रही है? रिपोर्ट के अनुसार, यह जमीन अडानी के पावर प्लांट को दी जानी है। यानी जमीन से हटाए जा रहे ये लोग अडानी समूह की परियोजना के रास्ते की रुकावट माने जा रहे हैं।
मुसलमानों को टार्गेट करने का आरोप
स्थानीय लोग और विपक्षी दल लगातार आरोप लगा रहे हैं कि इन बेदखलियों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है, खास तौर पर बंगाली भाषी मुसलमानों को। भागपा माले के सांसद सुधामा प्रसाद भी विस्थापित लोगों से मिलने पहुँचे।
राहुल गांधी ने हाल में असम दौरे पर हिमंता बिस्व सरमा पर करप्शन के गंभीर आरोप लगाए थे और कहा था कि बहुत जल्द मुख्यमंत्री जेल में होंगे। इसके जवाब में मुख्यमंत्री का गुस्सा साफ दिख रहा है।
पुलिस फायरिंग: किसकी जिम्मेदारी?
पुलिस का कहना है कि भीड़ उग्र हो गई थी इसलिए फायरिंग करनी पड़ी। लेकिन सवाल उठ रहे हैं –
- क्यों निहत्थे लोगों पर गोली चलाई गई?
- क्या पहले चेतावनी दी गई थी?
- हवा में फायरिंग क्यों नहीं की गई?
- गोली जानलेवा हिस्सों पर क्यों मारी गई?
मुख्यमंत्री ने इन सवालों के जवाब देने के बजाय, सारा दोष राहुल गांधी पर डाल दिया है।
अडानी का कनेक्शन
रिपोर्ट्स के अनुसार, अडानी ग्रुप को 16,000 करोड़ की पावर परियोजना के लिए यह जमीन चाहिए। ललन टॉप की स्टोरी में साफ लिखा है कि असम में मुसलमानों को बेदखल करने का यह अभियान, बड़े पूंजीपतियों के हित में है।
बीजेपी की अंदरूनी राजनीति
हिमंता बिस्व सरमा और योगी आदित्यनाथ के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी बनने की होड़ मानी जाती है। ऐसे में सरमा के लिए यह जरूरी है कि वे केंद्र के सबसे भरोसेमंद नेता साबित हों।
निष्कर्ष
असम में बेदखली, गोलीबारी और अडानी – यह त्रिकोण सवाल खड़े करता है कि लोकतंत्र किसके लिए काम कर रहा है। क्या आम लोगों की ज़मीनें और जानें केवल उद्योगपतियों के फायदे के लिए हैं?
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा को यह समझना होगा कि राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराकर वे अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकते।