July 23, 2025 9:48 am
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मोदी का हथियार, सरकारी आयोजनों में BJP का प्रचार + विपक्ष पर वार

बिहार के मोतिहारी और बंगाल के दुर्गापुर में PM मोदी ने हजारों करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन किया। जानें कैसे ये सरकारी आयोजन बीजेपी के चुनाव प्रचार में तब्दील हो रहे हैं।

सरकारी आयोजनों का चुनावी खेल: बिहार और बंगाल की सौगातें, असली सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार के मोतिहारी और पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में जिस तरह से सरकारी योजनाओं का उद्घाटन किया, उसने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है – क्या ये कार्यक्रम विकास के लिए थे या चुनाव प्रचार के लिए?

मोतिहारी में 7200 करोड़ की सौगात

बिहार में चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने मोतिहारी में 7200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इसमें चार नई अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का उद्घाटन शामिल था:

  • मोतिहारी – नई दिल्ली
  • पटना – नई दिल्ली
  • मालदा – लखनऊ
  • दरभंगा – लखनऊ

इन उद्घाटनों के बीच उनका भाषण पूरी तरह से बीजेपी के चुनाव प्रचार में बदल गया। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को बिहार का उद्धारक बताते हुए कहा कि बिहार को यह सौगातें उन्हीं की वजह से मिल रही हैं। विज्ञापन दिल्ली के अखबारों में भी पूरे पन्ने पर छपे, जिसमें बिहार को ‘विकसित बिहार’ बनाने का दावा किया गया।

नितीश बाबू साथ, लेकिन हमला लालू पर

मोदी जी ने मंच साझा तो नितीश कुमार के साथ किया, जो बिहार के नौवीं बार के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन अपने भाषण में उन्होंने पिछड़ेपन और भ्रष्टाचार के लिए लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधा। यह अलग बात है कि बिहार की वर्तमान स्थिति में नितीश कुमार की दो दशक पुरानी सत्ता की भी उतनी ही जिम्मेदारी बनती है।

मनोज कुमार झा का तंज

राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने मोदी के भाषण पर सीधा तंज कसा:

“प्रधानमंत्री कम, बीजेपी के प्रचारक ज्यादा लगते हैं।”

उनका सवाल था – मोतिहारी की चीनी मिल का वादा क्या हुआ? पिछला चुनाव गुजर गया, अगला भी सामने आ गया, लेकिन वादा अधूरा है।

बंगाल में 5400 करोड़ की योजनाएं, लेकिन संदेश वही

बंगाल में दुर्गापुर पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी ने 5400 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन किया। लेकिन यहां उनका लहजा बदल गया। उन्होंने कहा कि बंगाल में विकास की संभावना तो बहुत है, लेकिन टीएमसी सरकार रोडा बनी हुई है। उनका सीधा संदेश था – यदि बंगाल को विकसित देखना है तो बीजेपी की सरकार बनानी होगी।

डी राजा का सवाल: सरकारी आयोजन या चुनाव प्रचार?

भाकपा महासचिव डी राजा ने पूछा:

“क्या यह सरकारी आयोजन नहीं था? प्रधानमंत्री हर सरकारी मंच का दुरुपयोग चुनाव प्रचार के लिए क्यों करते हैं?”

यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकारी आयोजनों को संविधाननिहित मर्यादाओं के तहत ही होना चाहिए।

बिहार की हकीकत: विकास के बीच खून खराबा

जहां प्रधानमंत्री विकास के दावे कर रहे थे, उसी दिन बिहार के अखबारों में एक और खबर थी – पटनाः 13 दिन में 50 हत्याएं। एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पैरोल पर छूटे गैंगस्टर को अस्पताल के भीतर गोलियों से भून दिया गया। यह सब उस बिहार में हो रहा है, जहां प्रधानमंत्री बार-बार विकास का दावा कर रहे हैं और वोट बंदी का खेल भी जारी है।

चुनावी जुमलों की बरसात

बिहार में यह मोदी की 15वीं विजिट थी। आगे भी उनकी यात्राएं और घोषणाएं जारी रहेंगी। लखपति दीदी योजना, पुलों की घोषणाएं, अमृत भारत ट्रेनें – सब चुनाव की रणनीति का हिस्सा हैं। विपक्ष के पास न संसाधन हैं, न सरकारी ताकत, इसलिए इस मुकाबले में प्रधानमंत्री को कोई चुनौती नहीं दिखती।

क्या यह लोकतंत्र की नई तस्वीर है?

प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार यह साबित किया है कि वह हर सरकारी आयोजन को चुनाव प्रचार में तब्दील करने की कला में बेमिसाल हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या जनता इस बार भी इन घोषणाओं और जुमलों से प्रभावित होगी? क्या सरकारी पैसों का ऐसा इस्तेमाल लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं है?

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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