बिहार से संसद तक वोटबंदी का विरोध तेज, चुनाव आयोग ने दी देशव्यापी SIR की चेतावनी
“वोट चोर, गद्दी छोड़”, “वोटबंदी नहीं चलेगी” – ये नारे अब केवल बिहार की गलियों में ही नहीं, बल्कि दिल्ली की संसद के गलियारों में भी गूँज रहे हैं। विपक्ष ने Special Intensive Revision (SIR) के फार्म को संसद परिसर में फाड़कर फेंका। यह विरोध केवल बिहार तक सीमित नहीं रहा। अब SIR के बहाने लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई पूरे देश में तेज हो गई है।
चुनाव आयोग का बड़ा एलान – SIR अब पूरे देश में
चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि Special Intensive Revision केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगी। जल्द ही इसका शेड्यूल देशभर के लिए घोषित किया जाएगा। यानी अब हर राज्य में यह प्रक्रिया लागू होगी। यह खबर सुनते ही विपक्ष का गुस्सा और भी भड़क गया है।
क्या है SIR और क्यों मच रहा हंगामा
SIR यानी Special Intensive Revision, जिसे जनता और विपक्ष “वोटबंदी” कह रहे हैं। बिहार में यह प्रक्रिया 25 जून से चल रही है। चुनाव आयोग के मुताबिक अब तक के आंकड़े चौंकाने वाले हैं:
- 21.6 लाख वोटर मृत घोषित
- 31.5 लाख वोटर स्थायी रूप से माइग्रेटेड
- 7 लाख वोटर दो जगह रजिस्टर्ड
- 1 लाख वोटर लापता
इन आंकड़ों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। जनवरी 2025 में भी वोटर लिस्ट रिवीजन हुआ था, तब ये ‘मृतक’ वोटर कहां थे? क्या तब चुनाव आयोग की मशीनरी सो रही थी? या अब जानबूझकर यह माहौल बनाया जा रहा है?
क्या यह घुसपैठिए रोकने की प्रक्रिया या वोट कटौती की साजिश?
चुनाव आयोग भले ही घुसपैठ का डर दिखा रहा हो, लेकिन अभी तक किसी भी घुसपैठिए का डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया। मीडिया में लगातार प्लांट की जा रही खबरें, यह माहौल बना रही हैं कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी है। विपक्ष इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहा है।
पूना मगरवाल का विश्लेषण – सरकार अब खुद वोटर चुन रही है
वरिष्ठ यूट्यूबर और चुनाव प्रक्रिया विशेषज्ञ पूना अग्रवाल ने कहा कि,
“अब तक जनता सरकार को चुनती थी, अब सरकार चुनाव आयोग के साथ मिलकर अपने वोटर खुद चुन रही है। यह लोकतंत्र के लिए अंतिम शण भी हो सकता है।”
विपक्ष का सख्त रुख – चुनाव बहिष्कार की चेतावनी
संसद से लेकर बिहार विधानसभा तक विपक्ष लामबंद है। यदि सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो विपक्ष SIR का बहिष्कार कर चुनावी प्रक्रिया से बाहर रहने का कदम भी उठा सकता है। ऐसी स्थिति में भारत के लोकतंत्र पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
क्या होगा आगे?
इस बार का संसद सत्र और बिहार विधानसभा का सत्र केवल SIR और वोटबंदी पर केंद्रित रहने वाला है। विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि यह लड़ाई केवल बिहार की नहीं, पूरे देश के संविधान और लोकतंत्र की लड़ाई है।
Conclusion
बिहार में SIR के बहाने जो प्रयोग शुरू हुआ है, वह देशभर में लागू होगा। सवाल यह है कि क्या सरकार जनता से डर रही है, या जनता अब सरकार से डरने के लिए मजबूर की जा रही है?