July 26, 2025 4:36 am
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बिहार में वोटबंदी पर NDA में दरार? संसद से पटना तक गूंजा विरोध

बिहार की वोटर लिस्ट वोटबंदी पर NDA में दरार? संसद से लेकर पटना तक विरोध, क्या मोदी सरकार को झेलनी होगी सियासी मुश्किलें?

विपक्ष ने संसद से लेकर बिहार विधानसभा तक मोर्चा खड़ा किया, नीतीश की पार्टी में भी फूटा गुस्सा

क्या बिहार की राजनीति में बड़ा विस्फोट होने वाला है? वोटर लिस्ट के Special Intensive Revision (SIR) पर जिस तरह से विरोध उभरकर सामने आ रहा है, उसने न केवल विपक्ष बल्कि मोदी सरकार की सहयोगी जदयू को भी बेचैन कर दिया है।

जनता दल यूनाइटेड के सांसद गिरधारी यादव ने संसद के भीतर जिस तरह से इस प्रक्रिया को “चुनाव आयोग का तुगलकी फरमान” बताया, उसने BJP के भीतर भी खलबली मचा दी है। गिरधारी ने कहा:

“यह तो जबरदस्ती थोब दिया गया है। कराना था तो 6 महीने पहले से तैयारी करता, ये अचानक कैसे संभव होगा? यह सरासर अन्याय है।”

विपक्ष का एकजुट विरोध

दिल्ली की संसद से लेकर पटना विधानसभा तक, विपक्ष का जोरदार प्रदर्शन जारी है। संसद के भीतर राहुल गांधी और INDIA गठबंधन के सांसद काले कपड़े पहन कर पहुंचे। संसद के बाहर भी उनका कड़ा विरोध देखने को मिला। राहुल गांधी ने इसे “वोट चोरी की प्रक्रिया” करार देते हुए कहा:

“ये सिर्फ बिहार की बात नहीं है, ये चुनाव चुराने की राष्ट्रीय रणनीति है। महाराष्ट्र में भी ऐसा ही किया गया था, अब बिहार में किया जा रहा है। मैं सबूत दूंगा कि कैसे चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है।”

तेजस्वी यादव का हमला

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी मोर्चा संभाला। उन्होंने सीधा सवाल दागा:

“54 लाख लोग जो अपने पते पर नहीं पाए गए, उनका क्या होगा? क्या ये लोग अब वोट नहीं देंगे? क्या ये लोकतंत्र से बाहर कर दिए जाएंगे?”

तेजस्वी का यह बयान दिखाता है कि बिहार चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा SIR यानी वोटबंदी ही बनने वाला है।

योगेंद्र यादव का आरोप – चुनाव आयोग ने फैलाया रायता

भारत जोड़ो अभियान से जुड़े योगेंद्र यादव ने कहा:

“चुनाव आयोग ने पूरे बिहार में रायता फैला दिया है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है। न BLO घर-घर गए, न लोगों को पावती दी गई। 97% फॉर्म भरे होने का दावा झूठा है, लोग कह रहे हैं कि हमें तो पता भी नहीं किसने फॉर्म भर दिया।”

ग्रामीण इलाकों में हाहाकार

ग्रामीण बिहार से खबरें बता रही हैं कि लोग आधार कार्ड, वोटर ID और राशन कार्ड ही दिखाकर फॉर्म भर रहे हैं। जिन दस्तावेजों की चुनाव आयोग ने सूची जारी की है, उनमें से अधिकतर दस्तावेज़ गरीब, मजदूर और दलित-बहुल आबादी के पास हैं ही नहीं। सवाल है – क्या ये करोड़ों लोग अब वोट डालने के हक से वंचित रह जाएंगे?

NDA में अंदरूनी संकट?

गिरधारी यादव के बयान ने NDA की एकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या नितीश कुमार की पार्टी वोटबंदी पर मोदी सरकार से टकरा सकती है? क्या नितीश कुमार अपने वोट बैंक को बचाने के लिए अलग राह पकड़ सकते हैं? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में बिहार की सियासत तय करेंगे।

आगे का रास्ता – अदालती लड़ाई या सड़क का संघर्ष?

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने कहा है कि वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे। वहीं, गांव-गांव में लोगों ने “लोकतंत्र बचाओ आंदोलन” की तैयारी शुरू कर दी है। लोग पूछ रहे हैं:

“हमारा वोट हमारा हक है, क्या मोदी सरकार इसे छीन सकती है?”

निष्कर्ष

यह साफ है कि बिहार में SIR प्रक्रिया ने सियासी हलचल पैदा कर दी है। लोकतंत्र, संविधान और वोटर अधिकारों की लड़ाई अब बिहार से दिल्ली तक पहुंच चुकी है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन क्या मोदी सरकार और NDA के भीतर दरार पैदा करेगा या विपक्ष के लिए एकजुटता का नया मंच बनेगा।

भाषा सिंह

1971 में दिल्ली में जन्मी, शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। 1996 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
'अमर उजाला', 'नवभारत टाइम्स', 'आउटलुक', 'नई दुनिया', 'नेशनल हेराल्ड', 'न्यूज़क्लिक' जैसे
प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों

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