मोदी सरकार का राजनीतिक हथियार? सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट की कड़ी फटकार
“राजनीतिक लड़ाइयां मतदाताओं के सामने लड़ी जानी चाहिए, जांच एजेंसियों के जरिए नहीं।”
यह टिप्पणी किसी विपक्षी नेता की नहीं, सुप्रीम कोर्ट की है।
और “ईडी कोई ड्रोन नहीं है, जो मनमानी कार्रवाई करे,” यह फटकार दी है मद्रास हाईकोर्ट ने।
दो दिन, दो अदालतें, एक ही सवाल – क्या ईडी अब मोदी सरकार का राजनीतिक औजार बन गई है?
पिछले दो दिनों में देश की दो सबसे बड़ी अदालतों ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्यप्रणाली पर जो तीखे सवाल उठाए हैं, उससे स्पष्ट है कि ईडी अब एक निष्पक्ष जांच एजेंसी नहीं, बल्कि सत्ता का हथियार बन चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी | 21 जुलाई 2025
1. कर्नाटक MUDA मामला
- ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दायर किया।
- कोर्ट ने पूछा: “आपको यह केस लेने की जरूरत क्यों महसूस हुई?”
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
“राजनीतिक लड़ाइयां ईडी से नहीं, जनता के सामने लड़ी जानी चाहिए।”
2. वकीलों को समन भेजना
- ईडी ने दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं को समन भेजा, सिर्फ इसलिए कि उन्होंने एक आरोपी को कानूनी सलाह दी थी।
- कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा:
“यह सारी सीमाएं पार कर दी गई हैं। हम रिपोर्ट देखकर shocked हैं।”
- सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाई और स्पष्ट किया कि वकील-मुवक्किल संवाद संरक्षित है।
मद्रास हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी | 20 जुलाई 2025
RKM Powergen मामला
- ED ने 901 करोड़ रुपये की FD जब्त कर ली, बिना यह साबित किए कि यह proceeds of crime हैं।
- कोर्ट ने कहा:
“ED कोई ड्रोन नहीं है जो मनमाने हमले करे।
ED कोई सुपर-कॉप नहीं है, जो हर अपराध में कूद पड़े।”
- अदालत ने जब्ती को अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया।
अन्य हालिया टिप्पणियां और फैसले
TASMAC मामला | 22 मई 2025
- तमिलनाडु की सरकारी शराब कंपनी TASMAC की जांच पर रोक।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा –
“यह संघीय ढांचे का खुला उल्लंघन है। ईडी को सीमाओं की याद दिलाना जरूरी है।”
आकाश बास्करन मामला | 17 जून 2025
- मद्रास हाईकोर्ट ने कहा:
“ईडी अपनी शक्ति दिन-ब-दिन बढ़ा रही है।
PMLA में sealing का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।”
राकेश जैन मामला | 22 जनवरी 2025
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने ईडी पर लगाया 1 लाख का जुर्माना।
- कोर्ट ने कहा,
“यह दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई थी। नागरिकों को ऐसे परेशान नहीं किया जा सकता।”
2015-2025: आंकड़े क्या कहते हैं?
- 193 राजनीतिक मामलों में ईडी की जांच
- 95% विपक्षी नेताओं के खिलाफ
- केवल 2 मामलों में सजा
- बीजेपी में शामिल होने वाले कई नेताओं के खिलाफ जांच धीमी या लगभग बंद
क्या ईडी अब मोदी सरकार का हथियार है?
इन घटनाओं को देखने के बाद हर कोई कह सकता है कि ईडी अब कोई स्वायत्त जांच एजेंसी नहीं रही, बल्कि यह मोदी सरकार का ऐसा राजनीतिक हथियार बन चुकी है, जिसके जरिए विपक्ष को कमजोर किया जा रहा है।
और यही बात सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट अपने फैसलों और टिप्पणियों में कह रही हैं।