असली भारत’ बनाम ‘नफरती भारत’: 35 साल से मंदिर की सेवा करने वाला अली मुहम्मद अब जेल में क्यों है?
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से एक खबर आई है, जो भारत के असली चेहरे और नफरती चेहरे – दोनों को बेपर्दा करती है। यह खबर एक 60 वर्षीय मुस्लिम बुजुर्ग अली मुहम्मद की है, जो पिछले 35 सालों से गांव के मंदिर में सफाई, रखरखाव और गोसेवा करते आए हैं। यह मंदिर उनका घर भी था। लेकिन आज अली मुहम्मद जेल में हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने मंदिर परिसर के पेड़ के नीचे नमाज अदा की थी।
क्या हुआ था?
- स्थान: ब्रह्मदेव मंदिर, धारपुर कला गांव, बदायूं
- व्यक्ति: अली मुहम्मद, उम्र 60 वर्ष
- घटना: मंदिर परिसर के पेड़ के नीचे नमाज पढ़ते हुए किसी ने चुपचाप उनका वीडियो बना लिया।
- वीडियो वायरल: 2-3 महीने पुराने इस वीडियो को हाल ही में सोशल मीडिया पर नफरती संगठनों ने फैलाया।
- पुलिस कार्रवाई: हिंदुत्ववादी संगठनों के दबाव में पुलिस ने FIR दर्ज कर अली मुहम्मद को जेल भेज दिया।
लेकिन असली खबर क्या है?
मंदिर के प्रधान पुजारी पर्मानंद दास और पूरी पंचायत अली मुहम्मद के समर्थन में खड़ी है।
पुजारी ने कहा:
“अगर उनके परिवार के पास जमानत के पैसे नहीं हैं तो हम मिलकर उनकी जमानत कराएंगे। अली मुहम्मद कोई अपराधी नहीं, इस मंदिर के रक्षक हैं। 35 साल से मंदिर की सेवा कर रहे हैं, गायों को चारा देते हैं, सफाई करते हैं, आरती में मदद करते हैं। उनकी वजह से मंदिर हमेशा स्वच्छ और पूजा योग्य रहता है।”
मंदिर-पंचायत का समर्थन क्यों अहम है?
क्योंकि यह ‘असली भारत’ की तस्वीर है।
- जहां धर्म के नाम पर नफरत नहीं, बल्कि सद्भावना और सेवा को पूजा जाता है।
- जहां मंदिर के पुजारी और गांववाले कहते हैं कि “अली मुहम्मद हमारा है, उसने कुछ गलत नहीं किया।”
लेकिन नफरती राजनीति क्या कर रही है?
- वीडियो बनाने वाला व्यक्ति कौन?
पुजारी और गांववाले इसे ‘बदमाशी’ बता रहे हैं और कह रहे हैं कि वीडियो बनाने वाले और फैलाने वाले को सजा दी जाए। - पुलिस का रवैया:
35 साल से मंदिर की सेवा करने वाले व्यक्ति के बारे में पुलिस को पता नहीं था? जांच किए बिना गिरफ्तारी क्यों? - मीडिया का रवैया:
मुख्यधारा का मीडिया इस कहानी का सिर्फ नफरत वाला हिस्सा दिखा रहा है, असली तस्वीर – सेवा, भाईचारा, और मंदिर का समर्थन – पूरी तरह छुपा रहा है।
बाकी बिहारी मंदिर की याद
यह घटना वृंदावन के बाके बिहारी मंदिर की याद दिलाती है, जहां मुस्लिम बुनकर ही भगवान कृष्ण के वस्त्र बनाते हैं। विरोध के बावजूद मंदिर प्रशासन ने कहा:
“यह हमारी सदियों पुरानी परंपरा है। मुसलमान कारीगरों ने हमेशा मंदिर में योगदान दिया है।”
🕊️ असली बनाम नफरती भारत
इस खबर से दो भारत सामने आते हैं:
- असली भारत:
जहां अली मुहम्मद जैसे लोग 35 साल से मंदिर को अपना घर मानते हैं।
जहां पुजारी और पंचायत धर्म के नाम पर नफरत नहीं, इंसानियत और सेवा को महत्व देते हैं। - नफरती भारत:
जहां नमाज पढ़ना अपराध बना दिया जाता है।
जहां वीडियो बनाकर नफरत फैलाना ‘धर्मरक्षा’ कहलाता है।
जहां पुलिस नफरती संगठनों के दबाव में काम करती है।