मोदी को वनतारा घुमाने के नाम पर क्या कोई खेल है पर्दे के पीछे
वैसे तो ठीक एक साल पहले अनंत अंबानी की सगाई के मौके पर साथ-साथ वनतारा का भी जमकर प्रचार किया गया था, एनिमल रेस्क्यू सेंटर के तौर पर, जब ज्यादा तौर पर वहां हाथियों को दिखाया गया और गोदी मीडिया के नुमाइंदों ने बाकायदा हाथियों के लिए बनी खिचड़ी चखकर भी देखी। यहां तक कि सगाई के लिए औपचारिक आमंत्रण से पहले सेव द डेट का जो संदेश भेजा गया था, उसमें भी वनतारा के तमाम जानवर छपे हुए थे। उस कार्ड ने काफी हैरानी पैदा की थी क्योंकि ज्यादातर लोगों को इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि रिलांयस ने दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनरी परिसर में जंगली जानवरों का भी एक अड्डा बना रखा है। लेकिन तब भी कुछ ज्यादा खुलासा नहीं हुआ। लोगों ने इक्का-दुक्का सवाल उठाए, लेकिन दबकर रह गए।
फिर इस साल जनवरी में फिर से अरुणाचल प्रदेश से हाथियों को कई ट्रकों में लादकर जामनगर ले जाए जाने की खबरें व फोटो सामने आई तो आवाजें उठीं। लेकिन बात देश के आका के खास दोस्तों की हो तो सवालों की औकात क्या। अब जब एक सप्ताह पहले मोदी जी वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे के मौके पर पहले गिर के जंगल की सफारी और फिर वनतारा की सैर को गए तो अंदर की तस्वीरें और जानवरों से मेल-मिलाप के पीएम के वीडियो देखकर वन्यजीव प्रेमी व वाइल्डलाइफ एक्टीविस्ट भौचक्के रह गए हैं।
अपने देश में तो एक बार फिर इस पर सब तरफ चुप्पी है, लेकिन विदेश से इस पर सवाल उठने लगे हैं। दक्षिण अफ्रीका के एक वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन ग्रुप ने वनतारा को जानवरों के निर्यात की जांच की मांग की है। उसने वहां जानवर भेजे जाने की वैधानिकता को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस ग्रुप ने दक्षिण अफ्रीका के पर्यावरण मंत्रालय से इस बारे में जांच करने की मांग की है।
वाप्फसा दरअसल दक्षिण अफ्रीका में वन्य जीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक निवास की हिफाजत को लेकर सरकार के साथ मिलकर काम करने वाले करीब 30 दक्षिण अफ्रीकी संगठनों का संघ है। इसने दक्षिण अफ्रीका के पर्यावरण मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि उसे वनतारा में विभिन्न जीवित प्राणियों की कई किस्मों की बड़ी संख्या भेजे जाने पर उठ रही चिंताओं की जानकारी है।
इस संघ के पत्र से यह भी पता चलता है कि इस मसले पर सवाल काफी पहले से उठते रहे हैं, बस भारत में ही मीडिया इस पर खामोश रहा।
विलुप्त प्राय जानवरों व वनस्पतियों के अंतररराष्ट्रीय व्यापार पर निगारीनी रखने वाली संस्था कनवेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एनडेंजर्ड स्पीशीज यानी साइट्स की स्टैंडिंग कमिटी की नवंबर 2023 में हुई बैठक में भारत में नियमों का पालन न किए जाने का मुद्दा उठा था। साइट्स के सचिवालय को भारत में जीवित जानवरों के आयात की जानकारी मिली थी जिनमें कई विलुप्तप्राय जानवर भी थे।
जुलाई 2023 में ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू ऐंड रिहैबिलिटेशन सेंटर यानी वनतारा ने साइट्स सचिवालय को यह बताया था कि सेंटर ने हाल के सालों में भारत के बाहर मुश्किल स्थितियों में रह रहे जानवरों को रेस्क्यू किया है और कई देशों से उनको भारत में लाया गया है। लेकिन इस तरह के सौदों और साइट्स से दस्तावेज हासिल करने के तरीकों की वैधानिकता पर सवाल उठते रहे हैं
वाप्फ्सा ने दक्षिण अफ्रीकी सरकार को लिखे पत्र में दक्षिण अफ्रीका से तेंदुए, चीते, बाघ व शेर वनतारा को भेजे जाने को लेकर खास तौर पर चिंता जाहिर की है।
अब अगर आपने मोदी जी का वीडियो देखा हो तो उसमें आपको कई तरह के जानवर दिख जाएंगे जो भारत में नहीं मिलते, कम से कम जंगलों में तो नहीं। उनके बारे में सवाल उठ ही रहे हैं कि वे कैसे वनतारा पहुंचे, उन्हें कहां से रेस्क्यू किया गया। जैसे कि सुमात्रा टाइगर, जो केवल इंडोनेशिया में सुमात्रा द्वीप के जंगलों में मिलता है। या फिर रफ्ड लेमूर्स जो प्रिमेट यानी वानर प्रजाति में से एक है और दुनिया में सिर्फ और सिर्फ सुदूर दक्षिण-पूर्व अफ्रीका में मैडागास्कर द्वीप में पाए जाते हैं। इन्हें कहां से रेस्क्यू किया गया? ये ही नहीं, यहां जेबरा हैं, जिराफ हैं। ओरांग उटान हैं, नामिबिया के एल्बिनो शेर हैं… एपाकाल्पा हैं जो सिर्फ दक्षिण अमेरिका में मिलते हैं। ये सब कहां से और कैसे आ रहे हैं। क्या इनको लेकर भारत सरकार के वन व पर्यावरण मंत्रालयों की कोई नीति हैं? क्या वनतारा से इस बारे में कोई करार हुआ है? उसे किस तरह की इजाजत मिली है?
मोदी जी ने 4 मार्च को किस चीज का उदघाटन किया जब वनतारा की सैर पिछले साल ही गोदी मीडिया के खास सिपहसालारों को कराई जा चुकी थी और कई रिपोर्ट के अनुसार यह जानवर 2023 ही नहीं, उससे भी कई साल पहले से यहां लाए जा रहे थे।
कई लोगों ने यह सवाल भी उठाए हैं कि जामनगर में जिस जमीन पर वनतारा है, वह क्या आधिकारिक रूप से इस काम के लिए उपलब्ध कराई गई है? कहा जा रहा है कि यह परिसर जामनगर रिफाइनरी का है। रिलायंस ने 1997 में दुनिया का सबसे बड़ा ग्रासरूट रिफाइनरी परिसर जामनगर में स्थापित किया था। उसके एक हिस्से में जंगल बसाने की योजना ने तभी से रूप लेना शुरू कर दिया था। अब वनतारा रिफाइनरी परिसर के भीतर तीन हजार एकड़ इलाके में फैला है।
दरअसल, सारे ही लोग खामोश नहीं हैं। हिमाल साउथ एशियन ने पिछले साल अनंत अंबानी की सगाई के दिनों में ही, यानी मार्च 2024 में एक वनतारा के बारे में एक बहुत ही शानदार खोजी रिपोर्ट की थी। एम. राजशेखर की इस रिपोर्ट में भी जानवरों को हासिल करने के तरीकों और भारत के वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार अपनी सगाई से दो हफ्ते पहले 26 फरवरी को अनंत ने मीडिया के सामने वनतारा के बारे में ऐलान किया। उस समय उन्होंने बताया था कि वनतारा में 200 से ज्यादा हाथी, 300 से ज्यादा लेपर्ड, बाघ, शेर व जगुआर, तीन हजार से ज्यादा हिरण सरीखे जानवर, 1200 से ज्यादा मगरमच्छ, सांप व कछुए जैसे रेप्टाइल्स और बड़ी संख्या में पक्षी मौजूद हैं।
हिमाल की रिपोर्ट के अनुसार वनतारा जरअसल दो संस्थाओं- राधेकृष्ण टेंपल एलीफेंट वेलफेयर ट्रस्ट और ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर का मिला-जुला रूप है। इन्होंने 2019 से लेकर आज तक बड़ी संख्या में जानवर इकट्ठा कर लिए हैं, जिनमें से खासी तादाद एनडेंजर्ड यानी लुप्तप्राय जानवरों की है। नवंबर 2022 में त्रिपुरा हाई कोर्ट ने एक उच्चाधिकार समिति इस बात पर राय देने के लिए बनाई थी कि क्या त्रिपुरा से हाथी जामनगर भेजे जाने चाहिए। उस समय समिति को पता चला था कि अप्रैल 2023 तक ट्रस्ट के पास पहले ही 170 हाथी थे। यानी दो साल पहले।
ग्रीन जूलोजिकल ने 2022-23 की अपनी सालाना रिपोर्ट में अपने पास 134 किस्म के 3889 पशु-पक्षी होने का खुलासा किया था। सगाई से पहले अनंत ने वनतारा में 4700 पशु-पक्षी की संख्या बताई। इस दौरान वनतारा ने पशु-पक्षी की संख्या में दिल्ली के चिड़ियाघर को भी पीछे छोड़ दिया जिसके पास 2020-21 में सौ किस्मों के केवल 1114 प्राणी थे।
हिमाल की रिपोर्ट बताती है ग्रीन जूलोजिकल यानी वनतारा के पास अब न्यूयार्क के ब्रोंक्स जू के बराबर संख्या में जानवर हैं। ग्रीन की 2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार वनतारा में 857 मगरमच्छ, 227 तेंदुए, 76 हाइब्रिड शेर, 71 बाघ, 1200 से ज्यादा इगुआना और 225 अफ्रीकी स्पर्ड कछुए हैं। इनके अलावा नील मगरमच्छ, खारे पानी के मगरमच्छ, सियामिज मगरमच्छ व घड़ियाल, ग्रिज्ली भालू, ब्लैक बीयर, अफ्रीकी शेर व चीते, नील हिप्पोपोटोमस, चिंपांजी, ओरांग उटान, कोमोडो ड्रैगन और पता नहीं क्या क्या।
हिमाल में एम राजशेखर की रिपोर्ट खोजी रपट का शानदार नमूना है जिसमें पिछले पांच सालों में वनतारा से जुड़े हर पहलू की हर एंगल से जांच की गई है। इस पर और विस्तार से बात करने की जरूरत है। इसमें दुर्लभतम जानवरों के दूसरे देशों से आयात पर ही नहीं, भारत में भी जानवरों को विभिन्न चिड़ियाघरों से जामनगर भेजे जाने पर, वन विभागों की भूमिका पर, अफसरों की मिलीभगत, केंद्र सरकार की भूमिका पर, भाजपा सरकार द्वारा हाल के सालों में उदार बनाए गए कानूनों पर, लगातार कमजोर होते वैधानिक कवच पर, वन्यजीव व्यापार पर नियंत्रण रखने वाली संस्थाओं की भूमिका पर, जामनगर में भयंकर प्रदूषण फैलाने वाले पेट्रोकेमिल परिसर के निकट जानवरों को रखे जाने पर, वनतारा को हर चीज मुहैया होने की तेज गति और उसमें अंबानी परिवार की अकूत संपत्ति की भूमिका पर, बहुत विस्तार से जांच की गई है। वनतारा इन सबका एक शानदार नमूना है।
लेकिन जाहिर है कि अंबानियों का सगाई-शादी में ढोल पीटता गोदी मीडिया इस पर कुछ नहीं बोलेगा। तमाम रीढ़हीन सेलेब्रिटी मोदी की यात्रा के बाद वनतारा के गुणगान करते कॉपी-पेस्ट ट्वीट व पोस्ट करने में लग गए। यह चारण-भाटों का दौर फिर से आ गया है, जिसमें सवाल उठाने की मनाही है।
हमारे यहां तो पिछले दो सालों में गुजरात में ही 286 शेर और 456 तेंदुए मर जाते हैं लेकिन उस पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता। हमारे यहां तो एक घायल सारस क्रेन को बचाकर उससे दोस्ती करने वाले युवक मोहम्मद आरिफ के खिलाफ योगी जी के उत्तर प्रदेश में वन्यजीव अधिनियम के तहत मामला दर्ज हो जाता है, क्योंकि वह मुसलमान है, कोई अनंत अंबानी नहीं।
असलियत इस बात से समझ में आ जानी चाहिए कि जो सरकारें और उनके उद्योगपति मित्र हंसदेव व निकोबार के जंगलों को मटियामेट करने में लगे हैं, वे वास्तव में अपने धंधे से आगे वन्यजीव व पर्यावरण की कितनी चिंता करते होंगे।